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बेहतर रेल के लिए ढीली करनी पड़ सकती है जेब

रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने रेल परियोजनाओं के तेजी से क्रियान्वयन के लिए प्रशासनिक और प्रक्रियागत अड़चनों को दूर करने का काम तेज कर दिया है। इस कड़ी में जहां उन्होंने रेलवे बोर्ड के नए चेयरमैन और सदस्यों की तुरत-फुरत तैनाती कर दी है, वहीं विभिन्न समितियों की रिपोर्टो पर चर्चा

By Sudhir JhaEdited By: Updated: Thu, 01 Jan 2015 08:44 AM (IST)
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नई दिल्ली। रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने रेल परियोजनाओं के तेजी से क्रियान्वयन के लिए प्रशासनिक और प्रक्रियागत अड़चनों को दूर करने का काम तेज कर दिया है। इस कड़ी में जहां उन्होंने रेलवे बोर्ड के नए चेयरमैन और सदस्यों की तुरत-फुरत तैनाती कर दी है, वहीं विभिन्न समितियों की रिपोर्टो पर चर्चा शुरू कर दी है। श्रीधरन समिति, बिबेक देबराय समिति के बाद मंगलवार को डीके मित्तल समिति ने भी अपनी रिपोर्ट रेलमंत्री को सौंप दी। इसमें रेलवे की माली हालत सुधारने व निजी निवेश आकर्षित करने को उपनगरीय ट्रेनों के किरायों में प्रत्यक्ष तथा पैसेंजर व मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों के किरायों में परोक्ष बढ़ोतरी की सिफारिश की गई है।

समिति के अनुसार उपनगरीय ट्रेनों के किराये लागत के मुकाबले बहुत कम हैं। लिहाजा इनमें सीधी बढ़ोतरी की जानी चाहिए। इससे लोकल ट्रेनों का आधुनिकीकरण व विस्तार कर यात्रियों को नए जमाने के अनुसार मेट्रो रेल जैसी बेहतर सेवाएं दी जा सकती हैं। दूसरी ओर समिति ने मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों के किराये सीधे बढ़ाने के बजाय परोक्ष रूप से बढ़ाने को कहा है। इसके लिए समिति ने इन ट्रेनों में टिकट की न्यूनतम दूरी बढ़ाने का सुझाव दिया है।

अभी पैसेंजर गाड़ियों में न्यूनतम 10 किलोमीटर का किराया वसूला जाता है, भले ही यात्र इससे कम की गई हो। समिति ने इसे बढ़ाकर 20 किलोमीटर करने का सुझाव दिया है। यदि यह सुझाव माना गया तो कोई व्यक्ति एक किलोमीटर की यात्र भी करेगा तो उसे 20 किलोमीटर का किराया देना होगा। इसी तरह मेल/एक्सप्रेस गाड़ियों के मामले में किराये की न्यूनतम दूरी 50 किलोमीटर के बजाय 100 किलोमीटर करने की सिफारिश की गई है। यानी मेल/एक्सप्रेस गाड़ी में चले तो कम से कम 100 किलोमीटर का किराया देना होगा। इन सिफारिशों का अक्स आगामी रेलवे बजट में दिखाई दे सकता है।

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समिति ने रेलवे के सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों-इरकॉन, राइट्स, रेलवे डेडीकेटेड फ्रेट कारपोरेशन, स्टेशन कारपोरेशन और हाईस्पीड कारपोरेशन आदि को रेलवे परियोजनाओं के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी सौंपे जाने और बैंकों से मनचाहा कर्ज लेने की छूट देने का सुझाव दिया है। समिति का कहना है कि जिस तरह एनएचएआइ सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रलय के लिए परियोजनाओं का क्रियान्वयन स्वायत्त तरीके से करता है उसी तरह रेल उपक्रमों को भी रेल परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए पूरे अधिकार मिलने चाहिए।