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'देश व कांग्रेस के माथे पर कलंक है 1984 का सिख विरोधी दंगा'

नई दिल्ली। चुनावी वर्ष में अपने बिखरे वोट बैंक को सहेजने की कोशिश के तहत कांग्रेस ने अब सिख समुदाय को लुभाने की कोशिश की है। 19

By Edited By: Updated: Sun, 16 Feb 2014 09:50 PM (IST)
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नई दिल्ली। चुनावी वर्ष में अपने बिखरे वोट बैंक को सहेजने की कोशिश के तहत कांग्रेस ने अब सिख समुदाय को लुभाने की कोशिश की है। 1984 के सिख विरोधी दंगों को लेकर निशाने पर चल रही कांग्रेस की ओर से केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने इस काम को करने का बीड़ा उठाया है। उन्होंने 84 के दंगों को देश और कांग्रेस के माथे पर कलंक करार दिया है। दंगा पीड़ितों के जख्मों पर मरहम लगाते हुए रमेश ने सरकार को सुझाव दिया है कि दंगा पीड़ितों के लिए अभी बहुत किया जाना बाकी है। केंद्रीय मंत्री के अनुसार दोषियों को सजा दिलाया जाना चाहिए।

एक समाचार चैनल के कार्यक्रम में सवालों का जवाब देते हुए रमेश ने उपरोक्त टिप्पणी की। सवाल-जवाब के क्रम में केंद्रीय मंत्री ने कहा, '1984 के दंगे हम सब के लिए धब्बा है। यह कांग्रेस के लिए धब्बा है। यह देश के लिए कलंक है।' लेकिन उन्होंने सिख विरोधी दंगों की तुलना गुजरात दंगों से किए जाने संबंधी सवाल का पुरजोर विरोध किया। रमेश का कहना था, '2002 में गुजरात में जो कुछ हुआ, वह 60 वर्षो से जारी घृणा की अवधारणा की उपज थी।

उसकी जड़ में समुदाय विशेष के खिलाफ घृणा का भाव था।' केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश से पिछले दिनों एक टीवी चैनल को राहुल गांधी द्वारा दिए गए साक्षात्कार के बारे में सवाल पूछे गए थे। उक्त साक्षात्कार में राहुल ने सिख विरोधी दंगों और गुजरात दंगों की तुलना की थी।

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राहुल ने कहा था कि इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़की हिंसा को रोकने के लिए उस समय केंद्र की कांग्रेस सरकार ने दंगों को खत्म करने की पुरजोर कोशिश की थी। जबकि गुजरात में नरेंद्र मोदी की सरकार ने 2002 के दंगों में ठीक इसके विपरीत काम किया। इस पर रमेश ने कहा, 'इंटरव्यू में राहुल ने सही बात कही थी। इसका ही परिणाम था कि हम पंजाब में चुनाव जीते, फिर हारे और फिर जीते। सिखों ने हमारे पक्ष में भी मतदान किया। हमारे खिलाफ भी वोट दिया।'