Move to Jagran APP

दिल्ली एनसीआर के लिए राहत की खबर : जानें क्यों कह रहे हैं एक्सपर्ट्स, नहीं है बड़ा भूकंप आने की आशंका

दिल्‍ली-एनसीआर में लगातार आ रहे भूकंप के झटके लोगों को डरा रहे हैं। इनको देखते हुए कई सवाल लोगों के जहन में उठ रहे हैं। इनमें से एक किसी बड़े भूकंप की आशंका को लेकर है।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Mon, 08 Jun 2020 01:51 PM (IST)
दिल्ली एनसीआर के लिए राहत की खबर : जानें क्यों कह रहे हैं एक्सपर्ट्स, नहीं है बड़ा भूकंप आने की आशंका
नई दिल्‍ली (जेएनएन)। दिल्‍ली-एनसीआर के इलाके में बीते डेढ़ माह में करीब दस बार भूकंप का आना हर किसी के लिए एक बड़ा सवाल बना हुआ है। इनकी वजह से हर कोई दहशत में है और रह-रह कर उसके मन में सवाल उठ रहा है कि कहीं ये कि उसको लग रहा है कि ये कहीं किसी बड़े भूकंप की आहट तो नहीं है। ये सवाल बेबुनियाद नहीं है। जो लोग ये जानते हैं कि दिल्‍ली भूकंप के लिए बेहद संवेदनशील इलाके में है उनके लिए ये सवाल परेशान करने वाले जरूर हो सकते हैं। इन सवालों के जवाब पाने के लिए Jagran.com से कमल कान्‍त वर्मा ने पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय (Ministry of Earth Science) के 'जी' श्रेणी (Scientist G) के वैज्ञानिक डॉक्‍टर बीआर बंसल से बात की।

डरने की नहीं जरूरत

इस बातचीत के दौरान डॉक्‍टर बंसल ने उन अटकलों को खारिज कर दिया जिसमें लगातार आ रहे भूकंपों को किसी बड़े भूकंप की आहट बताया जा रहा है। उनके मुताबिक अभी तक जितने भी भू‍कंप दिल्‍ली-एनसीआर इलाके में आए हैं वो रिक्‍टर स्‍केल पर काफी कम मांपे गए हैं। इसके अलावा ये भूकंप किसी एक जगह न आकर अलग-अलग जगह पर आए हैं। इनका केंद्र अलग-अलग है और इनका सोर्स जोन भी अलग था। यही वजह है कि वे इन भूकंपों को किसी बड़े भूकंप की आहट नहीं मानते हैं। उनके मुताबिक इस तरह के भूकंप पहले भी आते रहे हैं। बीते दस वर्षों में दिल्‍ली में भूकंप आने की गतिविधियां तेज हुई हैं।

दस वर्षों में बढ़ी है भूकंप आने की घटनाएं

उनके मुताबिक इस दौरान 200-300 से अधिक भूकंप दर्ज किए गए हैं, लेकिन ये सभी बेहद कम मैग्निट्यूड के थे। इनमें केवल दो या तीन ही ऐसे थे जिनका मैग्निट्यूड 5 के आसपास रहा। उनका साफतौर पर कहना था कि लगातार आ रहे भूकंपों से डरने की जरूरत नहीं है। लेकिन जहां तक इसकी पूर्व सूचना की बात है ये करना बेहद मुश्किल हैं। हालांकि गुजरात के भुज मेंआए भूकंप के दौरान ऐसा देखा गया था कि वहां पर जबरदस्‍त भूकंप आने से पहले कुछ झटके लगे थे। उनका कहना है कि नेशनल सेंटर फॉर सिस्‍मोलॉजी (National Center for Seismology) दूसरे विशेषज्ञों से भी इस बारे में राय जानी है और यही नतीजा निकला है कि लगातार आने वाले कम मैग्निट्यूड के भूकंप से डरने की जरूरत नहीं है।

सिस्मिक जोन-4 में आती है दिल्‍ली

आपको बता दें कि भूकंप की तीव्रता के आधार पर पूरे देश को चार जोन में बांटा गया है। सिस्‍मोजॉनिक मैप के आधार पर दिल्‍ली जोन-4 में आती है। डॉक्‍टर बंसल के मुताबिक इस तरह के जोन में 8 की इंटेनसिटी के भूकंप की आशंका जताई जाती है। लेकिन इस इंटेनसिटी का अर्थ मैग्निट्यूड नहीं है। उनके मुताबिक मैग्निट्यूड में बदलाव नहीं होता है जबकि इंटेनसिटी भूकंप के केंद्र से प्रभावित होती है। इस जोन में 8 की इंटेनसिटी इसलिए रखी गई है क्‍योंकि जो हमारे हिमालय का क्षेत्र है वहां पर बड़े-बड़े सोर्स जोन हैं, ये बड़े भूकंप ला सकते हैं। इन सोर्स जोन की बदौलत दिल्‍ली में आने वाले भूकंप की इंटेनसिटी 8 हो सकती है।

इतिहास के कुछ बड़े भूकंप पर सवाल

बंसल का कहना है कि यदि इन जगहों पर 6 से ज्‍यादा मैग्निट्यूड का भूकंप आता है तो भी दिल्‍ली में इसकी इंटेनसिटी 8 हो सकती है। दिल्‍ली में इस तरह का भूकंप आने का जहां तक प्रश्‍न है तो इतिहास में जो भूकंप आए हैं उनकी क्षमता भी उस तरह की नहीं थी जो बताई गई। 1803 में मथुरा में आया भूकंप 6 मैग्निट्यूड से अधिक का बताया गया था। लेकिन जानकार मानते हैं कि ये गढ़वाल क्षेत्र का था। इतिहास के कुछ दूसरे बड़े भूकंप भी फिलहाल सवालों के घेरे में हैं। वहीं ये सब उस तकनीक से पहले के हैं जब से भारत में इन्‍हें तकनीक के आधार पर मापा जाने लगा है।

विश्‍वास करने लायक नहीं आंकड़े

अब तकनीक के आधार पर सभी रिकार्ड और आंकड़ों का विश्‍लेषण किया जाता है और उसके बाद में ये तय किया जाता है कि इसका असल में मैग्निट्यूड क्‍या था। उनका कहना है कि इतिहास में भारत में आए बड़े भूकंप की जहां तक बात की जाए तो उस वक्‍त के शोधकर्ताओं ने लोगों ने जो महसूस किया उसकी उस इंटेनसिटी को मैग्निट्यूड में बदलने की कोशिश की थी। यही वजह है कि उनके आंकड़ों पर विश्‍वास नहीं किया जा सकता है।

ये भी पढ़ें:- 

लगने वाला है इस वर्ष का दूसरा चंद्रग्रहण, जानें इसका पौराणिक और वैज्ञानिक महत्‍व 

जानें अमेरिकी राष्‍ट्रपति ट्रंप को क्‍यों करना पड़ा बंकर में जाने का फैसला, क्‍या है इसकी खासियत

अमेरिका को डर कहीं भारत छीन न ले उसकी महाशक्ति की कुर्सी, इसलिए खेला झूठ का दांव