सरकारी बंगले खाली नहीं कर रहे अधिकतर पूर्व मंत्री
लोकसभा चुनावों में धूल चाट चूके संप्रग सरकार के अधिकतर पूर्व मंत्री सरकारी बंगले खाली नहीं कर रहे हैं। बंगला खाली करने के लिए निर्धारित समय सीमा बृहस्पतिवार को समाप्त हो गई, लेकिन 55 में से अधिकांश पूर्व मंत्री वहां से हटने का नाम नहीं ले रहे हैं। उनके इस व्यवहार से आजिज शहरी विकास मंत्रालय ऐसे पूर्व
नई दिल्ली। लोकसभा चुनावों में धूल चाट चूके संप्रग सरकार के अधिकतर पूर्व मंत्री सरकारी बंगले खाली नहीं कर रहे हैं। बंगला खाली करने के लिए निर्धारित समय सीमा बृहस्पतिवार को समाप्त हो गई, लेकिन 55 में से अधिकांश पूर्व मंत्री वहां से हटने का नाम नहीं ले रहे हैं। उनके इस व्यवहार से आजिज शहरी विकास मंत्रालय ऐसे पूर्व मंत्रियों की सूची तैयार कर रहा है और उन्हें इस बारे में ताजा नोटिस जारी करेगा। शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू का कहना है, 'हम बंगला खाली करने की समय सीमा दो-तीन महीना तक नहीं बढ़ा सकते हैं। नियम ऐसा करने की इजाजत नहीं देते हैं।'
नायडू के अनुसार, 'मात्र कुछ ही मंत्रियों ने निर्धारित समय सीमा में अपना आवास खाली किया है। जबकि कुछ ने और समय देने की मांग की है।' संपदा निदेशालय के मुताबिक पूर्व गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे समेत कुछ ही नेताओं ने तय समय सीमा में अपना बंगला खाली किया है। एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है, 'पूर्व मंत्रियों के सरकारी बंगलों पर काबिज रहने के कारण मोदी सरकार के कई बड़े मंत्रियों को अपने पुराने आवास से ही काम चलाना पड़ रहा है।' मोदी सरकार के मंत्रियों में से 9 ने सांसद के रूप में मिले अपने पुराने आवास पर ही रहना पसंद किया है। जबकि 29 मंत्रियों को नए बंगले आवंटित किए गए हैं। लेकिन पूर्व मंत्रियों के बंगलों में डटे रहने के कारण अभी तक उन्हें आवास आवंटित नहीं किया जा सका है। जिन बड़े मंत्रियों को नए बंगले आवंटित किए गए हैं, उनमें गृह मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री अरुण जेटली, सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, रेल मंत्री सदानंद गौड़ा और कलराज मिश्र शामिल हैं। लेकिन पूर्व मंत्रियों के कारण इनमें से ज्यादातर को अपने पुराने आवास से ही काम चलाना पड़ रहा है। जबकि सुषमा स्वराज, वेंकैया नायडू, रामविलास पासवान, मेनका गांधी और रविशंकर प्रसाद ने अपने पुराने आवास में ही रहना पसंद किया है।