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राफेल एयरक्रॉफ्ट की खरीद पर भारत-फ्रांस के बीच MoU पर हस्ताक्षर

हैदराबाद हाउस में भारत और फ्रांस के बीच कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। राफेल एयरक्रॉफ्ट डील पर दोनों देशों के बीच एमओयू पर दस्तखत किए गए। इस मौके पर पीएम ने कहा कि दोनों देशों के बीच पिछले अठारह साल से सामरिक समझौता है।

By Rajesh KumarEdited By: Updated: Mon, 25 Jan 2016 03:53 PM (IST)
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नई दिल्ली। राष्ट्रपति ओलांद के भारत दौरे में सभी की निगाहें राफेल एयरक्रॉफ्ट डील पर टिकी हुईं थी। हैदराबाद हाउस मेें दोनों देशों के बीच चल रही बातचीत में सबसे अहम मुद्दा वित्तीय पक्ष का था। दोनों देशों ने वित्तीय पक्ष को फिलहाल एक किनारे करते हुए एमओयू और इंटर गवर्रनमेंटल एग्रीमेंट पर दस्तखत कर दिए। पीएम मोदी और राष्ट्रपति ओलांद ने कहा कि बहुत जल्द ही वित्तीय मामलों को सुलझा लिया जायेगा। दोनों देशों के बीच राफेल डील पर बोलते हुए ओलांद ने इंटर गवर्नमेंटल एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर को महत्वपूर्ण कदम बताया।

क्या है राफेल डील?

ओलांद की इस यात्रा में 36 राफेल फाइटर जेट डील पर सभी की निगाहें टिकी हुई थीं। दोनों देशों के बीच यह करीब 60,000 करोड़ रुपये की डील है। फ्रांस के राष्ट्रपति के साथ करीब 100 सदस्यों का एक प्रतिनिधिमंडल भी आया है। जिसमें डेसाल्ट एविएशन और डीसीएनएस के अधिकारी शामिल हैं। राफेल फाइटर जेट डेसाल्ट का ही ब्रांड है।फ्रांस को 36 राफेल लड़ाकू विमान भारत को देने हैं। यह सौदा रक्षा मंत्रालय के लिए सेना के आधुनिकीकरण के लिए बेहद जरूरी है.डील सिर्फ पैसे पर अटकी है। फ्रांसीसी कंपनी की कीमत भारत को मंजूर नहीं है।विमान दसॉल्ट एविएशन बना रही है और भारत को उसे टेक्नोलॉजी भी देनी है।

राफेल सौदे पर चल रहा तगड़ा मोलभाव

क्यों महत्वपूर्ण है राफेल ?

राफेल खरीद जितना भारत के लिए जरूरी है उतनी ही जरूरत फ्रांस को भी है। इस डील से फ्रांस को प्रति विमान 7.5 से 10 करोड़ यूरो (करीब 555 से 740 करोड़ रुपये) के बीच मिलेगा। यह उसकी बिगड़ती आर्थिक स्थिति के लिए उपयोगी साबित होगा। अगर भारत ने राफेल खरीदने का फैसला नहीं किया होता तो इसे बनाने वाली कंपनी "दासो" में तालाबंदी हो गई होती। भारत के लिए इस डील का सबसे बड़ा फायदा ये है कि भारतीय वायुसेना की मारक क्षमता बढ़ जाएगी।

पीएम मोदी ने ओलांद से कहा कि गणतंत्र दिवस के अवसर पर आप का यहां मेरे और भारत दोनों के लिए गौरव की बात है।पीएम मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति ओलांद के बीच हैदराबाद हाउस में बातचीत हुई।

राष्ट्रपति भवन में ओलांद का हुआ औपचारिक स्वागत

क्या हुआ अब तक ?

राष्ट्रपति ओलांद का राष्ट्रपति भवन में औपचारिक स्वागत

राजघाट जाकर ओलांद ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को दी श्रद्धांजलि

राजघाट पर किया वृक्षारोपण

आतंक के खिलाफ दुनिया को एक साथ आने की अपील की । आइएस के खात्मे के लिए फ्रांस के संकल्प को दोहराया।

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और ओलांद के बीच मुलाकात हुई।

फ्रांस के वित्त मंत्री ने कहा कि भारत सरकार ने जिन आर्थिक सुधारों को लागू किया है उसे जारी रखने की जरूरत है।

पढ़ेंः जानिए क्या है राफेल विमान की खासियत

आतंकवाद पर कड़ा बयान

हैदराबाद हाउस में ओलांद से बातचीत के बाद पीएम ने कहा कि दोनों देशों के बीच पिछले अठारह साल से सामरिक समझौता है। इसे और पुख्ता करने की जरूरत है। आतंकवाद पर बोलते हुए पीएम ने कहा कि पेरिस से लेकर पठानकोट तक दुनिया ने आतंकवाद का भयावह चेहरा देखा है। आतंकवाद को कुचलने के लिए मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है।

राष्ट्रपति भवन में औपचारिक स्वागत के बाद आतंकवाद के खिलाफ ओलांद ने कड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि दुनिया को दहशतगर्दों से बचाने के लिए सभी को एक साथ आने की जरूरत है। फ्रांस आतंकी संगठन आइएस के खात्मे के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि आतंकवाद किसी एक देश की सीमा में नहीं बंधा हुआ है। आज दुनिया के विकास में सबसे बड़ा रोड़ा आतंकी संगठन बने हुए हैं। भारत की चिंता को जायज बताया और कहा कि फ्रांस पूरी तरह से भारत के साथ है।

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परमाणु रिएक्टरों पर समझौता

फ्रांस के सहयोग से भारत में बनने वाले छह परमाणु रिएक्टरों की डेडलाइन जल्द ही तय हो सकती है। ये परमाणु रिएक्टर फ्रेंच कंपनी अरेवा बनाएगी। सूत्रों के मुताबिक, इसका ऐलान सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद की द्विपक्षीय बातचीत के बाद इसका हो सकता है।

भारत एक साथ दो रिएक्टर बनाने के रूसी मॉडल को छोड़कर आगे बढ़ गया है। अब सभी छह रिएक्टरों पर एक साथ काम शुरू किया जाएगा। यह प्रधानमंत्री मोदी के महत्वाकांक्षी मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट के लिहाज से भी अहम माना जा रहा है। क्योंकि सप्लायरों के लिए दो की बजाय छह रिएक्टरों पर टेक्नोलॉजी में इन्वेस्टमेंट ज्यादा फायदेमंद होगा।

अब तक भारत एक साथ दो रिएक्टर शुरू करने का कुडनकुलम वाला तरीका ही अपना रहा था। इससे ऐसे सप्लायरों को निराशा होती थी, जो भारत में ज्यादा निवेश करने का विकल्प खोज रहे थे। साथ ही, इसे पर्यावरण के लिहाज से भी बेहतर कदम माना जा रहा है। इससे सीओपी 21 के तहत की गई उत्सर्जन घटाने की प्रतिबद्धता भी पूरी होती है।

अंतरिक्ष क्षेत्र में होगा समझौता

फ्रांस के अधिकारियों के मुताबिक, इस समय अंतरिक्ष के क्षेत्र में महत्वपूर्ण घोषणाएं हो सकती है। जलवायु परिवर्तन के अवलोकन और उसकी रोकथाम से संबंधित अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक नई परियोजना का एलान हो सकता है। पवन ऊर्जा के क्षेत्र में भी नई परियोजना की घोषणा हो सकती है। साथ ही, निवेश का भी एलान होगा। इसमें समुद्री जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में सहयोग पर भी सहयोग बढ़ाने की बात हो सकती है।