दिल्ली में भाजपा की अगुवाई में सरकार बनने की तेज होती कवायदों से सूबे का राजनीतिक तापमान गरमा गया है। अब तक कांग्रेस के विधायकों पर भाजपा की सरकार बनवाने का आरोप लगाती रही आम आदमी पार्टी के नेता अब कह रहे हैं कि भाजपा सरकार बनाने के लिए उसके विधायकों को तोड़ने का प्रयास कर रही है।
By Edited By: Updated: Sat, 09 Aug 2014 07:45 PM (IST)
नई दिल्ली (राज्य ब्यूरो)। दिल्ली में भाजपा की अगुवाई में सरकार बनने की तेज होती कवायदों से सूबे का राजनीतिक तापमान गरमा गया है। अब तक कांग्रेस के विधायकों पर भाजपा की सरकार बनवाने का आरोप लगाती रही आम आदमी पार्टी के नेता अब कह रहे हैं कि भाजपा सरकार बनाने के लिए उसके विधायकों को तोड़ने का प्रयास कर रही है। इधर कांग्रेस ने इस मामले की न्यायिक जांच कराने की मांग की है। आपको बता दें कि ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि 15 अगस्त के बाद दिल्ली में भाजपा की अगुवाई वाली सरकार बन सकती है।
बहुमत से चंद कदम पीछे खड़ी भाजपा के नेताओं ने इस दिशा में प्रयास भी तेज कर दिए हैं। पार्टी को सरकार बनाने में आप के विधायकों का समर्थन हासिल हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाल ही में केंद्र सरकार से दिल्ली में सरकार बनाने की दिशा में की गई पहल को लेकर जानकारी मांगे जाने और पांच सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने का आदेश दिए जाने के बाद से राजधानी में सियासत गरमाई हुई है। तीन सदस्यों के इस्तीफे के बाद से 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा में बहुमत के आंकड़े तक पहुंचने के लिए कम से कम 34 विधायकों की जरूरत है। अकाली दल के साथ भाजपा के 29 विधायक हैं जबकि एक निर्दलीय व एक असंबद्ध सदस्य का समर्थन भी उसे हासिल है। इसके बावजूद उसे कम से कम तीन सदस्यों का समर्थन चाहिए।
बताया जा रहा है कि आप के कुछ विधायक अपनी सदस्यता दांव पर लगाकर भी भाजपा को सरकार बनाने में सहयोग देने को तैयार हैं। मामले में प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता मुकेश शर्मा ने कहा कि पूरे मामले की न्यायिक जांच कराई जानी चाहिए। यदि आप विधायकों की खरीद-फरोख्त की बात हो रही है तो अरविंद केजरीवाल को इस मामले में मुकदमा दर्ज कराना चाहिए। पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की होगी कोशिश
भाजपा यदि दिल्ली में अपनी सरकार बनाने में कामयाब हो गई तो सूबे को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने को लेकर नई सरकार की ओर से गंभीर पहल किए जाने के संकेत हैं। यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर पार्टी को सभी दलों का समर्थन भी मिलेगा और उसकी लोकप्रियता का ग्राफ भी बढ़ेगा। दिल्ली में भाजपा की सरकार बनवाने की मुहिम में जुटे नेताओं की मानें तो सरकार बनने के साथ ही दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को पूरा करने के लिए नई सरकार केंद्र सरकार से इस संबंध में बातचीत करेगी। पार्टी नेताओं के अनुसार इस मुद्दे पर गंभीरता से पहल की जाएगी। आपको बता दें कि वर्ष 1993 में दिल्ली में विधानसभा के गठन के बाद से ही दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की मांग होती रही है। इस संबंध में दिल्ली विधानसभा ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजा। सूबे में 20 वर्षो तक शासन करने वाली कांग्रेस व भाजपा दोनों ने इस मुद्दे पर एक ही राग अलापा। लेकिन दिल्ली को अब तक पूर्ण राज्य का दर्जा हासिल नहीं हो पाया। आप भी दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने के पक्ष में है। जानकार सूत्रों का कहना है कि नई सरकार का गठन होने की सूरत में यदि भाजपा ने सदन में इससे संबंधित कोई प्रस्ताव पेश किया तो उसे चौतरफा समर्थन मिलना तय है। इससे भाजपा एक तीर से कई निशाने लगाने में कामयाब हो सकती है। दिल्ली में वीवीआइपी लोगों की सुरक्षा का हवाला देकर न तो दिल्ली पुलिस को सूबे की सरकार के अधीन लाया गया और न ही डीडीए को। परिणाम यह हुआ है कि न तो राज्य सरकार को शहर की जमीन पर मालिकाना हक हासिल हुआ और न ही यहां की सुरक्षा व्यवस्था के मामले में ही उसकी कोई सुनने वाला है। दोनों मामले केंद्र सरकार के अधीन हैं। परिणाम यह है कि अपनी विकास योजनाओं को अमलीजामा पहनाने में दिल्ली सरकार को भारी मुसीबत उठानी पड़ती है।