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चौरासी कोसी परिक्रमा पर संसद में उबाल

उत्तर प्रदेश में सपा बनाम भाजपा की लड़ाई बनाने की कवायद संसद में 'फिक्स' हो गई। विहिप की चौरासी कोसी परिक्रमा पर प्रतिबंध को लेकर सपा और भाजपा ने एक दूसरे पर आरोपों के तीखे वार करते हुए यह सुनिश्चित कर लिया कि इस जंग में कांग्रेस और बसपा जैसे दूसरे खिलाड़ी बाहर ही दिखें। सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने वर्ष उन्नीस सौ नब्बे का हवाला देते हुए सख्ती का संकेत दिया। वहीं भाजपा के सांसद योगी आदित्यनाथ ने मुस्लिम तुष्टीकरण और उत्तर प्रदेश में हुए दंगों का हवाला देते हुए राज्य सरकार की बर्खास्तगी की मांग कर दी।

By Edited By: Updated: Tue, 27 Aug 2013 04:51 AM (IST)
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जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में सपा बनाम भाजपा की लड़ाई बनाने की कवायद संसद में 'फिक्स' हो गई। विहिप की चौरासी कोसी परिक्रमा पर प्रतिबंध को लेकर सपा और भाजपा ने एक दूसरे पर आरोपों के तीखे वार करते हुए यह सुनिश्चित कर लिया कि इस जंग में कांग्रेस और बसपा जैसे दूसरे खिलाड़ी बाहर ही दिखें। सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने वर्ष उन्नीस सौ नब्बे का हवाला देते हुए सख्ती का संकेत दिया। वहीं, भाजपा के सांसद योगी आदित्यनाथ ने मुस्लिम तुष्टीकरण और उत्तर प्रदेश में हुए दंगों का हवाला देते हुए राज्य सरकार की बर्खास्तगी की मांग कर दी।

पढ़ें: चौरासी कोसी परिक्त्रमा पर संसद में उबाल

अयोध्या की परिक्रमा भले ही धार्मिक हो और उस पर पाबंदी प्रशासनिक हो, इसका राजनीतिक पहलू नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। सोमवार को संसद के दोनों सदनों में इसकी झलक भी दिखी। लोकसभा में मुलायम ने 1990 की याद दिलाते हुए कहा कि फिर से राम मंदिर के नाम पर उन्माद फैलाने की कोशिश होगी तो वह सख्त कार्रवाई करेंगे। उन्होंने कहा कि वह संविधान की रक्षा कर रहे हैं। कोर्ट ने भी अयोध्या में यथास्थिति बनाए रखने की बात कही है। लेकिन भाजपा वोटबैंक की राजनीति कर रही है। सपा उन्हें दंगा कराने में कामयाब नहीं होने देगी। पलटवार करते हुए योगी ने भी हिंदूवादी एजेंडा उठाया। उन्होंने राज्य में हुए एक दर्जन से ज्यादा दंगों की याद दिलाते हुए कहा कि उसमें हिंदू ज्यादा मारे गए हैं। मामले को और गरमाते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार जेहादी आतंकियों के खिलाफ मुकदमे वापस ले रही है, लेकिन संतो की परिक्रमा से सपा को आपत्ति है। योगी ने कहा कि परिक्रमा अयोध्या से काफी दूर हो रही थी लिहाजा मंदिर की यथास्थिति को भी कोई खतरा नहीं था। लेकिन अल्पसंख्यकों को खुश करने के लिए पाबंदी लगा दी गई। योगी मुलायम के समाजवाद पर भी बरसे और आरोप लगाया कि वह परिवारवाद के प्रतीक हैं। इस पूरे आरोप-प्रत्यारोप में लोकसभा में कांग्रेस या बसपा को कोई मौका नहीं मिला।

पढ़ें: सिंहल, तोगड़िया समेत 1042 रिहाराज्यसभा में जरूर बसपा सुप्रीमो मायावती ने इसके लिए सपा और भाजपा दोनों को जिम्मेदार बताते हुए राष्ट्रपति शासन की मांग की। सपा के नरेश अग्रवाल और भाजपा के विनय कटियार ने एक-दूसरे पर सवाल उठाए। पूरे घटनाक्रम की वस्तुस्थिति जो भी हो, भाजपा और सपा नेताओं की आपसी लड़ाई ने यह माहौल बना दिया कि राज्य की राजनीतिक लड़ाई उन दोनों के बीच ही है। दरअसल राजनीतिक रूप से यह दोनों दलों को रास भी आता है। मुलायम किसी कीमत पर अल्पसंख्यक मतों में कांग्रेस को कोई हिस्सा देना नहीं चाहते हैं। जबकि प्रत्यक्ष रूप से परिक्रमा से दूर खड़ी भाजपा ने विहिप के साथ खड़े होकर यह संकेत दे दिया कि राम मंदिर उनसे दूर नहीं गया है।

किसने, क्या कहा

''दंगा फैलाने की कोशिश हुई तो वर्ष 1990 की तरह सख्त कार्रवाई करेंगे।''

-मुलायम सिंह यादव, सपा अध्यक्ष

''उत्तर प्रदेश सरकार जेहादियों पर रहम और संतों पर सख्ती कर रही है।''

-योगी आदित्यनाथ, भाजपा सांसद

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