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लोकसभा में मुलायम भरोसे कांग्रेस

लोकसभा में सत्ता पक्ष को घेरने के लिए विपक्ष को एक करने में असफल कांग्रेस को अब मुलायम के समर्थन की दरकार है। कांग्रेस को लगता है कि सांप्रदायिकता के खिलाफ मजबूत साख रखने वाले मुलायम सिंह की छवि विपक्ष को एक करने में मददगार हो सकती है। दरअसल, लोकसभा में महज 44 सीटों पर सिमटी कांग्रे

By Edited By: Updated: Fri, 18 Jul 2014 10:18 PM (IST)
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जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। लोकसभा में सत्ता पक्ष को घेरने के लिए विपक्ष को एक करने में असफल कांग्रेस को अब मुलायम के समर्थन की दरकार है। कांग्रेस को लगता है कि सांप्रदायिकता के खिलाफ मजबूत साख रखने वाले मुलायम सिंह की छवि विपक्ष को एक करने में मददगार हो सकती है। दरअसल, लोकसभा में महज 44 सीटों पर सिमटी कांग्रेस के पास लोकसभा में संसदीय दल के नेता व मुख्य सचेतक जैसे पदों पर अनुभवी नेताओं का अभाव है। ऐसे में 'फ्लोर मैनेजमेंट' को लेकर पार्टी अब सपा से संपर्क साध रही है।

लोकसभा में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, उप नेता कैप्टन अमरिंदर सिह, मुख्य सचेतक ज्योतिरादित्य सिंधिया ऐसे नाम हैं जिन पर सदन में कांग्रेस की रणनीति को कारगर बनाने का दारोमदार है। इन नेताओं को इन जिम्मेदारियों को लेकर कम अनुभव सरकार को 'वाक ओवर' मिलने जैसा है। प्रधानमंत्री के सचिव नृपेंद्र मिश्र के मुद्दे को लेकर पार्टी जिस तरह से विपक्ष में बिखराव को रोकने में नाकाम रही उसके बाद पार्टी लोकसभा में फ्लोर मैनेजमेंट की अपनी रणनीति पर दोबारा विचार करने पर मजबूर हो गई है। सत्ता में रहते हुए अलग-अलग मुद्दों पर वामदलों, तृणमूल व अन्नाद्रमुक से संबध बिगाड़ चुकी कांग्रेस के लिए विपक्ष के रूप में इन दलों से सहानुभूति पाना भी बेहद मुश्किल हो गया है। ऐसे में कांग्रेस को अहसास हो गया है कि विपक्ष को एक रखने के लिए उसे कुछ नया सोचना पड़ेगा। विपक्ष को एकजुट कर सत्ता को चुनौती देने के लिए कांग्रेस पार्टी ने सपा से संपर्क साधा है। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस के बड़े नेता सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह से संपर्क में हैं। पार्टी चाहती है कि नेताजी सदन में विपक्षी एकता को मजबूत करने का काम करें। कांग्रेस को उम्मीद है कि सांप्रदायिक ताकतों से लड़ने की मुलायम की साख विपक्ष को एक सूत्र में बांधने में कामयाब रहेगी।

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