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नई बस्ती हत्याकांड: डीजे की आवाज में दब गई चीख पुकार

गाजियाबाद के एक मकान में जब एक आयोजन के अवसर पर डीजे की आवाज में लोग उत्सव मना रहे थे, तब कुछ ही मीटर दूर स्थित सतीश के मकान के अंदर लोग खून की होली खेल रहे थे। डीजे की आवाज में लोगों की चीख पुकार दब कर रह गई और अगले दिन घटना का पता चल सका। घटना स्थल व आसपास की परिस्थिति से यह पता चल

By Edited By: Updated: Thu, 23 May 2013 09:10 AM (IST)

गाजियाबाद [आशुतोष यादव]। गाजियाबाद के एक मकान में जब एक आयोजन के अवसर पर डीजे की आवाज में लोग उत्सव मना रहे थे, तब कुछ ही मीटर दूर स्थित सतीश के मकान के अंदर लोग खून की होली खेल रहे थे। डीजे की आवाज में लोगों की चीख पुकार दब कर रह गई और अगले दिन घटना का पता चल सका।

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घटना स्थल व आसपास की परिस्थिति से यह पता चलता है कि हत्यारे परिवार के साथ पूरी तरह से घुले मिले थे। उन्हें यह भी पता था कि इस समय दुकान पर कौन है और उसे कैसे बुलाया जा सकता है। उन्हें यह तक मालूम था कि यहां एक आयोजन होने वाला है, जिसके शोर में लोगों की चीख पुकार दब जाएगी।

उल्लेखनीय है कि मंगलवार की रात नौ बजे से 11 बजे के बीच नई बस्ती इलाके में बिल्डर, कारोबारी व प्रापर्टी डीलर सतीश गोयल समेत परिवार के सात लोगों की हत्या कर दी गई। गाजियाबाद के एसएसपी बताते हैं कि इस बात की पूरी गुंजाइश है कि हत्यारों ने पहले रेकी की। उन्हें छत से बाहर निकलने का रास्ता पता था। इस बात की भी पूरी गुंजाइश है कि वे मुख्य दरवाजे बाहर निकले। हालांकि निशान नहीं मिले हैं।

जैसा कि अमूमन होता है कि घटना के बाद से आसपास में चर्चा का बाजार गर्म होता है, लेकिन कोई खुलकर नहीं बोल रहा है। जिस मकान में सात लोगों की हत्या की गई, उसके आगे की सड़क महज दस फुट या इससे कम चौड़ी है। पास में ही एक दवा की दुकान है। मकानों की छत से छत आपस में सटी हैं। कहीं भी आवाज हो और सामने वाले को पता न चले, इसकी कोई गुंजाइश ही नहीं है।

आमतौर पर प्रतिदिन सतीश व सचिन रात दस से साढ़े दस बजे दुकान बंद कर घर आते थे, लेकिन मंगलवार को सतीश पहले घर आ गया था और सचिन को आठ बजे किसी ने फोन कर घर बुलाया था। दुकान एक नौकर ने बंद की थी। बुधवार को पड़ोस में शादी समारोह था और मंगलवार को गीत संगीत का कार्यक्रम था। उससे रात करीब साढ़े आठ बजे से साढ़े 11 बजे तक डीजे बज रहा था। हत्यारों ने इसका भी फायदा उठाया।

बिल्डर सतीश गोयल उर्फ गेंडा ने करीब 15 साल पहले प्रापर्टी के काम में हाथ आजमाया था। देखते ही देखते अच्छा खासा प्रभाव जमा लिया था। सतीश का दादालाई (पुश्तैनी) काम आढ़त का था। उसे तीनों भाई साझे में देखते थे। बाद में सतीश अपने दोनों भाइयों से अलग हो गए। उन्होंने खल चूरी का थोक का काम शुरू किया। खलचूरी का काम ठीक ठाक चल रहा था लेकिन करीब 15 साल पहले सतीश ने प्रापर्टी में हाथ आजमाना शुरू किया और फिर वापस मुड़कर नहीं देखा।

सतीश ने नई बस्ती के अलावा घंटाघर व पुराने-शहर में कई प्रापर्टी खरीदी और बेची। उन्होंने पुरानी संपत्ति खरीदकर उसमें दुकानें बनाकर या फ्लैट बनाने के कार्य से मुनाफा कमाया। चर्चा है कि इस दौरान उन्होंने कई विवादित प्रापर्टी भी खरीदी। पिछले दिनों नेहरू नगर में भी सतीश ने एक प्रापर्टी खरीदी थी, जिस पर विवाद हुआ था। बाद में समझौता हो गया था। सतीश के पास करोड़ों की संपत्ति हो गई थी।

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