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मुजफ्फरनगर दंगा: सपा नेता के 'गुनाह' की अनदेखी क्यों?

शासन-प्रशासन का भेदभावपूर्ण रवैया मुजफ्फरनगर दंगों के लिए दोषी माना जा रहा है। इस रवैए और सरकार की नीति का ही आलम रहा कि एक छोटी सी घटना नासूर बन गई और देखते ही देखते चार दर्जन से ज्यादा लाशें बिछ गई। दो कौमों के बीच की खाई इतनी चौड़ी हो गई जिसे भरने में लंबा वक्त लगेगा। फिलहाल दंगा थम चुका है

By Edited By: Updated: Fri, 20 Sep 2013 10:57 AM (IST)
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मुजफ्फरनगर, जासं। शासन-प्रशासन का भेदभावपूर्ण रवैया मुजफ्फरनगर दंगों के लिए दोषी माना जा रहा है। इस रवैए और सरकार की नीति का ही आलम रहा कि एक छोटी सी घटना नासूर बन गई और देखते ही देखते चार दर्जन से ज्यादा लाशें बिछ गई। दो कौमों के बीच की खाई इतनी चौड़ी हो गई जिसे भरने में लंबा वक्त लगेगा। फिलहाल दंगा थम चुका है, लेकिन शासन-प्रशासन सबक लेता नजर नहीं आ रहा है।

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दंगों के लिए जिन नेताओं के खिलाफ वारंट जारी किया गया उस सूची में भाजपा से लेकर बसपा, कांग्रेस और भारतीय किसान यूनियन के नेता तक के नाम हैं, लेकिन सपा के पूर्व प्रदेश सचिव राशिद सिद्दिकी का कोई जिक्र भी नहीं है। बसपा सांसद कादिर राना व जिन अन्य नेताओं पर कवाल की वारदात के बाद 30 अगस्त को भड़काऊ भाषण देने का आरोप है, उस सभा में राशिद की मौजूदगी पर प्रदेश सरकार ने आंख मूंद ली। महापंचायत में भी भड़काऊ भाषण देने के आरोपियों के नाम का वारंट तक जारी कर दिया गया। इन दोनों ही मामलों में सभी नेताओं की पहले नामजदगी हुई और फिर गिरफ्तारी का वारंट भी जारी हुआ लेकिन सरकार ही अपने नेता की ढाल बन गई और तमाम तथ्यों को नजरअंदाज कर प्रशासन के माध्यम से राशिद सिद्दिकी को खुद ही पाक- साफ करार दिया है। जबकि सच्चाई यह है कि 30 अगस्त को शहीद चौक पर जो पंचायत हुई, उसमें आयोजन से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों को ज्ञापन सौंपने तक में राशिद की सक्रियता स्पष्ट दिखती है।

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दंगा प्रकरण में 16 के खिलाफ वारंट जारी होने और इसमें से सपा सचिव राशिद सिद्दिकी के नाम को अलग रखने से राजनैतिक दलों ने भी सरकार पर हमला बोलना शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि इसी तरह के पक्षपात से आग लगी, लेकिन सरकार का पक्षपात अभी जारी है।

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सपा नेता तो कभी गलती करते ही नहीं

जिस समय मुजफ्फरनगर दंगे का जायजा लेने मुख्यमंत्री अखिलेश सिंह यहां पहुंचे थे और दंगा भड़काने में भूमिका निभाने वालों पर कठोर कार्रवाई की बात कर रहे थे। उस वक्त भी उनके पास ही राशिद बैठे थे। क्या कार्रवाई की शुरुआत अखिलेश सरकार अपनी पार्टी से शुरू करेगी तो जो अखिलेश ने जवाब दिया, उससे ही साबित हो गया था कि पार्टी राशिद को बचाने में हर तरह से साथ है।

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सीएम का जवाब था, सपा के लोग ऐसा काम नहीं करते जिससे कि एकता को खतरा होता हो।

किस सभा में कौन था हाईप्रोफाइल मुस्लिमों ने शहीद चौक की पंचायत किया था और इसमें शामिल लोग थे ं सांसद कादिर राना, पूर्व सांसद सईदुज्जमा, उनके पुत्र सलमान सईद, बसपा विधायक नूर सलीम राना, मीरापुर के विधायक मौलाना जमील, सपा के सचिव राशिद सिद्दिकी, सभासद असद जमा, पूर्व सभासद नौशाद कुरैशी, कारोबारी एहसान कुरैशी।

जाटों के नंगला मंदौड़ की महापंचायत में चौ. नरेश टिकैत, चौ. राकेश टिकैत, विधायक हुकुम सिंह, विधायक संगीत सोम, विधायक कुंवर भारतेंद्र, विधायक सुरेश राणा, साध्वी प्राची, स्वामी ओमवेश, बाबा हरकिशन सिंह मलिक, अजित राठी, हरपाल सिंह, मास्टर चंद्रपाल, बिट्टू आदि।

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