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मुजफ्फरनगर में पुलिस के सामने हुआ था दंगा

सरकार मुजफ्फरनगर के दंगे को लेकर एक खबरिया चैनल के स्टिंग ऑपरेशन का सच जानने में जुट गई है। शासन स्तर से आइजी मेरठ को स्टिंग की सीडी का परीक्षण कर रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए गये हैं। डीजीपी कार्यालय में भी इस सीडी का परीक्षण हो रहा है। वहीं, इस खुलासे के बाद मुजफ्फरनगर शहर में भी

By Edited By: Updated: Thu, 19 Sep 2013 01:22 AM (IST)
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जागरण संवाददाता, लखनऊ। सरकार मुजफ्फरनगर दंगे को लेकर एक खबरिया चैनल के स्टिंग ऑपरेशन का सच जानने में जुट गई है। शासन स्तर से आइजी मेरठ को स्टिंग की सीडी का परीक्षण कर रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए गए हैं।

डीजीपी कार्यालय में भी इस सीडी का परीक्षण हो रहा है। वहीं, इस खुलासे के बाद मुजफ्फरनगर शहर में भी सियासी बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है। पुलिस और प्रशासनिक अफसरों के लिए स्टिंग गले की हड्डी बन गया है। टीवी चैनल के बुधवार को दिखाए स्टिंग ऑपरेशन के दूसरे हिस्से में कई पुलिसकर्मी साफ कह रहे हैं कि हिंसा पुलिस की मौजूदगी में शुरू हुई और पुलिस कुछ नहीं कर पाई। विशेष दंगा ड्यूटी पर तैनात एसपी राम अभिलाष तो यहां तक कहते नजर आए कि अब तक पुलिस की कार्रवाई में दोनों पक्षों के बलवाई छुए तक नहीं गए हैं।

एसओ भोपा पर गिरी स्टिंग की गाज

चैनल के स्टिंग ऑपरेशन में जौली गंगनहर पर हुए हमले की कहानी बयां करने पर एसओ भोपा पर गाज गिर गई। इंस्पेक्टर विजय सिंह को भोपा एसओ बनाया गया है। स्टिंग में सीओ जानसठ जेआर जोशी, एसडीएम जानसठ, एसओ भोपा समरपाल सिंह, मीरापुर एसओ अनिरुद्ध गौतम, फुगाना के सेकंड अफसर आरएस भागौर को हिंसा के बारे में बताते हुए दिखाया गया था। बौखलाए अधिकारियों ने मंगलवार रात में ही फुगाना के कार्यवाहक एसओ आरएस भागौर को लाइन हाजिर कर दिया।

स्टिंग ऑपरेशन का दूसरा हिस्सा देखने के बाद बुधवार रात एसएसपी ने भोपा इंस्पेक्टर समरपाल सिंह को लाइन हाजिर कर दिया। उधर, जब एसएसपी से इस संबंध में बात करने का प्रयास किया गया तो उनसे संपर्क नहीं हो सका।

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