पश्चिम उत्तर प्रदेश के दंगों को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार और सपा की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। अदालत का रुख सरकार के लिए नई मुसीबत है जबकि इंटेलीजेंस ब्यूरो की रिपोर्ट सरकार की सुस्ती ही नहीं रा'य के मंत्री व अफसरों की भूमिका को भी कठघरे में खड़ा कर रही है। मंगलवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने सपा सरकार के दौरान हुए सभी दंगों पर सरकार से जवाब तलब किया। दंगा पीड़ितों के राहत प्रबंधन को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहले से ही सुनवाई कर रहा ह
By Edited By: Updated: Wed, 18 Sep 2013 10:13 AM (IST)
जागरण ब्यूरो, लखनऊ। पश्चिम उत्तर प्रदेश के दंगों को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार और सपा की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। अदालत का रुख सरकार के लिए नई मुसीबत है, जबकि इंटेलीजेंस ब्यूरो की रिपोर्ट सरकार की सुस्ती ही नहीं राज्य के मंत्री व अफसरों की भूमिका को भी कठघरे में खड़ा कर रही है। मंगलवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने सपा सरकार के दौरान हुए सभी दंगों पर सरकार से जवाब तलब किया। दंगा पीड़ितों के राहत प्रबंधन को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहले से ही सुनवाई कर रहा है। बुधवार को विधानसभा में सरकार पर विपक्ष के हमले और तेज हो सकते हैं।
दंगों की अन्य खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें अदालतों के सवाल : हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के जस्टिस इम्तियाज मुर्तजा और जस्टिस अरविंद कुमार त्रिपाठी की बेंच ने सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर की याचिका पर सपा सरकार में हुए सभी दंगों पर दो सप्ताह में जवाब मांगा है। राज्य के अपर महाधिवक्ता को सुप्रीम कोर्ट और इलाहाबाद बेंच में दंगों के संबंध में दायर मुकदमों की स्थिति से भी अवगत कराने को कहा गया है। याचिका में मौजूदा सरकार और उसके अधिकारियों पर एक समुदाय के प्रति झुकाव और अभियुक्तों के खिलाफ कार्रवाई में शिथिलता बरतने का आरोप है। उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दंगे की बाबत दायर याचिका पर सुनवाई करेगा।
आइबी की रिपोर्ट : दंगों पर इंटेलीजेंस ब्यूरो की रिपोर्ट में कहा गया है कि मुजफ्फरनगर का दंगा रुक सकता था, लेकिन सरकार ने ही पुलिस प्रशासन के हाथ बांध दिए थे। अलर्ट के बावजूद संबंधित इलाकों में न तो फोर्स बढ़ाई गई और न कोई एक्शन प्लान बना। आइबी सूत्रों के मुताबिक कवाल के तिहरे हत्याकांड के बाद यदि निष्पक्ष कार्रवाई होती तो बवाल नहीं बढ़ता, लेकिन सरकार में नंबर दो की हैसियत वाले एक मंत्री ने पुलिस प्रशासन को कार्रवाई न करने के निर्देश दिए थे।
इस संदर्भ में गृह सचिव कमल सक्सेना का कहना है कि आइबी ने क्या रिपोर्ट भेजी यह नहीं मालूम है, लेकिन शासन से त्वरित कार्रवाई के निर्देश हमेशा दिए गए हैं।
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