आधार कार्ड अनिवार्य नहीं, जरुरत पड़ी तो आवश्यक निर्देश जारी करेंगे: नायडू
संसद में आधार कार्ड के मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि यदि आवश्यकता पड़ी तो आवश्यक निर्देश जारी किये जाएंगे।
नई दिल्ली, (जेएनएन)। आधार कार्ड मुद्दे पर सरकार ने विपक्षी दलों द्वारा उठाई गयी चिंता पर संज्ञान लिया। केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि 'आधार कार्ड अनिवार्य नहीं है। यदि आवश्यकता पड़ी तो आवश्यक निर्देश जारी किये जाएंगे।'
उन्होंने आगे कहा 'यह योजना आज की आवश्यकता है। मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि जल्द ही आवश्यक स्पष्टीकरण जारी हो सकें।' उन्होंने कहा कि इसकी मदद से भ्रष्टाचार, बिचौलियों एवं लीकेज को रोकने में मदद मिलती है। उन्होंने कहा कि आधार को तब तक अनिवार्य नहीं बनाया जाएगा जब तक कि पूरी आबादी को इस प्रकार के कार्ड या संख्या नहीं मिल जाती।
वहीं पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा 'जिन लोगों के पास आधार कार्ड नहीं है उन्हें अगले तीन माह के भीतर इसे लेने को कहा गया है। उनकी रसोई गैस सब्सिडी को अलग रखा जाएगा। इसे काटा नहीं जाएगा।' उन्होंने कहा कि 85 प्रतिशत आबादी को आधार कार्ड मिल गया है तथा इसकी उपलब्धता को अब राज्य सरकारों के प्रयासों से आगे बढ़ाया जा सकता है।
शुरू हुआ आधार कार्ड तैयार का कार्य
वहीं जदयू के नेता शरद यादव ने कहा कि गरीबों को प्रभावित करने वाले फैसले पूरी संवेदनशीलता के साथ किए जाने चाहिए। माकपा के तपन कुमार सेन ने कहा कि प्रत्येक नकदी अंतरण केवल आधार कार्ड तक सीमित नहीं है बल्कि लाभ लाभार्थी के बैंक खाते में जाता है। यह मुद्दा खाते एवं बैंक शाखा खोलने से भी जुड़ा है।
सपा के नरेश अग्रवाल ने कहा कि केन्द्र ने तीन विभागीय आदेश भेजे हैं जिसमें राज्य सरकारों से बिना आधार कार्ड वाले राशनकार्ड धारकों को जन वितरण प्रणाली :पीडीएस: के तहत मिलने वाली आपूर्ति रोकने तथा उनकी पेंशन एवं रसोई गैस सब्सिडी खत्म करने को कहा है।
तृणमूल कांग्रेस के सुखेन्दु शेखर राय ने कहा कि क्या सरकार उच्चतम न्यायालय के अक्तूबर 2015 के उस फैसले से अगवत है जिसमें कहा गया था कि आधार कार्ड स्वैच्छिक होना चाहिए, अनिवार्य नहीं।
कांग्रेस के राजीव शुक्ला ने कहा कि संप्रग जब सत्ता में थी तो 68 प्रतिशत आबादी को आधार कार्ड जारी कर दिये गये थे किन्तु राजग के पिछले दो साल के शासन काल में यह प्रक्रिया धीमी पड़ गयी है। जब तक कार्ड जारी नहीं होते, लोगों को लाभ से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।
हंगामे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदन में मौजूद थे। प्रश्नकाल में दो बार सदन की कार्यवाही स्थगित हुई।
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