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दिल्ली से हो सकती है नजीब जंग की विदाई

राष्ट्रीय राजधानी में बिजली-पानी की किल्लत को लेकर जारी बवाल के बहाने उपराज्यपाल नजीब जंग की कुर्सी भी हिल सकती है। देश के विभिन्न राज्यपालों को हटाने की जारी कवायद के तहत सूबे के उपराज्यपाल को भी बदलने के कयास लगाए जा रहे हैं।

By Edited By: Updated: Wed, 18 Jun 2014 08:09 AM (IST)
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नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी में बिजली-पानी की किल्लत को लेकर जारी बवाल के बहाने उपराज्यपाल नजीब जंग की कुर्सी भी हिल सकती है। देश के विभिन्न राज्यपालों को हटाने की जारी कवायद के तहत सूबे के उपराज्यपाल को भी बदलने के कयास लगाए जा रहे हैं। सियासी गलियारों में चर्चा यह भी है कि उपराज्यपाल ही नहीं, बल्कि मुख्य सचिव की भी विदाई हो सकती है। आपको बता दें कि पिछले साल जुलाई में कांग्रेसी हुकूमत के जमाने में जंग को दिल्ली के उपराज्यपाल की गद्दी सौंपी गई थी जबकि अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली सरकार ने दीपक मोहन स्पोलिया को मुख्य सचिव की कुर्सी से हटाकर एस.के. श्रीवास्तव को यह जिम्मेदारी सौंपी थी।

सूबे में प्रचंड गर्मी के बीच जारी बिजली-पानी की जबरदस्त किल्लत से भाजपा के विधायक बेहद परेशान हैं। कांग्रेस द्वारा इन मुद्दों को लेकर शहर भर में जारी आंदोलन से भी भाजपा की हुकूमत पर अंगुलियां उठने लगी हैं। बताते हैं कि इस स्थिति से नाराज भाजपा विधायकों ने अपनी बात केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह तक पहुंचाई है। पार्टी के सांसद रमेश बिधूड़ी ने तो कह भी दिया कि यदि शहर में बिजली आपूर्ति की हालत में सुधार नहीं आया तो उपराज्यपाल नजीब जंग को हटाने पर विचार किया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि भाजपा चाहेगी कि राजधानी का उपराज्यपाल उसकी पसंद का हो। शुरुआत में ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि जंग की विदाई हो सकती है। इसी प्रकार बिजली-पानी को लेकर जारी हाहाकार के बहाने मुख्य सचिव एस.के. श्रीवास्तव को बदले जाने की चर्चा भी जोरों पर है। समझा जा रहा है यदि सूबे में भाजपा की सरकार बनती है तो सरकार में मुख्य सचिव सहित कई अन्य आला अधिकारियों की कुर्सी हिल सकती है। दिल्ली के नेताओं का यह मानना है कि केन्द्र में भाजपा की सरकार चल रही है। हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में दिल्ली के लोगों ने सूबे की सभी सात सीटों पर पार्टी प्रत्याशियों को बम्पर जीत दिलाकर अपना समर्थन व्यक्त किया। लोग यह समझ रहे हैं कि राष्ट्रपति शासन में जिम्मेदारी केन्द्र सरकार की है। लिहाजा, बिजली-पानी के संकट का ठीकरा भाजपा के सिर फूटेगा। आम लोग पार्टी सांसदों और विधायकों से हिसाब मांगने भी लगे हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि दिल्ली के जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

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