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निगहबानी को तैयार नेविगेशन सेटेलाइट

इसरो ने स्वदेशी नेवीगेशन सेटेलाइट (नौवहन उपग्रह) प्रणाली आइआरएनएसएस को मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ते हुए इस शृंखला के छठा उपग्रह (1एफ) को लांच कर दिया है।

By anand rajEdited By: Updated: Thu, 10 Mar 2016 05:07 PM (IST)
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नई दिल्ली। इसरो ने स्वदेशी नेवीगेशन सेटेलाइट (नौवहन उपग्रह) प्रणाली आइआरएनएसएस को मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ते हुए इस शृंखला के छठा उपग्रह (1एफ) को लांच कर दिया है। इस प्रणाली के तहत सात सेटेलाइट अंतरिक्ष में स्थापित किए जाने हैं। यह अमेरिकी जीपीएस के अलावा रूस, चीन और जापान की उपग्रह प्रणाली की तरह है।

आइआरएनएसएस प्रणाली

  • भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (आइआरएनएसएस) के तहत तीन उपग्रहों को जिओस्टेशनरी कक्षा और चार को जिओसिंक्रोनस कक्षा में स्थापित किया जाएगा।
  • यह स्थलीय और समुद्री नेवीगेशन, आपदा प्रबंधन, वाहन ट्रैकिंग, जहाजी बेड़े के प्रबंधन में मददगार होगा।
  • प्राथमिक सर्विस एरिया के तहत देश के भीतर लोगों को पोजीशन की सटीक जानकारी देने के अलावा बॉर्डर से 1500 किमी दूर तक के क्षेत्र की जानकारी उपलब्ध कराने में सक्षम।
  • किसी भी स्थान के 20 मी के भीतर तक की सटीक जानकारी प्रदान करेगा।

अब तक भेजे गए उपग्रह
आइआरएन एसएस - पीएसएलवी लांच तारीख

1 ए सी 22 जुलाई 2013

1बी सी 24 अप्रैल, 2014
1सी सी 26 अक्टूबर, 2014
1डी सी27 मार्च, 2015
1 ई सी31 जनवरी, 2016


आइआरएनएसएस दो प्रकार की सेवाएं उपलब्ध कराएगा :
1. स्टैंडर्ड पोजीशनिंग सर्विस (एसपीएस): यह सभी यूजरों को उपलब्ध होगी।
2 . प्रतिबंधित सेवाएं (आरएस) : यह केवल अधिकृत यूजरों को ही उपलब्ध होगी।

अन्य देशों की प्रणालियां

अमेरिका :

ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम (जीपीएस) प्रोजेक्ट को 1973 में शुरू किया था। 1978 में पहला संबंधित उपग्रह लांच किया। इस सिलसिले में अब तक 31 उपग्रह कक्षा में भेज चुका है और 1995 में पूर्ण रूप से ऑपरेशन शुरू हुआ। यह पांच मी तक की जानकारी देने में सक्षम है। इसका दुनिया भर में इस्तेमाल होता है और जीपीएस रिसीवर के माध्यम से कोई भी अबाध रूप से उपयोग कर सकता है।

रूस :

इसकी ग्लोनास नेवीगेशन उपग्रह प्रणाली है। जीपीएस की तर्ज पर 5-10 मी तक जानकारी देने में सक्षम। 1976 में इस प्रोजेक्ट को विकसित करने का शुरू हुआ। इससे संबंधित अब तक 29 उपग्रह कक्षा में भेज चुका है। पहला उपग्रह अक्टूबर, 1982 और अंतिम इसी सात फरवरी को भेजा गया।

यूरोपीय संघ :

इसकी गैलीलियो प्रणाली एक मीटर तक की जानकारी देने में सक्षम। 2011 में पहला उपग्रह भेजा गया। कुल 30 उपग्रह भेजे जाने हैं। उनमें से अब तक 12 भेजे जा चुके हैं।

चीन :

इसकी बिदोयू उपग्रह प्रणाली 10 मी तक जानकारी देने में सक्षम। पहली लांचिंग अक्टूबर, 2000 में हुई। कुल 35
उपग्रह भेजे जाने हैं। अब तक 20 भेजे जा चुके हैं।

जापान :
इसकी क्वासी जेनिथ प्रणाली 0.01-1मी तक जानकारी देने में सक्षम। इसके तहत चार उपग्रह भेजे जाने हैं। 2010 में पहली लांचिंग। 2018 तक इस प्रणाली के पूरी तरह चालू होने का लक्ष्य।

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