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रक्षामंत्री मनोहर पर्रीकर के उलट नौसेना प्रमुख बोले, स्कॉर्पीन लीक गंभीर मामला

नौसेना प्रमुख सुनील लांबा ने स्कॉर्पीन पनडुब्बी के गोपनीय दस्तावेज लीक होने को बेहद गंभीर मसला बताया है।

By Rajesh KumarEdited By: Updated: Mon, 29 Aug 2016 08:12 PM (IST)
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नई दिल्ली, आइएएनएस/प्रेट्र : रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर के विपरीत नौसेना प्रमुख सुनील लांबा ने स्कॉर्पीन पनडुब्बी के गोपनीय दस्तावेज लीक होने को बेहद गंभीर मामला करार दिया है। हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि बहुत ज्यादा चिंतित होने की जरूरत नहीं है। रक्षा मंत्री ने कहा था कि यह बहुत बड़ा मामला नहीं है, क्योंकि इसकी हथियार प्रणाली लीक नहीं हुई है।

स्कॉर्पीन मामला सामने आने के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में एडमिरल लांबा ने कहा कि कोई भी सूचना लीक होना बहुत गंभीर माना जाता है। स्कॉर्पीन दस्तावेज लीक होने को हमने बहुत गंभीरता से लिया है। हमने फ्रांसीसी कंपनी को भी इसकी तत्काल जांच करने को कहा है। रक्षा मंत्रालय ने मामले की जांच के लिए उच्चस्तरीय कमेटी बनाई है। कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर हम खामियां दूर करेंगे।

यह पूछने पर कि लीक दस्तावेज कितने गंभीर हैं? नौसेना प्रमुख ने बताया कि यह बहुत चिंता की बात नहीं है। कमेटी परीक्षण कर रही है और वह देखेगी कि कौन-से दस्तावेज लीक हुए हैं और आगे लीक न हों, इसके लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए। कमेटी 20 सितंबर तक रक्षा मंत्री को रिपोर्ट सौंपेगी।

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उल्लेखनीय है कि ऑस्ट्रेलियाई अखबार 'द ऑस्ट्रेलियन' के पास स्कॉर्पीन प्रोजेक्ट के 22,400 पन्नों वाली गोपनीय जानकारी पहुंच गई है। इनमें से कुछ का अखबार ने खुलासा किया है। फ्रांस की कंपनी डीसीएनएस भारत के लिए मुंबई के मझगांव डाकयार्ड में छह अत्याधुनिक पनडुब्बी बना रही है।

अदालत पहुंची निर्माता कंपनी

स्कॉर्पीन दस्तावेज लीक होने से घबराई फ्रांसीसी कंपनी डीसीएनएस ने सोमवार को कहा कि उसने इस मामले में आस्ट्रेलिया के सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। कंपनी ने 'द ऑस्ट्रेलियन' में पनडुब्बी के दस्तावेज आगे से छापने पर रोक की गुहार लगाई है। इसने अदालत से अनुरोध किया है कि वह अखबार के पास उपलब्ध अप्रकाशित दस्तावेज उसे सौंप देने का आदेश दे। इसके अलावा अखबार की वेबसाइट से दस्तावेज हटाने का आदेश देने का भी अनुरोध किया है।

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