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राजन का सुझाव अवैध जमा जुटाने वालों पर पहले से ही कसें शिकंजा

आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने सुझाव दिया है कि रातों रात गायब होने वाली कं‍पनियों पर पहले ही शिकंजा कस देना चाहिए।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Fri, 05 Aug 2016 12:26 AM (IST)
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मुंबई (प्रेट्र)। रातों-रात गायब होने वाली कंपनियां आपका पैसा लेकर भाग जाएं, इसके पहले ही इन पर फंदा डाला जाना चाहिए। अवैध रूप से पैसे जमा कराने वालों के हाथों आम निवेशकों को लुटने से बचाने के लिए रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के गवर्नर रघुराम राजन ने गुरुवार को यह सुझाव दिया। राजन यहां अवैध रूप से सामूहिक जमा जुटाने वाली कंपनियों पर अंकुश के लिए आरबीआइ के पोर्टल का उद्घाटन कर रहे थे। इस अपराध से निपटने में चुनातियों का भी जिक्र करते हुए गवर्नर ने कहा कि ऐसे ऑपरेटरों पर जुर्म को अंजाम देते वक्त काबू पाना होगा, क्योंकि पैसा जुटा लेने के बाद ये रातों-रात चंपत हो जाते हैं।

कई फर्मे या ऑपरेटर किसी भी नियामक के दायरे में नहीं आते। ये फर्मे बहुत छोटी हैं या दूरदराज के इलाकों में पैसा जुटाने का काम कर रही होती हैं। इस वजह से उन पर कार्रवाई करना कठिन हो जाता है। इस तरह की फमरें पर लगाम लगाने के लिए वित्तीय नियामकों और कानून लागू कराने वाली एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल जरूरी है।राजन ने कहा कि जमाकर्ताओं के हितों का संरक्षण कानूनों में बदलाव और राज्य स्तरीय समन्वय समिति जैसे मंचों के चलते अनाधिकृत रूप से जमाराशि जुटाने के अपराध के खिलाफ लड़ाई में मदद मिली है। अफसरों को यह अधिकार मिला है कि वे धन हड़पने या उसका दुरुपयोग करने से पहले ही हस्तक्षेप कर सकें। उन्होंने आम लोगों से ऐसी फमरें या ऑपरेटरों के फेर में नहीं पड़ने की अपील की है।

राजन ने फर्जी, जालसाज ई-मेलों पर भी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन फ्रॉड से निपटने के लिए रास्ता निकालने की जरूरत है। साथ ही लोग भी यह बात अच्छे से दिमाग में बैठा लें कि रिजर्व बैंक किसी तरह के रिटर्न या पैसे देने का वादा करने वाले ईमेल नहीं भेजता है।

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आरबीआइ ने लांच किया पोर्टल

फर्जी कंपनियों की ओर से अवैध और अनाधिकृत धन जमा कराने की स्कीमों पर अंकुश के लिए रिजर्व बैंक ने नई पहल की है। केंद्रीय बैंक ने गुरुवार को अपना पोर्टल सैशे.आरबीआइ.ओआरजी.इन लांच किया। इस पोर्टल से आम लोग उन फर्मो या संस्थाओं की जानकारी हासिल कर सकते हैं, जिन्हें जमा जुटाने की अनुमति मिली हुई है। भले ही यह इजाजत आरबीआइ के अलावा किसी अन्य नियामक ने दी हो। पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराने के साथ इसकी स्थिति पर भी नजर रखी जा सकेगी। इस पोर्टल से आम लोगों के हिंदी में भी अलर्ट भेजे जाएंगे। साथ ही समय पर किसी भी फर्म की जानकारी मिल सकेगी।