शुक्रवार को आ रहे हैं ओली, तेजी से सामान्य होंगे भारत-नेपाल के रिश्ते
नेपाल और भारत के बीच रिश्ते जो पिछले कुछ महीनों के दौरान तनावपूर्ण हो गये थे अब तेजी से सामान्य होने की दिशा में अग्रसर हैं।
By Rajesh KumarEdited By: Updated: Wed, 17 Feb 2016 09:12 PM (IST)
नई दिल्ली। नेपाल और भारत के बीच रिश्ते जो पिछले कुछ महीनों के दौरान तनावपूर्ण हो गये थे अब तेजी से सामान्य होने की दिशा में अग्रसर हैं। नेपाल के प्रधानमंत्री के पी ओली शुक्रवार को जब अपने वरिष्ठ कैबिनेट सहयोगियों के साथ भारत की यात्रा पर पहुंचेंगे तब उनकी आगवानी में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। राजग सरकार नेपाल के साथ सही मायने में रोटी-बेटी के रिश्ते को आगे बढ़ाने को तैयार है।
इसके तहत नेपाल के लिए कुछ औद्योगिक परियोजनाओं के साथ ही भूंकप से प्रभावित इलाकों में राहत कार्यो के लिए अलग से मदद दिए जाने का ऐलान किया जा सकता है। भारत को लग रहा है कि चीन के छलावे को नेपाल काफी हद तक समझ चुका है। जानकारों का मानना है कि ओली सरकार ने नेपाल संशोधन के प्रस्ताव में मधेशियों की मांग को लेकर जो भी बदलाव किया गया है उससे भारत सरकार काफी हद तक संतुष्ट है। वैसे मधेशी समूह अभी भी पूरी तरह से संतुष्ट नहीं है लेकिन भारत का मानना है कि उसकी जो बड़ी चिंताएं थी उसका समाधान काफी हद तक हो गया है। अब अगर मधेशी समूह स्थानीय राजनीति की वजह से ओली सरकार के प्रस्तावों को अभी तक विरोध कर रहे हैं तो भारत उसमें बहुत रुचि लेता नहीं दिखाना चाहता।ये भी पढ़ें- नेपाल के पीएम बोले, गलतफहमी दूर करने जा रहा हूं भारत
यह लंबी अवधि में भारत के हित में नहीं होगा कि वह नेपाल के पहाड़ी और मधेशी नागरिकों के बीच विभेद करे। यह भी एक वजह है कि भारत ओली को लेकर अब सकारात्मक रवैया अपनाना चाहता है। जानकारों के मुताबिक भारत के पास ऐसी कोई वजह नहीं है कि वह ओली पर भरोसा नहीं करे। शुरुआत में ओली ने एकाध बार भारत विरोधी बयान जरुर दिया। मगर बाद में इस बारे में उनकी तरफ से स्पष्टीकरण भी दिया गया। सबसे बड़ी बात अभी जमीनी तौर पर उन्होंने भारत विरोधी कोई काम नहीं किया है, ऐसा केंद्र मान रह है।
यहां तक कि चीन की तरफ से लगातार रसोई गैस की आपूर्ति करने के प्रस्ताव को उन्होंने बहुत प्रोत्साहन नहीं दिया। सूत्रों के मुताबिक, नेपाल की अंदरूनी स्थिति ऐसी है और उसे समझ भी आ रहा है कि दीर्घकालिक हितों में चीन उसके लिए उतना मुफीद नहीं, जितना कि भारत।ये भी पढ़ें- चीन नहीं भारत आएंगे नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली फिर ओली ने भारत यात्रा को लेकर जो उत्साह दिखाया है उससे भी विदेश मंत्रालय आश्वस्त है। ओली के साथ उनके कैबिनेट के सभी बड़े सदस्य मसलन वित्त मंत्री, गृह मंत्री और विदेश मंत्री के अलावा अन्य प्रमुख नेता भी आ रहे है। इस यात्रा को लेकर ओली ने मंगलवार को अपने कैबिनेट की विशेष बैठक बुलाई थी। बैठक के बाद उन्होंने कहा था कि भारत के साथ रिश्तों में तनाव को दूर करना उनकी सबसे बड़ी प्राथमिकता है। जानकारों के मुताबिक भूकंप के बाद भारत की तरफ चलाये जा रहे निर्माण कार्य को लेकर राजग सरकार की तरफ से नेपाल को और मदद देने की घोषणा की जाएगी। नेपाल ने कुछ औद्योगिक परियोजनाओं में भारत से मदद मांगी है, भारत सरकार उस बारे में सकारात्मक फैसला कर सकती है। इसमें दो जलविद्युत परियोजनाएं भी शामिल है। भारत ओली का विशेष आतिथ्य देने को भी तैयार है। ओली को राष्ट्रपति भवन में ठहराने का इंतजाम किया गया है। ओली गुजरात के भुज का दौरा करेंगे और वहां भूकंप के बाद चलाये गये निर्माण कार्य को करीब से देखेंगे। इसके अलावा वह भारतीय उद्योगपतियों के साथ अलग से बैठक करेंगे।