आतंकी शैली: नया मिशन, नया चेहरा
'नया मिशन, नया चेहरा' भारत में आतंक के सौदागरों की आतंकी वारदात शैली का नया स्लोगन है! जिसके इर्द-गिर्द ही वह खून-खराबे की साजिश बुनते हैं और उसे अंजाम तक पहुंचाने को अफगास्तिान में बेदाग युवकों को लड़ाके के रूप में तब्दील करते हैं। आइबी व यूपी एटीएस के साझा अभियान में पकड़े गये पाकिस्तानी नागरिक अब्
By Edited By: Updated: Sat, 29 Mar 2014 12:27 PM (IST)
[परवेज अहमद], लखनऊ। 'नया मिशन, नया चेहरा' भारत में आतंक के सौदागरों की आतंकी वारदात शैली का नया स्लोगन है! जिसके इर्द-गिर्द ही वह खून-खराबे की साजिश बुनते हैं और उसे अंजाम तक पहुंचाने को अफगास्तिान में बेदाग युवकों को लड़ाके के रूप में तब्दील करते हैं। आइबी व यूपी एटीएस के साझा अभियान में पकड़े गये पाकिस्तानी नागरिक अब्दुल वलीद और ओवैस इसी अपराध शैली से तैयार 'आतंकी' हैं। जिन्हें बड़ी वारदात से पहले धर लिया गया।
हाल में 12 दिनों की पुलिस अभिरक्षा के पहले दिन आतंकियों ने बताया पाकिस्तान की अंदरूनी राजनीति के चलते आतंकी सरगना मौलाना मसूद अहजर गुट ने अफगानिस्तान में आतंकी प्रशिक्षण शिविर बना लिया है। जहां भारत में विध्वंस के लिए भेजे जाने वाले युवकों को आधुनिक शस्त्र और इलेक्ट्रानिक गैजेट के इस्तेमाल का प्रशिक्षण मिलता है। एटीएस सूत्रों का कहना है दोनों युवकों से कई चरणों में हुई पूछताछ से फिलहाल लगता है कि दोनों आतंकी पहली बार सीधे आतंक बरपाने की साजिश करने वाले थे। जिस व्यक्ति ने इनको एके सिरीज की रायफल मुहैया करायी थी, वह नेपाल निवासी भारतीय नागरिक है। यहीं से वह यासीन भटकल, रियाज भटकल और पाकिस्तानी अबू बशर के इशारे पर देश भर में आतंकियों को असलहों की खेप पहुंचाता है। खुफिया एजेंसियों के सूत्र बताते हैं कि आतंक के सौदागर वारदात में नए व्यक्ति के इस्तेमाल की अपराधिक शैली पर काफी दिनों से काम कर रहे हैं, इसमें इन लोगों ने और बदलाव किया गया है। अब वह 'एक मिशन, नया चेहरा' की रणनीति पर कार्य कर रहे हैं। आतंक की टोली में आने वालों को अब पाकिस्तान के मुजफ्फराबाद के स्थान पर अफगानिस्तान के बने शिविरों में प्रशिक्षित करते हैं।
सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि पूछताछ से लग रहा है कि नेपाल की सोनौली सीमा से गोरखपुर तक पहुंचे ये आतंकी यासीन भटकल, रियाज भटकल, तौसीफ उर्फ डेनियल से मिल चुके थे। कुछ वारदातों में इनकी संलिप्तता की बात भी सामने आ रही है लेकिन इन्होंने अब तक सीधे वारदात को अंजाम नहीं दिया था। सूत्रों का कहना है कि इनको गोरखपुर या लखनऊ में टारगेट बताया जाना था। लेकिन असलहे और गोरखपुर से ही बना भारतीय पहचान पत्र इन्हें मिल गया था, लिहाजा टारगेट भी गोरखपुर मे मिलना था। इससे पहले ही भारतीय खुफिया एजेंसियों की रणनीति काम कर गयी। पढ़ें: सोशल साइट पर आतंकी ढ़ूंढ़ते हैं शिकार