बेहद सतर्कता बरत रहे नए रेल मंत्री
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। नए रेल मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे रेलवे के हालिया हालात को लेकर बेहद सतर्क हैं। भ्रष्टाचार के आरोपों में पवन बंसल के इस्तीफे और उनकी जगह मंत्रालय का अतिरिक्त कार्यभार संभालने आए डॉ. सीपी जोशी के भी कांग्रेस संगठन में जाने के बाद बुधवार को रेल मंत्री का पदभार ग्रहण करते हुए खड़गे ने बोलने से परहेज किया।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। नए रेल मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे रेलवे के हालिया हालात को लेकर बेहद सतर्क हैं। भ्रष्टाचार के आरोपों में पवन बंसल के इस्तीफे और उनकी जगह मंत्रालय का अतिरिक्त कार्यभार संभालने आए डॉ. सीपी जोशी के भी कांग्रेस संगठन में जाने के बाद बुधवार को रेल मंत्री का पदभार ग्रहण करते हुए खड़गे ने बोलने से परहेज किया।
उन्होंने बस इतना कहा कि पहले वह रेलवे बोर्ड के अफसरों से कामकाज समझेंगे। फिर अपनी प्राथमिकताएं तय करेंगे और इसके बाद ही कुछ कहने की स्थिति में होंगे। दरअसल, खड़गे रेल भवन में चल रही सीबीआइ जांच को लेकर सावधानी बरत रहे हैं। वह नहीं चाहते कि उनके किसी वक्तव्य का कोई अलग अर्थ निकाला जाए और समस्या पैदा हो। सीबीआइ अब भी बंसल के समय रेलवे बोर्ड के सदस्य [स्टाफ] के रूप में पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक महेश कुमार की नियुक्ति के लिए हुए लेन-देन की जांच कर रही है। इसके अलावा रेलवे बोर्ड के सदस्य [इलेक्ट्रिकल] कुलभूषण के खिलाफ भी एक मामले में प्राथमिक जांच का केस दर्ज किया गया है। वरिष्ठतम होने के कारण कुलभूषण रेलवे बोर्ड अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल थे। सीबीआइ जांच में फंसने से उनका केस कमजोर हो गया है। उनके अलावा पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के महाप्रबंधक आरएस बिर्दी, दक्षिण-पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक एके मित्तल और उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक वीके गुप्ता का नाम भी अध्यक्ष पद के लिए चल रहा है। रेलवे बोर्ड के मौजूदा अध्यक्ष विनय कुमार मित्तल 30 जून को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
खड़गे को नए अध्यक्ष के लिए पैनल का सुझाव भी देना है। इसके अलावा कुछ नए महाप्रबंधकों और मंडल प्रबंधकों के नामों का चयन करने की भी उनकी जिम्मेदारी है। बंसल की विदाई के बाद से सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री डॉ जोशी रेल मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे थे। अस्थायी प्रभार होने के कारण उन्होंने नियुक्तियों को लेकर ज्यादा माथापच्ची नहीं की। अब यह जिम्मेदारी खड़गे के कंधों पर आ गई है। चूंकि खड़गे कर्नाटक से हैं इसलिए माना जा रहा है कि वह नए अध्यक्ष के लिए दक्षिण-पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक एके मित्तल के नाम पर जोर दे सकते हैं।
खड़गे इससे पहले केंद्र सरकार में श्रम मंत्री थे। उन्होंने 1972 से 2009 तक नौ बार कर्नाटक विधानसभा का चुनाव जीता। 1979 के बाद वह कई मर्तबा कर्नाटक सरकार में विभिन्न विभागों के कैबिनेट मंत्री के रूप में सेवाएं दे चुके हैं। वह कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता और विपक्ष के नेता भी रहे। 2009 में उन्होंने लोकसभा चुनाव जीता और उसी साल 31 मई को उन्हें केंद्रीय श्रम मंत्री नियुक्त किया गया था।
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