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गंगा पर जल संसाधन मंत्रालय का लचर रुख, एनजीटी ने लगाया जुर्माना

गंगा के मामले की सुनवाई कर रही एनजीटी के अध्यक्ष स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली प्रधान पीठ ने यह आदेश दिया।

By Mohit TanwarEdited By: Updated: Mon, 27 Feb 2017 09:26 PM (IST)
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गंगा पर जल संसाधन मंत्रालय का लचर रुख, एनजीटी ने लगाया जुर्माना

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय के गंगा की सफाई के संबंध में लचर रुख के चलते एनजीटी ने मंत्रालय के अधिकारियों पर जुर्माना लगाया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सोमवार को केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय और उत्तर प्रदेश जल निगम के अधिकारियों पर 25 हजार रूपये का जुर्माना लगाया। एनजीटी ने साफ कहा कि इस जुर्माने की रकम अधिकारियों के वेतन से काटी जाए।

गंगा के मामले की सुनवाई कर रही एनजीटी के अध्यक्ष स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली प्रधान पीठ ने यह आदेश दिया। पीठ हरिद्वार से उन्नाव तक गंगा में मिलने वाले नालों और सीवरेज से संबंधित मामले पर विचार कर रही है।

पीठ ने जल निगम की ओर से पेश हुए उच्च अधिकारियों को कड़ी फटकार भी लगाई। पीठ ने कहा कि अधिकारियों ने न तो समुचित दस्तावेज पेश किए और न ही एनजीटी के सवालों के जवाब दिए। इस वजह से एनजीटी का काफी समय बर्बाद हुआ है जिसके लिए जल निगम और जल संसाधन मंत्रालय के अधिकारियों पर जुर्माना लगाया जा रहा है। इसकी राशि अधिकारियों के वेतन से वसूली जाए।

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पीठ ने कहा कि एनजीटी की ओर से इस मामले में स्पष्ट निर्देश जारी किए गए थे। इसके बावजूद मंत्रालय के अधिकारी पेश नहीं हुए जिसके लिए मंत्रालय के वकील कारण स्पष्ट करते हुए एक रिपोर्ट पेश करें। इस दौरान एनजीटी ने सीपीसीबी के अधिकारियों को भी कड़ी फटकार लगाई, क्योंकि उनके द्वारा निगम के अधिकारियों द्वारा तैयार दस्तावेज को समुचित बताया गया था।

पीठ ने कहा कि हम आप पर भरोसा कर रहे हैं और आप ठीक से काम नहीं कर रहे हैं। पीठ ने आदेश में कहा कि जल निगम और जल संसाधन मंत्रालय गंगा सफाई को लेकर सबसे निष्कि्रय हैं। इनके द्वारा किया गया संयुक्त निरीक्षण एक मजाक है। एनजीटी ने कहा कि जनता के पैसे के खर्च का कोई औचित्य दिखाई नहीं दे रहा है। समय की लगातार बर्बादी हो रही है और रोजाना नया आश्चर्य देखने को मिलता है।

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वरिष्ठ अधिवक्ता एमसी मेहता की ओर से दायर गंगा की सफाई से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए एनजीटी ने यूपी जल निगम की ओर से पेश किए गए दस्तावेजों पर कड़ी नाराजगी भी जताई। कानपुर से जुड़ी सामग्री देखने के बाद पीठ ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सीवरेज लाइन, मौजूदा एसटीपी की स्थिति और नए एसटीपी स्थापित करने को भूमि उपलब्धता की जांच करने का आदेश भी दिया।