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एक मां की सुप्रीम कोर्ट से गुहार- लव जिहाद मामलों की एनआइए करे जांच

याचिका में केरल की रहने वाली बिंदू संपत ने अपनी बेटी निमिषा के मामले की भी हादिया केस की तरह एनआइए से जांच कराने की मांग की है।

By Gunateet OjhaEdited By: Updated: Sun, 29 Oct 2017 10:00 PM (IST)
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एक मां की सुप्रीम कोर्ट से गुहार- लव जिहाद मामलों की एनआइए करे जांच
माला दीक्षित, नई दिल्ली। केरल की एक मां ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर केरल व देश के अन्य हिस्सों में हुए लव जिहाद के मामलों की एनआइए से जांच कराने की मांग की है। मां ने कहा है कि डेंटल की पढ़ाई कर रही उनकी बेटी निमिषा का ब्रेनवाश कर इस्लाम धर्म में परिवर्तन कराया गया, शादी की गई और अब उसे आइएसआइएस में भर्ती कर अफगानिस्तान में खुरासान भेज दिया गया है। फिलहाल उसका कोई पता नहीं चल रहा। कहा है कि ये लव जिहाद देश की सुरक्षा को खतरा है और उससे निरीह युवतियों की जिंदगी बरबाद हो रही है जो धोखे से इस सुनियोजित आतंकवाद के जाल में फंस रही हैं।

मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट में केरल का ही हादिया का लवजिहाद मामला लंबित है जिस पर सोमवार को सुनवाई होनी है। निमिषा की मां की वकील ऐश्वर्या भाटी का कहना है कि वैसे तो अभी उनकी याचिका सुनवाई सूची में नहीं है लेकिन फिर भी सोमवार को वे कोर्ट के समक्ष इसका जिक्र करेंगी।

याचिका में केरल की रहने वाली बिंदू संपत ने अपनी बेटी निमिषा के मामले की भी हादिया केस की तरह एनआइए से जांच कराने की मांग की है। कहा है कि एनएआइए इस बात की जांच करे कि किस तरह ये प्रवृत्ति बढ़ रही है जिसमें युवा लड़के लड़कियों का इस्लाम धर्म में परिवर्तन करा कर झूठी शादियां कराई जाती हैं और फिर उन्हें झूठे प्यार की आड़ में धीरे से जिहाद और आतंकवाद की गतिविधियों में डाल दिया जाता है। मांग है कि एनआइए को निर्देश दिया जाए कि वो धर्म परिवर्तन की गतिविधि में शामिल संस्थाओं और केंद्रों की पहचान करें जैसे तिरुअनंतपुरम के सल्फी केंद्र और मालापुरम के साथ्या सरीनी आदि, साथ ही इन संस्थाओं के कामकाज और आर्थिक स्त्रोतों की भी जांच करे। पता लगाया जाए कि क्या इन संस्थाओं और केंद्रों के प्रतिबंधित संगठन आइएसआइएस या सिमी आदि से को संबंध नहीं हैं। केन्द्र सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पैदा करने वाली इस आतंकी गतिविधि के खिलाफ लोगों में जागरुकता पैदा करने एक तंत्र विकसित करे ताकि देश की सुरक्षा और सामाजिक तानेबाने को नुकसान न पहुंचे।

क्या है मामला

याचिका के मुताबिक बिंदू की बेटी निमिषा की 2015 में मेडिकल की तैयारी के समय कोचिंग में सज्जाद रहमान नाम के युवक से दोस्ती हुई। कोचिंग के बाद निमिषा ने केरल के एक डेंटल कालेज में एडमीशन लिया जबकि सज्जाद ने पांडिचेरी में एमबीबीएस में दाखिला लिया लेकिन सज्जाद बराबर उससे मिलता रहा। उसने निमिषा से कहा कि अगर वह इस्लाम धर्म में परिवर्तित हो जाती है तो वह उससे शादी कर लेगा। निमिषा इसके लिए राजी हो गई और तिरुअनंतपुरम के सेल्वी सेंटर में उसने इस्लाम कुबूल कर लिया और नाम बदलकर फातिमा कर लिया।

मां का कहना है कि इस धर्म परिवर्तन की उन लोगों को न जानकारी थी और न उनसे सहमति ली गई। बाद में सज्जाद ने निमिषा को छोड़ दिया और सारे संबंध तोड़ लिये। निमिषा गहरे सदमें में आ गई लेकिन वो इस्लाम को मानती रही। बाद में उसने ईसाई से मुसलमान बने ईशा बेक्सन ले शादी कर ली। निमिषा से संपर्क न होने पर मां ने पुलिस में शिकायत की और हाईकोर्ट में याचिका डाली। निमिषा ने हाईकोर्ट में पेश होकर कहा कि उसे गैरकानूनी रूप से नहीं रखा गया है। उसने ईशा बेक्सन से शादी की है। हाईकोर्ट ने निमिषा के बयान के बाद याचिका खारिज कर दी। बिंदू का कहना है कि 4 जून 2015 से उसकी निमिषा से बात नहीं हुई है। अब उसे पता चला है कि निमिषा आइएसआइ में शामिल करके अफगानिस्तान में खुरासान भेज दी गई है। पुलिस और सरकार से गुहार लगाई लेकिन निमिषा का पता नहीं चला है। अब सुप्रीम कोर्ट में याचिका की है।

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