जागरण ने नौ साल पहले खतरे से कर दिया था आगाह
अब से नौ साल पहले ही दैनिक जागरण ने स्पष्ट तौर पर बताया था कि केदारनाथ में कभी भी तबाही हो सकती है। यहां मंदिर के पीछे छह किलोमीटर लंबे चौराबारी ग्लेशियर की ऊपरी परत में हिमस्खलन से एक बड़ा हिस्सा टूटकर गिरा था। इससे वहां 16 बर्फीली झीलें बन गई थीं।
By Edited By: Updated: Tue, 02 Jul 2013 02:10 AM (IST)
देहरादून [जागरण संवाददाता]। अब से नौ साल पहले ही दैनिक जागरण ने स्पष्ट तौर पर बताया था कि केदारनाथ में कभी भी तबाही हो सकती है।
यहां मंदिर के पीछे छह किलोमीटर लंबे चौराबारी ग्लेशियर की ऊपरी परत में हिमस्खलन से एक बड़ा हिस्सा टूटकर गिरा था। इससे वहां 16 बर्फीली झीलें बन गई थीं। झीलों का आकार बढ़ने के चलते इनके फटने और इससे केदारनाथ मंदिर को पिछली तरफ से नुकसान होने की आशंका जताई गई थी। 2 अगस्त, 2004 को दैनिक जागरण ने केदारनाथ पर मंडरा रहे इस खतरे को पहले पेज पर प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इसके अलावा भी कई बार ग्लेशियर के पिघलने और केदारघाटी में मंडरा रहे खतरे के प्रति आगाह किया गया, लेकिन प्रशासन ने न तो ध्यान दिया, न ही इन खतरों को रोकने के बारे में कोई उपाय किए गए। यदि ऐसी चेतावनियों पर ध्यान दिया गया होता तो हजारों जानें लीलने वाली तबाही टाली जा सकती थी।
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