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दिल्ली गैंगरेप: विनय और अक्षय की फांसी पर भी रोक

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सामूहिक दुष्कर्म कांड के दोषी विनय और अक्षय की फांसी पर भी अगले आदेश तक रोक लगा दी है। मुकेश और पवन की फांसी पर कोर्ट पहले ही रोक लगा चुका है। दिल्ली हाई कोर्ट ने चारों दोषियों की फांसी की सजा पर मुहर लगाई थी। चारों ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

By Edited By: Updated: Mon, 14 Jul 2014 10:26 PM (IST)

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सामूहिक दुष्कर्म कांड के दोषी विनय और अक्षय की फांसी पर भी अगले आदेश तक रोक लगा दी है। मुकेश और पवन की फांसी पर कोर्ट पहले ही रोक लगा चुका है। दिल्ली हाई कोर्ट ने चारों दोषियों की फांसी की सजा पर मुहर लगाई थी। चारों ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

16 दिसंबर, 2012 को फिजियोथेरेपिस्ट युवती चलती बस में द¨रदगी का शिकार हुई थी। बाद में उसे इलाज के लिए सिंगापुर ले जाया गया लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। दिल्ली की सत्र अदालत ने युवती से सामूहिक दुष्कर्म और उसके साथ की गई क्रूरता के लिए चारों अभियुक्तों को मौत की सजा सुनाई थी। हाई कोर्ट ने भी गत मार्च में चारों की फांसी पर अपनी मुहर लगा दी थी। अब चारों फांसी की सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं।

सोमवार को न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की पीठ ने दो अभियुक्तों मुकेश और पवन की फांसी पर पहले जारी किए जा चुके रोक आदेश को देखते हुए विनय और अक्षय की फांसी पर भी अगले आदेश तक रोक लगा दी। इससे पहले याचिकाकर्ता के वकील ने फांसी की सजा पाए दोषियों की अपील पर तीन न्यायाधीशों की पीठ द्वारा सुनवाई किए जाने की मुख्य न्यायाधीश की टिप्पणी संबंधी अखबार में आई खबर का हवाला देते हुए कहा कि इस मामले में तीन न्यायाधीशों की पीठ सुनवाई करेगी। इस पर न्यायमूर्ति देसाई ने सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्रार को बुला कर इस बारे में जानकारी चाही। रजिस्ट्रार ने बताया कि अभी तक इस बारे में कोई निर्देश जारी नहीं हुए हैं। इसके बाद कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए मुकेश और पवन की तरह विनय और अक्षय की फांसी पर भी रोक लगा दी।

उल्लेखनीय है कि अक्षय को दिल्ली पुलिस बिहार के औरंगाबाद से गिरफ्तार कर के लाई थी, वारदात के बाद वह फरार हो गया था। जबकि विनय को वारदात की अगली सुबह, उसके घर रवि दास कैंप (आरके पुरम, दिल्ली) से गिरफ्तार किया गया था। ये दोनों राम सिंह (अब मृतक) के साथ वारदात के दिन चार्टर बस में मौजूद थे। विनय शर्मा, दक्षिण दिल्ली में ही एक जिम इंस्ट्रक्टर था जबकि अक्षय बिहार से दिल्ली नौकरी खोजने आया था।

इस मामले में एक मुख्य दोषी राम सिंह की पहले ही मौत हो चुकी है। कथित तौर पर उसने तिहाड़ जेल में ही फांसी लगा ली थी। साकेत कोर्ट ने 10 सितंबर, 2013 को राम सिंह, उसके भाई मुकेश सिंह, विनय शर्मा, अक्षय ठाकुर और पवन गुप्ता को फांसी की सजा सुनाई थी। सभी को दुष्कर्म, हत्या, लूट और सबूत मिटाने का दोषी पाया गया था। इसके साथ ही एक नाबालिग दोषी को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने तीन साल की सजा सुनाई थी। उसकी उम्र वारदात के समय करीब साढ़े 17 साल थी। 13 मार्च, 2014 को दिल्ली हाईकोर्ट ने भी निचली अदालत के फैसले को उचित ठहराया था और पांचों दोषियों की सजा बरकरार रखी थी। इसके बाद दोषियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में राहत के लिए गुहार लगाई गई।

वसंत विहार थाना क्षेत्र में 16 दिसंबर, 2012 की रात करीब नौ बजे मुनिरका बस स्टैंड से पीड़िता और उसका दोस्त चार्टर बस में सवार हुए थे। उन्हें उत्तम नगर की ओर जाना था। इसके बाद बस में नाबालिग सहित छह लोग पहले से सवार थे जिन्होंने शराब आदि का सेवन कर रखा था। मुनिरका से महिपालपुर तक चार्टर बस को वे सड़कों पर दौड़ाते रहे। जबकि, अंदर पीड़िता की इज्जत तार-तार होती रही। उसकी चीख पर्दाबंद बस में ही दबकर रह गई। इसके बाद महिपालपुर में सड़क के किनारे बुरी तरह घायल पीड़िता और उसके दोस्त को चलती बस से फेंक दिया गया। होटल में लगे सीसीटीवी कैमरे की मदद से पुलिस कुछ ही घंटों में आरोपियों तक पहुंच गई।

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