अलगाववादियों के इशारे पर चलता है एनआइटी : छात्र
श्रीनगर स्थित एनआइटी एक केंद्रीय शिक्षा संस्थान है, लेकिन वहां वही होता है जो कश्मीर घाटी के अलगाववादी चाहते हैं।
जम्मू [जेएनएन]। श्रीनगर स्थित एनआइटी एक केंद्रीय शिक्षा संस्थान है, लेकिन वहां वही होता है जो कश्मीर घाटी के अलगाववादी चाहते हैं। अलगाववादी जब घाटी में हड़ताल का आह्वान करते हैं तो एनआइटी में पढ़ाई नहीं होती, लेकिन जब एनआइटी के 75 फीसद से अधिक छात्र धरने पर बैठते हैं तो कक्षाएं बदस्तूर जारी रहती है।
ऐसा कहना है जम्मू पहुंचे एनआइटी छात्रों का। परीक्षाओं का बहिष्कार कर जम्मू पहुंचे छात्रों के अनुसार एनआइटी में कश्मीरी छात्रों की संख्या 25 फीसद से भी कम है, लेकिन अलगाववादियों के आह्वान पर इंस्टीट्यूट में पढ़ाई नहीं होती। दूसरी तरफ वे कई दिनों तक अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे रहे, लेकिन एनआइटी प्रबंधन ने एक दिन भी उनकी सुध नहीं ली और कक्षाएं जारी रखकर हालात सामान्य होने का संदेश देने का प्रयास किया।
एनआइटी प्रबंधन पर भरोसा नहीं
जम्मू। पिछले एक सप्ताह के दौरान एनआइटी श्रीनगर की जो भूमिका रही, उसे लेकर गैर कश्मीरी छात्रों का प्रबंधन पर से विश्वास उठ चुका है। प्रबंधन से ये छात्र इतने खौफजदा हैं कि कोई अपना नाम भी मीडिया को बताने को तैयार नहीं था। राजस्थान, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र व बिहार के छात्रों ने मंगलवार को जम्मू में प्रदर्शन तो किया लेकिन कोई भी छात्र व्यक्तिगत तौर पर मीडिया से बात करने को तैयार नहीं हुआ और न ही किसी ने अपना नाम बताया। छात्रों का कहना था कि नाम व फोटो आने से एनआइटी प्रबंधन उन पर कार्रवाई कर सकता है। इससे उनका करियर बर्बाद हो जाएगा।
अपने खर्च कर साथियों का इलाज करवाया
जम्मू। देश के विभिन्न राज्यों से एनआइटी श्रीनगर में पढ़ने गए इन छात्रों ने एनआइटी परिसर में बर्बरता का जिक्र करते हुए कहा कि पुलिस ने तो उनके कई साथियों को अधमरा कर छोड़ दिया था। एनआइटी प्रबंधन ने तो घायलों का इलाज तक नहीं करवाया। उन्होंने खुद से पैसे खर्च कर अपने साथी छात्रों का उपचार करवाया। गंभीर रूप से घायल जिन छात्रों को शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसिस (स्किम्स) में भर्ती करवाया गया, उनके उपचार के लिए भी उन्होंने साथियों से पैसे एकत्रित कर भेजे।