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लड़ाई के मोर्चे पर नहीं उतरेंगी महिलाएं

सेना महिला सैनिकों को फिलहाल लड़ाई के मोर्चे पर नहीं उतारेगी। सेनाध्यक्ष जनरल बिक्रम सिंह ने युद्धक्षेत्र की चुनौतियों का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि फिलहाल फौज महिलाओं को लड़ाकू भूमिका में नहीं उतारेगी। हालांकि, सेना महिलाओं के लिए अवसरों का दायरा जरूर बढ़ाने की तैयारी में है। इसके लिए सेना 16 जनवरी को

By Edited By: Updated: Tue, 14 Jan 2014 11:34 AM (IST)
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नई दिल्ली, [जाब्यू]। सेना महिला सैनिकों को फिलहाल लड़ाई के मोर्चे पर नहीं उतारेगी। सेनाध्यक्ष जनरल बिक्रम सिंह ने युद्धक्षेत्र की चुनौतियों का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि फिलहाल फौज महिलाओं को लड़ाकू भूमिका में नहीं उतारेगी। हालांकि, सेना महिलाओं के लिए अवसरों का दायरा जरूर बढ़ाने की तैयारी में है। इसके लिए सेना 16 जनवरी को रक्षा मंत्री के समक्ष एक कार्ययोजना पेश करने जा रही है।

सेनाध्यक्ष जनरल बिक्रम सिंह के मुताबिक सेना महिलाओं की भूमिका को विस्तार देने के लिए संभावनाएं खोज रही है। इस कड़ी में 16 जनवरी को रक्षा मंत्री एके एंटनी के सामने एक विस्तृत प्रेजेंटेशन दिया जाना है। उन्होंने बताया कि महिलाओं के लिए नेतृत्व भूमिकाएं और स्थायी कमिशन के अवसर बढ़ाने के लिए प्रयास हो रहे हैं। इसके लिए सेना एयर डिफेंस और आर्टिलरी जैसी शाखाओं में अवसर बढ़ाने का प्रयास है। हालांकि, युद्धक भूमिका के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने स्पष्ट कहा कि मौजूदा ढांचा इसके लिए तैयार नहीं है।

सेनाध्यक्ष का कहना था कि लड़ाकू भूमिका के जमीनी हालात को ध्यान में रखते हुए ही फैसला लिया जा सकता है। उनके अनुसार अभी तंत्र इतना तैयार नहीं है कि महिलाएं इंफेंट्री बटालियन का हिस्सा बन सकें। यह काम धीरे-धीरे क्रमबद्ध तरीके से किया जाना है।

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कई इलाकों में बढ़ी चीनी घुसपैठ

सीमा सहयोग पर चीन के साथ हुए समझौते के बावजूद कई इलाकों में चीनी घुसपैठ का सिलसिला जारी है। सेनाध्यक्ष जनरल बिक्रम सिंह ने भी माना है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर कुछ इलाकों में चीनी सेना की घुसपैठ का सिलसिला बढ़ा है। हालांकि, उन्होंने कहा कि सारे प्रयास सीमा पर शांति बहाली की ओर हैं।

सेना प्रमुख ने जोर दिया कि कुछ घटनाओं को काफी बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया। भारतीय सैनिक भी अपनी धारणा के मुताबिक वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पेट्रोलिंग कर रहे हैं। यह धारणा नहीं बनाई जानी चाहिए की भारतीय सेना हाथ पर हाथ धरे बैठी है। जनरल सिंह का कहना था कि दोनों देशों के बीच अक्टूबर, 2013 में हुए नए सीमा सहयोग समझौते ने तनाव घटाने के प्रयासों में मदद की है। दोनों सैन्य मुख्यालयों के बीच हॉटलाइन स्थापित करने के लिए भी प्रयास जारी हैं। एक अन्य सवाल पर सेना प्रमुख ने स्वीकार किया कि चीन से सटे सीमांत इलाकों में सैन्य ढांचागत निर्माण की कमजोरियां हैं। सिंह ने जोर दिया कि व्यापक स्तर पर इसे सुधारने की योजना पर काम चल रहा है।

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