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महिला जासूसी कांड की जांच नहीं कराएगा केंद्र

नई दिल्ली। गुजरात के बहुचर्चित महिला जासूसी प्रकरण की जांच से केंद्र सरकार ने शुक्रवार को अपना पल्ला झाड़ लिया। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कह दिया कि वह इस मुद्दे पर कोई जांच आयोग गठित करने नहीं जा रही है। इसके बाद पांच साल पहले गुजरात पुलिस ने जिस लड़की की जासूसी की थी उसे और उसके पिता को अदालत ने गुजरात सरकार के खिलाफ गुजरात हाईकोर्ट जाने की सलाह दी।

By Edited By: Updated: Fri, 09 May 2014 07:01 PM (IST)
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नई दिल्ली। गुजरात के बहुचर्चित महिला जासूसी प्रकरण की जांच से केंद्र सरकार ने शुक्रवार को अपना पल्ला झाड़ लिया। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कह दिया कि वह इस मुद्दे पर कोई जांच आयोग गठित करने नहीं जा रही है। इसके बाद पांच साल पहले गुजरात पुलिस ने जिस लड़की की जासूसी की थी उसे और उसके पिता को अदालत ने गुजरात सरकार के खिलाफ गुजरात हाईकोर्ट जाने की सलाह दी। ज्ञातव्य है कि गुजरात सरकार ने इस मामले की जांच के निर्देश दिए हैं। दोनों ने मामले की जांच रोकने लिए सुप्रीम कोर्ट में संयुक्त रूप से याचिका दायर की थी।

न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाली पीठ उस महिला और उसके पिता की संयुक्त याचिका की सुनवाई कर रही थी जिसकी जासूसी कथित रूप से गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के आदेश पर की गई थी। पीठ ने इससे पहले सॉलिसिटर जनरल मोहन परासरन का बयान दर्ज किया जिसमें उन्होंने कहा, 'जांच आयोग गठित करने का कोई प्रस्ताव नहीं है।'

पीठ ने तब कहा कि केंद्र के इस नजरिये के बाद याचिका पर विचार करने लायक कुछ नहीं रह गया। याचिकाकर्ताओं के वकील रणजीत कुमार भी पीठ के इस नजरिये से सहमत हो गए कि इस कथित जासूसी मामले की जांच के लिए गुजरात सरकार के आयोग गठन को गुजरात हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। याचिका वापस लेने की इजाजत देते समय पीठ ने स्पष्ट कर दिया कि वह मामले की योग्यता पर कोई टिप्पणी नहीं कर रही। इससे पहले सरकार ने नेशनल कांफ्रेंस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के विरोध के बाद इस मामले की जांच के लिए न्यायाधीश नियुक्त करने का फैसला वापस ले लिया था।

मामले की सुनवाई के दौरान पीठ ने निलंबित आइएएस अधिकारी प्रदेश शर्मा की ओर से उनके वकील को इसमें हस्तक्षेप की इजाजत नहीं दी।