Move to Jagran APP

छठे दिन भी नहीं निकला अखबार, सरकार से आश्‍वासन की मांग

कर्फ्यू प्रभावित कश्मींर में हिंसा का दौर अभी भी जारी है और इस क्रम में वहां स्था्नीय भाषा में आज छठे दिन भी अखबार नहीं छपा है।

By Monika minalEdited By: Updated: Wed, 20 Jul 2016 02:38 PM (IST)
Hero Image

श्रीनगर (प्रेट्र)। कर्फ्यू प्रभावित कश्मीर में सरकार की अनुमति मिलने के बावजूद लगातार छठे दिन भी वहां के स्टैंड स्थानीय अखबारों से सूना पड़ा रहा। इंग्लिश, उर्दू या कश्मीरी भाषाओं वाले स्थानीय अखबार घाटी में उपलब्ध नहीं थे क्योंकि वहां अखबार मालिकों ने अखबार नहीं निकालने का निर्णय लिया है।

आतंकी गुट हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद कश्मीर में हिंसा अभी तक थमी नहीं है। घाटी में पिछले पांच दिनों से किसी भी स्थानीय भाषा या अंग्रेजी भाषा का अखबार नहीं छपा है। प्रशासन ने घाटी में स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय 25 जुलाई तक बंद रखे हैं।


अखबार मालिकों ने दावा किया कि पुलिस ने उनके प्रिंटिंग कारखानों पर छापेमारी कर अखबारों, प्लेट्स को तो जब्त किया ही प्रिंटिंग करने वाले कर्मचारियों को भी गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस की कार्रवाई को देखते हुए कश्मीर के अखबार संपादकों, प्रिंटर्स और पब्लिशर्स ने शनिवार को प्रेस कॉलोनी में मीटिंग की थी। पत्रकारों ने भी सरकार के इस कार्रवाई के खिलाफ प्रदर्शन किया, और इस कदम को प्रेस की आजादी पर हमला बताया।

कश्मीर हिंसाः सरकार के माफी मांगने के बाद ही शुरू होगा समाचार पत्रों का प्रकाशन


हालांकि कल सरकार ने अखबारों की छपाई व बिक्री पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं होने की बात कही। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, श्रीनगर व बडगाम के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ने यह स्पष्ट किया कि जिले में अखबार निकालने पर रोक नहीं है।‘

श्रीनगर के स्थानीय अखबारों के संपादकों व मालिकों द्वारा जारी बयान में कहा गया कि जब तक सरकार अपना प्रेस इमरजेंसी नहीं बदलेगी तब तक अखबार निकालने काम फिर से शुरू करना असंभव है।

पाकिस्तान की 40 राजनीतिक पार्टियां कश्मीर में आतंक फैलाने के लिए मांगेंगी चंदा