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सुब्रत राय ने कोई कसर नहीं छोड़ी, पर काम न आए वकील न दलील

हजारों करोड़ की संपत्ति के मालिक सहारा प्रमुख सुब्रत राय ने सुप्रीम कोर्ट को यह आश्वस्त करने में कोई कसर नहीं छोड़ी कि वह उसके आदेशों को पालन करने को तैयार हैं। लेकिन, शीर्ष अदालत उनकी किसी दलील पर सहमत नहीं हुई। सहारा की ओर से पेश वकीलों की फौज भी न्यायाधीशों को संतुष्ट नहीं कर सकी। यह

By Edited By: Updated: Wed, 05 Mar 2014 10:06 AM (IST)
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जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। हजारों करोड़ की संपत्ति के मालिक सहारा प्रमुख सुब्रत राय ने सुप्रीम कोर्ट को यह आश्वस्त करने में कोई कसर नहीं छोड़ी कि वह उसके आदेशों को पालन करने को तैयार हैं। लेकिन, शीर्ष अदालत उनकी किसी दलील पर सहमत नहीं हुई। सहारा की ओर से पेश वकीलों की फौज भी न्यायाधीशों को संतुष्ट नहीं कर सकी। यह संभवत: सुप्रीम कोर्ट की सख्ती का ही नतीजा रहा कि शाम को वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी की प्रस्तावित प्रेस कांफ्रेंस रद कर दी गई।

सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को जजों के आते ही सुब्रत राय ने दोनों हाथ जोड़कर अभिवादन किया। उन्होंने कहा कि वह बिना शर्त माफी मांगते हैं। वह कानून का पालन करने वाले व्यक्ति हैं और अदालत का बहुत सम्मान करते हैं। वह अदालत का हर आदेश मानने को तैयार हैं। सुब्रत ने कहा कि उनके निवेशक रिक्शाचालक और जूता सिलने वाले जैसे गरीब लोग हैं, जिनके बैंक खाते नहीं हैं। वे लोग नकद देते हैं और नकद ही वापस मांगते हैं। जब कोर्ट ने पूछा कि इतनी बड़ी रकम उनके पास कहां से आई तो सुब्रत ने कहा कि ये बहुत मानवीय कहानी है। कोर्ट सुनेगा तो उनकी सराहना करेगा। उनके एजेंटों ने अपनी जेब से पैसे दिए हैं। करीब दो घंटे की सुनवाई के दौरान सहारा प्रमुख ने आठ से दस बार खड़े होकर यह कहा कि वह भाग नहीं रहे। वह कोर्ट के सभी आदेशों को सम्मान करते हैं। इस दौरान सहारा की ओर से पैरवी करने वाले वरिष्ठ वकीलों में राम जेठमलानी, सीए सुंदरम, राजीव धवन और रविशंकर प्रसाद शामिल थे। लेकिन इनकी दलीलें भी कोर्ट पर कोई प्रभाव नहीं छोड़ पाईं। सहारा के वकीलों की दलील थी कि कोर्ट के आदेश की जानबूझकर अवहेलना नहीं की गई। आदेश का पालन करते हुए न सिर्फ सेबी को 5121 करोड़ का भुगतान किया गया, बल्कि निवेशकों को लौटाए जा चुके पैसे के दस्तावेज भी सेबी को मुहैया कराए गए। सेबी ने सहारा की ओर से भेजे गए 127 ट्रक दस्तावेजों की जांच नहीं की है। सेबी पहले दस्तावेजों की जांच करे और उसके बाद अगर कुछ पैसा देना बचता है तो सहारा देने को तैयार है। सहारा ने सेबी की ओर से जब्त संपत्तियों की बिक्त्री या फिर 22,500 करोड़ की बैंक गारंटी का भी प्रस्ताव दिया।

सेबी का जवाब

सेबी ने कहा कि सहारा इस मामले में लगातार अपनी दलीलें बदल रहा है। सहारा ने कभी सही बात कोर्ट को नहीं बताई। सहारा का दावा है कि उसने ज्यादातर निवेशकों का पैसा वापस कर दिया है लेकिन वह ये नहीं बता रहा है कि उसने पैसा कैसे वापस किया और 20,000 करोड़ रुपये वापस करने के लिए कहां से आए। सेबी ने कहा कि सहारा नगद भुगतान की दलील दे रहा है जबकि कोर्ट ने पैसे का भुगतान चेक या डीडी के जरिये करने का आदेश दिया था। सेबी ने सहारा को संपत्तियां बेचकर पैसा वापस करने और सहारा की संपत्तियों पर रिसीवर नियुक्त करने का आदेश देने की मांग की। सेबी ने कोर्ट को बताया कि अभी तक उसे 3500 निवेशकों के दावे प्राप्त हुए हैं जिसमें 1200 मल्टी क्लेम हैं। सहारा की ओर से भेजे गए 127 ट्रक दस्तावेजों को जांचने में सेबी के 600 कर्मचारियों ने साल भर काम किया है। अब यह काम पूरा हुआ है।

कोर्ट का कड़ा रुख

जब कानून नगद भुगतान की इजाजत नहीं देता तो सहारा नगद भुगतान के जरिये पैसा कैसे वापस कर सकता है। सहारा को निवेशकों का पैसा लौटाना ही होगा। इसके लिए चाहे वह संपत्तियां बेचें या जो करे। वे डेढ़ साल से कंपनी को समय दे रहे हैं।

क्या है मामला

सहारा की दो कंपनियों सहारा इंडिया रीयल स्टेट कारपोरेशन व सहारा हाउसिंग ने कन्वर्टेबल डिबेंचर के जरिये निवेशकों से पैसा एकत्र किया। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त 2012 को सहारा को निवेशको के 17000 करोड़ रुपये ब्याज सहित वापस करने का आदेश दिया जो कि कुल 24,000 करोड़ रुपये होते थे। सहारा ने पैसा वापस करने के कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया। सेबी ने सहारा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की, जिस पर कोर्ट ने सुब्रत राय और कंपनी के तीन निदेशकों को पेश होने का आदेश दिया था। कोर्ट के आदेश के बावजूद सुब्रत राय अदालत में पेश नहीं हुए जिस पर कोर्ट ने राय को गिरफ्तार पेश करने का आदेश दिया था।