उत्तराखंड में अब आर या पार, भाजपा और कांग्रेस पहुंची राष्ट्रपति के द्वार
उत्तराखंड के सियासी संकट पर अब कांग्रेस और भाजपा बिल्कुल आमने-सामने आ गए हैं। पहाड़ की लड़ाई दिल्ली में रायसीना हिल्स यानी राष्ट्रपति भवन तक जा पहुंची।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। उत्तराखंड के सियासी संकट पर अब कांग्रेस और भाजपा बिल्कुल आमने-सामने आ गए हैं। पहाड़ की लड़ाई दिल्ली में रायसीना हिल्स यानी राष्ट्रपति भवन तक जा पहुंची। भाजपा ने 70 सदस्यों वाली विधानसभा के 36 विधायकों के साथ राष्ट्रपति भवन तक मार्च कर यह जताया कि बहुमत उनके पास है। भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने सरकार बनाने का दावा कर साफ कर दिया है कि हरीश रावत का मुख्यमंत्री पद पर टिके रहना इतना आसान नहीं होगा।
राज्यपाल ने दिया 28 तक समय
भाजपा और बागी विधायकों ने उत्तराखंड के राज्यपाल पर भी 28 तक समय दिए जाने पर आपत्ति जताकर जल्द विधानसभा की बैठक बुलाने का दबाव बना दिया है। भाजपा के आक्रामक रुख को देखकर अब कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व भी सक्रिय हुआ है। भाजपा के राष्ट्रपति से मुलाकात के तुरंत बाद कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल भी रायसीना हिल्स पहुंचा। इस बीच माना जा रहा है कि राज्यपाल केके पॉल ने भी गृहमंत्रालय की रिपोर्ट भेजी है, जिसमें राज्य का प्रशासनिक ढांचा चरमराने की बात कही गई है।
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राज्यपाल की ओर से रावत को 28 मार्च तक विश्वास प्रस्ताव हासिल करने का वक्त दिया गया है। लेकिन न तो भाजपा इससे सहमत है और न ही कांग्रेस के बागी। रावत जहां सरकार बच जाने का दावा कर रहे हैं, वहीं भाजपा ने शक्ति प्रदर्शन कर कांग्रेस को बैकफुट पर डाल दिया है। ऐसे में कांग्रेस में परोक्ष तौर पर इस संभावना से नहीं इनकार नहीं किया जा रहा है कि सरकार का चेहरा बदलकर असंतुष्ट बागियों को साधा जाए। दरअसल, बागियों को दिक्कत कांग्रेस से नहीं, बल्कि रावत से है। भाजपा ने उनके इसी गुस्से को भुनाया, लेकिन अब उनकी भी पहली प्राथमिकता यही है कि मौजूदा हरीश रावत सरकार नहीं टिकनी चाहिए। इसीलिए, सोमवार को भाजपा ने राजनीतिक और तकनीकी दोनों ही स्तरों दबाव बढ़ा दिया। इसी कड़ी में विधायकों के राष्ट्रपति भवन तक मार्च की रणनीति तय की गई।
वैसे राष्ट्रपति भवन की ओर से पांच नेताओं के प्रतिनिधिमंडल को ही आने का सुझाव दिया गया। लिहाजा राष्ट्रपति से मिलने पांच लोगों ने उत्तराखंड में संविधान के उल्लंघन की बात कही। ,साथ ही आग्रह किया कि राज्यपाल से कहें कि रावत सरकार को निरस्त करें या फिर अगले ही दिन विश्वास हासिल करने का निर्देश दें, ताकि विधायकों की खरीद फरोख्त न हो। दरअसल भाजपा को इसका अहसास है कि बागी विधायकों में दो तीन को छोड़कर बाकी पर कांग्रेस की ओर से दबाव बढ़ाया जा रहा है। कांग्रेस की ओर से यह कोशिश भी हो सकती है कि रावत को बदलकर सरकार बचाने की कोशिश हो। भाजपा यह अवसर देना नहीं चाहेगी। राष्ट्रपति भवन तक मार्च कर परोक्ष रूप से बागी विधायकों को यह संकेत भी दिया गया है कि भाजपा अब पीछे नहीं हटने वाली है।
आजाद का आरोप, बंदी हैं विधायक
दूसरी तरफ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने भी राष्ट्रपति से मुलाकात कर शिकायत की भाजपा रावत सरकार को अस्थिर कर रही है। ऐसा ही अरुणाचल प्रदेश में भी किया गया था और फिर से उत्तराखंड में इसकी कोशिश हो रही है। प्रतिनिधिमंडल का कहना था कि राज्यपाल ने 28 मार्च तक का वक्त दिया है लेकिन भाजपा जबरन पार्टी के कुछ विधायकों को बंदी बनाकर रख रही है जो गैरकानूनी है। केंद्र सरकार की ओर से भी राज्यपाल पर दबाव बनाया जा रहा है।
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कैबिनेट दे सकती है राष्ट्रपति को सुझाव
इधर केंद्र सरकार भी इस घटनाक्रम के बाद इतनी आसानी से पीछे नहीं हटने जा रही है। भाजपा के एक वरिष्ठ सूत्र के अनुसार कैबिनेट भी कुछ कम उठा सकती है। कथित रूप से राज्यपाल की रिपोर्ट गृहमंत्रालय को भेजी गई है जिसमें विधानसभा की रिकार्डिग भी है। उस आधार पर कैबिनेट तय कर सकती है कि उत्तराखंड में संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन किया गया है या नहीं। उस आधार पर राष्ट्रपति को कुछ सुझाव दिए जा सकते हैं।
भाजपा की पुख्ता तैयारी :
भाजपा को भरोसा है कि जो तथ्य हैं उसके आधार पर रावत सरकार का जाना तय है। बताते हैं कि भाजपा विधायकों की ओर से पहले ही राज्यपाल और विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर यह आग्रह किया गया था कि वित्त विधेयक पर वोटिंग कराए जाएं और रिकार्डिग भी कराई जाए। उससे कांग्रेस के बागी विधायकों को अलग रखा गया था ताकि उस आधार पर उनके खिलाफ कोई मामला नहीं चलाया जा सके। रिकार्डिग में स्पष्ट है कि विधेयक पर वोटिंग मानने के बावजूद वोटिंग नहीं हुई जो गैर संवैधानिक है। चूंकि वोटिंग हुई ही नहीं ऐसे में विधानसभा अध्यक्ष की ओर से बागी विधायकों की सदस्यता रद करना भी गैर कानूनी है। तकनीकी स्तर पर इन बिंदुओं के आधार पर भाजपा का पलड़ा फिलहाल उपर है।
- 'हमने राष्ट्रपति को बताया है कि उत्तराखंड सरकार गैर संवैधानिक रूप से बनी हुई है। उसे 28 मार्च का लंबा वक्त दिए जाने के बजाय बर्खास्त करना चाहिए और भाजपा को विश्वास मत साबित करने के लिए वक्त दिया जाना चाहिए:'
कैलाश विजवर्गीय, भाजपा महासचिव
भाजपा ने कांग्रेस के विधायकों को बंदी बनाकर रखा हुआ है। केंद्र सरकार की ओर से भी राज्यपाल पर दबाव बनाया जा रहा है कि रावत सरकार को दिया गया वक्त कम करें.यह अनुचित है:
गुलाम नबी आजाद, कांग्रेस नेता
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