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इन दो विकल्‍पों में भी विफल हुई रिया तो जेल की सलाखों के पीछे बिताने होंगे पूरे 14 दिन!

सुशांत मामले में मुख्‍य आरोपी बनाई गईं रिया के पास जमानत पाने के अब केवल दो विकल्‍प बचे हैं। यदि यहां से भी उन्‍हें निराशा मिलती है तो उन्‍हें 14 दिन जेल में बिताने होंगे।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Fri, 11 Sep 2020 06:38 PM (IST)
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इन दो विकल्‍पों में भी विफल हुई रिया तो जेल की सलाखों के पीछे बिताने होंगे पूरे 14 दिन!
नई दिल्‍ली (ऑनलाइन डेस्‍क)। सुशांत सिंह राजपूत आत्‍महत्‍या मामले में मुख्‍य आरोपी रिया चक्रवर्ती की निचली अदालत से जमानत याचिका खारिज हो गई है। अब उनके पास केवल दो ही विकल्‍प बचे हैं। यदि ये दो विकल्‍प भी नाकाम हुए तो उन्‍हें पूरे 14 दिन जेल की सलाखों के पीछे ही काटने होंगे। आपको बता दें कि एनसीबी ने रिया चक्रवर्ती को 8 सितंबर को हुई पूछताछ के बाद शाम करीब 4:30 बजे गिरफ्तार किया था। इसके बाद शाम 4:45 बजे उन्‍हें मेडिकल जांच के लिए सायन अस्‍पताल ले जाया गया, जहां उनका कोविड-19 टेस्‍ट भी किया गया। शाम 6:40 बजे उनकी कोविड-19 की रिपोर्ट नेगेटिव आई। यहां से उन्‍हें वापस एनसीबी ऑफिस ले जाया गया, जहां उन्‍हें वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जज के समक्ष पेश किया गया। उनकी न्‍यायिक हिरासत को लेकर सुनवाई शाम 7:30 बजे शुरू हुई और रात 9:50 बजे पर कोर्ट ने एनसीबी की दलीलों को सही मानते हुए रिया को 14 दिनों (22 सितंबर तक के लिए) की न्‍यायिक हिरासत में भेजने का फैसला सुनाया था। इसी दौरान कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका भी खारिज कर दी थी। अगले दिन उन्‍हें अस्‍थाई जेल से मुंबई की भायखला जेल शिफ्ट किया गया था। 

आपको बता दें कि एनसीबी ने रिया को नारकोटिक ड्रग्‍स एंड साइकोट्रोपिक सब्‍सटेंस एक्‍ट (NDPS Act) की धारा 8c, धारा 20b, धारा 27A, धारा 28 और 29 के तहत गिरफ्तार किया है। इन सभी में कम से कम दस वर्ष की सजा का प्रावधान है। अब जबकि उनकी जमानत याचिका खारिज हो चुकी है तो ऐसे में आम लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि रिया के पास अब क्‍या विकल्‍प रह गए हैं। एक सवाल ये भी है कि क्‍या रिया 14 दिनों से पहले जेल से बाहर आ सकेंगी या नहीं। इन सभी सवालों का जवाब जानने के लिए दैनिक जागरण ने सुप्रीम कोर्ट के वकील एचपी आदित्‍य से बात की। उन्‍होंने कहा कि जिन धाराओं के तहत रिया को आरोपी बनाया गया है वे सभी काफी संगीन है। यही वजह है कि इनमें आरोपी को जमानत मिलना मुश्किल होता है।

उनके मुताबिक निचली अदालत से जमानत याचिका खारिज होने के बाद रिया के वकील के पास हाई कोर्ट जाने का विकल्‍प खुला है। लेकिन इसका रुख करने से पहले उन्‍हें पूरी तैयारी करनी होंगी। ऐसा इसलिए भी है क्‍योंकि जिन दावों को निचली अदालत नहीं मान रही है उन्‍हें मुमकिन है कि हाईकोर्ट भी ज्‍यादा तवज्‍जो न दे। ऐसे में उन्‍हें कुछ नए तथ्‍य और नई दलीलें हाईकोर्ट के समक्ष देनी होंगी। यदि वहां से भी उनकी जमानत याचिका खारिज हो जाती है तो सुप्रीम कोर्ट अंतिम विकल्‍प बचता है। ये विकल्‍प आखिरी भी है और कुछ मुश्किल भी है।

आदित्‍य के मुताबिक यदि रिया को सुप्रीम कोर्ट से भी जमानत नहीं मिलती है तो उन्‍हें 14 दिनों के लिए जेल में ही रहना होगा। 14 दिनों के बाद उन्‍हें दोबारा एनडीपीएस कोर्ट के सामने पेश किया जाएगा जहां पर एनसीबी उन्‍हें दोबारा न्‍यायिक हिरासत में भेजने की अपील कर सकती है। इसके स्‍वीकार या खारिज करने पर ही वो जेल से बाहर आ सकेंगी। सीआरपीसी की धारा 167 के तहत किसी भी आरोपी को एक बार में 14 दिनों से अधिक जेल में नहीं रखा जा सकता है। इस अवधि के बाद उसको जज के सामने प्रस्‍तुत करना अनिवार्य होता है। उनके मुताबिक एनडीपीएस एक्‍ट के तहत छह माह के अंदर चार्जशीट फाइल करनी होती है।

आदित्‍य मानते हैं कि रिया के वकील को उनकी गिरफ्तारी के अगले ही दिन निचली अदालत का दरवाजा खटखटाना चाहिए था। ऐसा करने पर उनके पास हाईकोर्ट जाने का पर्याप्‍त समय होता। लेकिन शुक्रवार को ही निचली अदालत ने रिया की याचिका खारिज की है और इसी दिन हाईकोर्ट भी सुनवाई कर ले, ये थोड़ा मुश्किल है। यदि आज हाईकोर्ट में उनकी याचिका नहीं सुनी जाती है तो रिया को सोमवार तक जेल में ही रहना होगा। आदित्‍य का कहना है कि इस मामले में अभी जांच शुरुआती दौर में हैं ऐसे में कोर्ट से जमानत मिलना मुश्किल होता है। हाईप्रोफाइल मामलों में ये इसलिए भी मुश्किल होता है क्‍योंकि वहां पर सुबूतों से छेड़छाड़ की संभावना अधिक होती है।

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