अब धरती पर मिलेंगी चांद और मंगल जैसे ग्रहों की सब्जियां
खाने के खास शौकीनों के लिए विशेष खबर है। उनके लिए मंगल और चांद की सब्जियां भी हाजिर हैं। विज्ञानियों ने मंगल व चांद जैसी कृत्रिम मिट्टी बना कर उसमें टमाटर, मटर समेत दस तरह की सब्जियां विशेष प्रयोगशाला में उगाने में सफलता हासिल की है।
नई दिल्ली: खाने के खास शौकीनों के लिए विशेष खबर है। उनके लिए मंगल और चांद की सब्जियां भी हाजिर हैं। विज्ञानियों ने मंगल व चांद जैसी कृत्रिम मिट्टी बना कर उसमें टमाटर, मटर समेत दस तरह की सब्जियां विशेष प्रयोगशाला में उगाने में सफलता हासिल की है।
संरचना, खनिज,रसायन, पोषक तत्वों में समानता रखने वाली चांद और मंगल जैसी मिट्टी बनाने के लिए हवाई द्वीप के ज्वालामुखी और एरिजोना रेगिस्तान से मिट्टी लाई गई।
नीदरलैंड की वेगेनीजेन यूनिवर्सिटी एंड रिसर्च सेंटर की टीम ने अपने दूसरे प्रयास में कामयाबी हासिल कर ली। उन्होंने टमाटर, मटर के साथ पालक, मूली तथा सलाद में काम आने वाली कई अन्य सब्जियां उगाईं। अब विज्ञानी यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि खाने की दृष्टि से ये सब्जियां सुरक्षित हैं या नहीं।हो सकते भारी तत्व:
जब तक शोध पूरा नहीं होगा तब तक किसी को ये खाने नहीं दी जाएंगी । संभावना है कि इनमें कई भारी या जहरीले तत्व हो सकते हैं क्योंकि कृत्रिम मिट्टी में भारी तत्वों की भरमार है। ये तत्व हैं सीसा, आयरन, आर्सेनिक और पारा। तीसरा चरण ऐसी सब्जियों को पूरी तरह सुरक्षित बनाने पर ही पूर्ण रूप से केंद्रित रहेगा।
तुरंत खाने को दिल चाहे:
वैसे देखने में टमाटर, मटर ऐसे हैं कि तुरंत खाने को दिल चाहे। सब्जियां उगाते वक्त वनस्पति खाद को नियंत्रक के रूप में इस्तेमाल किया गया। विज्ञानियों को चांद और मंगल की मिट्टी के नमूने नासा ने उपलब्ध करवाए।
परिणाम उत्साहजनक रहे:
चांद जैसी कृत्रिम मिट्टी के परिणाम अत्यधिक उत्साहजनक रहे। पहले शोध के दौरान उगाई गई अधिकतर सब्जियां नष्ट हो गई थीं, इस बार ऐसा नहीं हुआ। इस बार शोधकर्ताओं ने गमले के बजाय ट्रे में पौधे उगाए। मंगल जैसी मिट्टी में उत्पादन कम हुआ जिससे शोधकर्ताओं को कुछ निराशा भी हुई।