चालबाज चीन के अड़ंगे से NSG में भारत के लिए फिलहाल दरवाजे बंद
सियोल में एनएसजी के मुद्दे पर चली बैठक आज खत्म हो गई। इसके साथ ही खत्म हो गया भारत का इसमे शामिल होने का सपना।
नई दिल्ली (पीटीआई)। न्यूक्लियर सप्लाई ग्रुप (एनएसजी) में चीन समेत सात देशों द्वारा भारत का समर्थन न किए जाने के बाद फिलहाल भारत के लिए इसके दरवाजे बंद हो गए हैं। हालांकि समूह के ज्यादातर देश भारत की सदस्यता को तवज्जो देने के लिए राजी थे। लेकिन चीन ने भारत की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। अब इसमें शामिल होने के बाद भारत को फिर से कवायद करनी होगी।
हालांकि इसके बावजूद भी इसको भारत सरकार की हार नहीं कहा जा सकता है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि इससे पहले एनएसजी को लेकर भारत की इस तरह से पहल कभी सामने नहीं आई। इस मिशन के फेल होने से भारत को निराशा जरूर मिली है। लेकिन यह सफर यहां ही नहीं थमा हैै। भारत यदि इसमें कामयाब हो जाता तो उसका अगला मिशन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सीट हासिल करने का होता।ऐतिहासिक जनमत संग्रह से ब्रिटेन का EU से टूटा 40 वर्ष पुराना नाता
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बैैठक के बाद 48 देशों के समूह द्वारा जारी एक बयान में यह भी कहा गया कि वह उन देशों की भागीदारी पर विचार करना जारी रखेगा जिन्होंने एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। बयान में कहा गया है कि समूह ने भारत के साथ असैन्य परमाणु सहयोग संबंधी बयान 2008 के सभी पहलुओं पर सूचना को साझा किया तथा भारत के साथ एनएसजी के रिश्तों पर विचार विमर्श किया। बैठक में भाग लेने वाले देशों ने एनपीटी को अंतरराष्ट्रीय अप्रसार व्यवस्था की धुरी बताते हुए इसके पूर्ण और प्रभावी तरीके से लागू करने की बात दोहराई।
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