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कोयला घोटाला: सुप्रीम कोर्ट ने कतरे 'तोते' के पर

कोयला घोटाले में सुप्रीम कोर्ट ने तोते के पर कतर दिए हैं। सीबीआइ न तो अपने आप शुरुआती जांच के बाद मामला बंद कर सकती है और न ही फिलहाल अदालत में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआइ निदेशक को प्रारंभिक जांच बंद करने के मामले में केंद्रीय सर्तकता आयोग (सीवीसी) की राय मानने का निर्देश दि

By Edited By: Updated: Tue, 08 Jul 2014 08:33 PM (IST)
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नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। कोयला घोटाले में सुप्रीम कोर्ट ने तोते के पर कतर दिए हैं। सीबीआइ न तो अपने आप शुरुआती जांच के बाद मामला बंद कर सकती है और न ही फिलहाल अदालत में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआइ निदेशक को प्रारंभिक जांच बंद करने के मामले में केंद्रीय सर्तकता आयोग (सीवीसी) की राय मानने का निर्देश दिया है। इतना ही नहीं सीबीआइ को अभी कोर्ट में सिर्फ आरोपपत्र दाखिल करने की छूट मिली है। क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने से पहले सीवीसी या कोई अन्य मामले को जांचेगा या नहीं इस पर अभी कोर्ट विचार करेगा। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने मामले में विशेष अभियोजक नियुक्त करने के संकेत भी दिए। साथ ही कोर्ट ने सख्त संदेश देते हुए कहा कि कोयला घोटाले की जांच से जुड़े दल में शामिल वरिष्ठ आइपीएस अधिकारियों को काम पूरा करने से पहले उनके मूल कैडर में वापस न भेजा जाए।

कोयला घोटाले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ कर रही है। जांच अभी तक पूरी न होने पर कोर्ट ने नाराजगी जताई है। हालांकि, तीन महीने का और समय मांग रहे सीबीआइ के वकील अमरेंद्र शरण व अमित आनंद तिवारी ने कहा कि नए केस दर्ज होने के कारण जांच में देरी हो रही है। बहुत से अधिकारी सेवानिवृत हो चुके हैं। उनका पता लगाने और बयान दर्ज करने में समय लग रहा है। सीबीआइ ने 2005 के मामलों की जांच का ब्योरा देते हुए बताया कि कुल 168 मामले थे, जिनमें से 166 में प्रारंभिक जांच पूरी हो गई है। 14 नियमित केस दर्ज हुए हैं, जिनमें छह की जांच पूरी हो गई है।ं दो में आरोपपत्र हुआ है, जबकि चार में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल होगी। इस पर कोर्ट ने पूछा कि जिन मामलों में क्लोजर दाखिल करने का फैसला लिया गया है क्या वे मामले सीवीसी को भेजे गए हैं? सीबीआइ ने कहा कि सीवीसी को सिर्फ प्रारंभिक जांच (पीई) के बाद बंद करने वाले मामले भेजे गए हैं। जिन मामलों में पीई के बाद नियमित केस दर्ज हुए हैं, उनमें क्लोजर रिपोर्ट सीधे अदालत में दाखिल होगी।

कोर्ट ने कहा कि क्लोजर रिपोर्ट दाखिल होने से पहले मामले पर कोई और भी विचार करे, लेकिन सीबीआइ इसके लिए राजी नहीं थी। उसका कहना था कि क्लोजर रिपोर्ट पर सिर्फ अदालत विचार कर सकती है। वैसे कोर्ट चाहे तो टूजी केस की तरह विशेष अदालत गठित कर दे, ताकि सारे आरोपपत्र और क्लोजर एक ही जज के सामने दाखिल हों। याची के वकील प्रशांत भूषण की मांग थी कि सीबीआइ की क्लोजर रिपोर्ट का कोई स्वतंत्र व्यक्ति आकलन करे। कोर्ट ने कहा कि वे सीबीआइ जांच के निष्पक्ष आकलन के लिए विशेष अभियोजक नियुक्त कर सकते हैं। अगली सुनवाई पर दोनों पक्ष विशेष अभियोजक के लिए नामों का सुझाव दें।

कोर्ट नें पीई के बाद 25 मामले बंद करने की सीबीआइ की सिफारिश पर सीवीसी की ओर से भेजी गई रिपोर्ट देख कर कहा कि सीवीसी कुछ मामलो में सीबीआइ से सहमत नहीं है। कोर्ट ने रिपोर्ट की प्रति सीबीआइ निदेशक को भेजने का निर्देश देते हुए आदेश दिया कि इन मामलों में सीवीसी की राय के मुताबिक काम होगा। अगली सुनवाई 18 जुलाई को होगी। उस दिन कोर्ट याची मनोहर लाल शर्मा की पूर्व कोयला मंत्रियों और सचिवों के खिलाफ जांच की मांग पर विचार कर सकता है।

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