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देश की एक चौथाई आबादी झेल रही है भीषण गर्मी और सूखे की मार

देश की एक चौथाई आबादी इन दिनों गर्मी और सूखे की मार झेल रही है। सरकार द्वारा जारी आंकड़ो के मुताबिक 10 राज्यों के 254 जिलों इन दिनों सूखे की चपेट में हैं।

By Atul GuptaEdited By: Updated: Wed, 20 Apr 2016 10:04 AM (IST)
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नई दिल्ली [जेएनएन]। मई-जून का आना अभी बाकी है, लेकिन देश की एक चौथाई आबादी अभी से सूखे की मार झेल रही है। मंगलवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में 10 सूखा प्रभावित राज्यों का ब्योरा दिया। सरकार ने कहा कि इन राज्यों में कुल 254 जिले सूखा प्रभावित हैं, जिनमें 33 करोड़ से ज्यादा लोग रहते हैं।

अब तक सौ से ज्यादा की मौत

भीषण गर्मी की वजह से उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान के मैदानी इलाकों में लोगों का जीना दूभर हो गया है। गर्मी का पारा दिनों दिन चढ़ता ही जा रहा है। राज्य के अधिकतर इलाकों में जल संकट बढ़ता जा रहा है। अब तक इस गर्मी के कारण तेलंगाना और आंध्रप्रदेश में 100 से ज्यादा और ओडिशा में 30 लोगों की मौत हो चुकी है।

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महाराष्ट्र के बांधों में सिर्फ 27 फीसद बचा है पानी

सूखाग्रस्त मराठवाड़ा इलाके में हालात दिनोंदिन खराब होते जा रहा है। इलाके के ग्यारह प्रमुख बांध मृतप्राय अवस्था में पहुंच चुके हैं और यहां के बांधों के जलस्तर अपनी क्षमता से 6 फीसदी पहले ही नीचे जा चुका है। इलाके के सबसे बड़े बांध जायकवाड़ा में सिर्फ दो फीसदी पानी बचा है। पिछले साल मराठवाड़ा में जलस्तर 18 फीसदी था यानि इस साल के मुकाबले स्थित बेहतर थी।

सूखे की चपेट में मराठवाड़ा, देखें तस्वीरें

मराठवाड़ा में लगातार 2 साल से सूखा

मराठवाड़ा में पिछले दो साल से लगातार सूखा पड़ रहा है। मराठवाड़ा के सात हजार से ज्यादा गांव भयंकर सूखे की चपेट में हैं। लोगों का बुरा हाल है। रोजी रोटी की तलाश में गांव के गांव खाली हो चले हैं। हालात ये है कि गांवों में लोग कम और ताले ज्यादा हैं। सबकी उम्मीद सिर्फ उस आसमान की ओर है जहां से पानी का एक बूंद तक नहीं टपका है। 2014 से इलाके में कम बारिश हो रही है। यहां के बांधों में जलस्तर पूरी तरह से गिर चुका है। महाराष्ट्र के बांधों में सिर्फ 27 फीसदी पानी बचा हुआ है, जबकि पिछले साल 43 फीसदी था। बांधों के जलस्तर में पिछले पांच सालों में सबसे ज्यादा कमी आई है।

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अमरावती की बांधों में सिर्फ 26 फीसदी बचा पानी

अमरावती की स्थित पर गौर करें तो यहां के हालात कहीं ज्यादा बदतर दिखाई दे रहे हैं। सबसे ज्यादा किसानों की खुदकुशी के गवाह अमरावती के बांधों में सिर्फ 26 फीसदी पानी बचा है। जो कि पिछले साल 37 फीसदी था।

सुप्रीम कोर्ट ने सूखाग्रस्त इलाकों का मांगा ब्योरा

गुजरात सरकार ने भी हाल में सूखा घोषित किया है। लेकिन केंद्र सरकार गुजरात के आंकड़े कोर्ट में पेश नहीं कर सकी।इस पर कोर्ट ने सरकार से सवाल भी किया। केंद्र ने मनरेगा, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ में राज्यों को जारी रकम के बारे में भी कोर्ट को बताया।केंद्र सरकार ने यह ब्योरा सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पेश किया है। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने सरकार से सूखा प्रभावित 10 राज्यों के जिला और जनसंख्यावार आंकड़े पेश करने को कहा था। इसके अलावा मनरेगा, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के आवंटन का ब्योरा भी मांगा था। गैर सरकारी संगठन स्वराज अभियान ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर सूखा प्रभावित 10 राज्यों में राहत दिए जाने की मांग की है। इस याचिका पर न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और एनवी रमन्ना की पीठ सुनवाई कर रही है। मंगलवार को एडीशनल सालिसिटर जनरल पी. नरसिम्हन ने कोर्ट में राज्यों की ओर से केंद्र को भेजा गया ब्योरा पेश किया।

इस पर नरसिम्हन ने कहा कि केंद्र और फंड जारी करेगा। याचिकाकर्ता की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने मांग की कि सरकार मनरेगा के तहत 78,633 करोड़ का फंड जारी करे। इसमें से 50 फीसद तत्काल दिया जाए। मामले में बुधवार को फिर सुनवाई होगी।

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सरकार को नसीहत

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि उसको सूखे पर एडवाइजरी जारी करते रहना चाहिए।
--उसे राज्यों को बताना चाहिए कि इस हिस्से मे सूखा पड़ने की संभावना है।
--सरकार अगस्त में एडवाइजरी देना शुरू करे। फिर नवंबर, दिसंबर और जनवरी, फरवरी में जारी की जाए।
--इसके बाद भी राज्य उस क्षेत्र को सूखा प्रभावित घोषित नहीं करता तो यह दूसरा मसला होगा।
--केंद्र सरकार को सूखे से निपटने के लिए राज्यों को फंड भी मुहैया कराना चाहिए।


इन जगहों पर ट्रेन से पहुंच रहा है पानी

एक तरफ तरफ जहां सूखाग्रस्त मराठवाड़ा में अब तक लाखों लीटर पानी पहुंचाकर वहां बूंद-बूंद को तरसते लोगों की प्यास बुझायी जा रही है तो वहीं दूसरी तरफ राजस्थान के भीलवाड़ा में भी कुछ ऐसी ही स्थिति है। भीलवाड़ा जिला तो ऐसा है जहां लोगों को छह से सात दिन में एक बार पानी मिल रहा है। यहां अभी से ट्रेन से पानी पहुंचाना पड़ रहा है। प्रतिदिन 25 लाख लीटर पानी ट्रेन से पहुंचाने की व्यवस्था की गई है। भीलवाड़ा के लोग पानी के लिए इतने परेशान है कि बीसलपुर बांध से पानी लेकर जैसे ही ट्रेन भीलवाड़ा स्टेशन पहुंचती है तो लोग अपने बर्तन टैंकर में से रिसने वाले पानी के नीचे लगा देते है।

हालांकि, भीलवाड़ा शहर में तो पिछले 17 वर्षों से जलदाय विभाग नलों के माध्यम से पानी की सप्लाई नहीं कर पा रहा है। हालात इतने विकट है कि भीलवाड़ा जिले के किसान अपने पशु सस्ती दरों पर बेच रहे हैं, क्योंकि पशुओं के लिए पानी ही नहीं मिल पा रहा। गर्मी की शुरुआत में ही प्रदेश के 33 में 11 जिलों में लोग खरीद कर पानी पीने को मजबूर है, अब तक यह हालात मई-जून माह में होते थे। राज्य के 89 कस्बों और 14 हजार गांवों में सूखे और पानी की कमी को देखते हुए राज्य सरकार ने प्रयास तो शुरू कर दिए, लेकिन आर्थिक संकट से जूझ रही सरकार इतना नहीं कर पा रही जितनी जरूरत है, हालांकि सरकार ने पानी के संकट से निपटने के लिए एक्शन प्लान तैयार किया है।

सूखा प्रभावित मराठवाड़ा के बांधों में बचा केवल तीन फीसद पानी

प्रत्येक अधीक्षण अभियंता की 50-50 लाख रुपए कटंजेसी प्लान के रूप में आवंटित किए गए है, जिसे वे अत्यधिक जरूरत पर टैंकरों से पानी पहुंचाने में उपयोग करेंगे। जलदाय विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार चित्तौडग़ढ़, भीलवाड़ा, उदयपुर, बांसवाड़ा, बाड़मेर, बारां, राजसमंद, डूगरपुर, प्रतापगढ़, जयपुर, अजमेर, जोधपुर, जालौर, पाली, चूरू, नागौर, झुंनझुनु जैसलमेर एवं हनुमानगढ़ जिलों में पानी का संकट गहराता जा रहा है।
सूखे से प्रभावित 10 राज्यों का ब्योरा

उत्तर प्रदेश : 50 जिले
झारखंड : 22 जिले
कर्नाटक : 27 जिले
छत्तीसगढ़ : 25 जिले
मध्य प्रदेश : 46 जिले
महाराष्ट्र : 21 जिले
ओडिशा : 27 जिले
आंध्र प्रदेश : 10 जिले
तेलंगाना : 8 जिले
राजस्थान : 19 जिले

उत्तर प्रदेश में सूखे का ब्योरा

उत्तर प्रदेश के 75 में से 50 जिले सूखे से प्रभावित हैं। इनमें संत रविदास नगर, सोनभद्र, सुल्तानपुर, मिर्जापुर, बलिया, सिद्धार्थ नगर, शाहजहांपुर, बांदा, प्रतापगढ़, चंदौली, इटावा, बस्ती, बागपत, जौनपुर, फैजाबाद, गोंडा, कन्नौज, बाराबंकी, संत कबीर नगर, झांसी, जालौन, गोरखपुर, हाथरस, एटा, इलाहाबाद, गाजियाबाद, फर्रुखाबाद, मऊ, उन्नाव, रामपुर, हमीरपुर, ललितपुर, चित्रकूट, कानपुर नगर, लखनऊ, देवरिया, मैनपुरी, महाराजगंज, आगरा, औरैया, पीलीभीत, अमेठी, महोबा, राय बरेली, कुशीनगर, कानपुर देहात, कौशांबी, फतेहपुर, अंबेडकर नगर और बलराम पुर।

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