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सिर्फ सुप्रीम कोर्ट करेगा मुजफ्फरनगर दंगे की सुनवाई

मुजफ्फरनगर दंगे से जुड़े हर छोटे-बड़े मामले को सीधे सुप्रीम कोर्ट देखेगा। दंगे की निगरानी कर रहे शीर्ष न्यायालय ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि ऐसे सभी मामलों की सुनवाई सिर्फ वही करेगा। मुजफ्फरनगर दंगे में पुलिसकर्मियों के तबादले पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। मुख्

By Edited By: Updated: Mon, 21 Oct 2013 09:27 PM (IST)
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नई दिल्ली [माला दीक्षित]। मुजफ्फरनगर दंगे से जुड़े हर छोटे-बड़े मामले को सीधे सुप्रीम कोर्ट देखेगा। दंगे की निगरानी कर रहे शीर्ष न्यायालय ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि ऐसे सभी मामलों की सुनवाई सिर्फ वही करेगा। मुजफ्फरनगर दंगे में पुलिसकर्मियों के तबादले पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। मुख्य न्यायाधीश पी. सतशिवम और न्यायमूति रंजन गोगोई की पीठ ने अपने पुराने फैसले का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि मुजफ्फरनगर मामले में किसी भी घटना में राहत या निर्देश पाने के लिए पीड़ित पक्ष सिर्फ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सकता है।

सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री को निर्देश दिया गया है कि वह इलाहबाद हाई कोर्ट को शीर्ष अदालत का19 सितंबर का आदेश भेजे। इसमें कहा गया है कि 27 अगस्त, 2013 को मुजफ्फरनगर और उसके आसपास घटी घटनाओं के पीड़ित सिर्फ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सकते हैं। गुजरात के बाद दंगों का यह दूसरा मामला होगा, जिसमें सुप्रीमकोर्ट इतने विस्तृत स्तर पर निगरानी कर रहा है और सभी मामले स्वयं सुनेगा। सोमवार को यूपी सरकार के वकील रविप्रकाश मेहरोत्रा ने कहा कि जब दंगे से जुड़े पूरे मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट कर रहा है तो इलाहाबाद हाई कोर्ट पुलिसकर्मियों के तबादले का मामला कैसे सुन सकता है। एक मुद्दे पर दो जगह सुनवाई से विरोधाभासी फैसले आ सकते हैं। उन्होंने हाई कोर्ट की याचिका भी सुप्रीम कोर्ट स्थानांतरित करने की मांग की। पीठ ने दलीलें सुनने के बाद याचिका दाखिल करने वाले पुलिसकर्मियों को नोटिस जारी किया और हाई कोर्ट की सुनवाई पर रोक लगा दी।

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दंगे के बाद मुजफ्फरनगर से स्थानांतरित उत्तार प्रदेश के सात पुलिसकर्मियों ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर तबादले को चुनौती दी है। उनका आरोप है कि तबादला अनुचित है। उन्हें सिर्फ जाट समुदाय का होने के कारण स्थानांतरित किया गया है। उन्होंने राज्य सरकार के एक मंत्री के इशारे पर तबादला करने का आरोप लगाते हुए मंत्री आजम खान को भी याचिका में पक्षकार बनाया था। हाई कोर्ट ने याचिका पर यूपी सरकार, पुलिस अफसरों और आजम खान को नोटिस जारी किया था। साथ ही राज्य सरकार से 7 सितंबर, 2013 के बाद किए गए तबादलों का पूरा ब्योरा तलब किया था। साथ ही पुलिसकर्मियों के तबादले पर रोक लगा दी थी। इस मामले में 23 अक्टूबर को हाई कोर्ट में फिर सुनवाई होनी थी, लेकिन इस बीच सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरण याचिका दाखिल कर सुनवाई पर रोक आदेश ले लिया है।

स्टिंग पर यूपी को नोटिस : दंगे के बाद किए गए स्टिंग ऑपरेशन के मामले में दाखिल एक अन्य याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तार प्रदेश सरकार को नोटिस जारी करते हुए याचिका को अन्य के साथ सुनवाई के लिए संलग्न करने का आदेश दिया है।

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