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सूखा प्रभावित मराठवाड़ा के बांधों में बचा केवल तीन फीसद पानी

महाराष्ट्र के सूखा प्रभावित मराठवाड़ा इलाके में जल स्तर काफी कम हो गया है और इनमें केवल तीन फीसद पानी बचा है।

By Manish NegiEdited By: Updated: Wed, 20 Apr 2016 09:44 AM (IST)
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मुंबई, (पीटीआई/आइएएनएस)। महाराष्ट्र के सूखा प्रभावित मराठवाड़ा इलाके के लिए एक और मुसीबत खड़ी हो गई है। यहां के बांधों का जल स्तर काफी कम हो गया है और इनमें केवल तीन फीसद पानी बचा है। इस बीच जल संकट को देखते हुए राज्य सरकार ने 200 फीट से अधिक गहरे बोरवेल की खुदाई पर रोक लगा दी है।

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मराठवाड़ा क्षेत्र के 11 प्रमुख बांधों में से आठ का जल स्तर इतना कम है कि इनसे पानी का प्रवाह नहीं हो सकता। औरंगाबाद के डिवीजनल कमिश्नर उमाकांत डांगत ने बताया कि पिछले साल इस समय मराठवाड़ा के बांधों में पानी काफी अधिक 11 फीसद था। पिछले पांच वर्षों में मराठवाड़ा में सूखे की स्थिति का चौथा साल है। यहां के सभी 8,522 गांवों लगातार दूसरी बार सूखे से प्रभावित हैं।

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जल विशेषज्ञ प्रदीप पुरंदारे के अनुसार औरंगाबाद के ओसमानाबाद, बीड़, लातूर में हालात और भी गंभीर हैं जहां 6 परियोजनाएं पूरी तरह सूख चुकीं है। पुरंदारे कहते हैं कि मराठवाड़ा मरुस्थलीकरण की ओर बढ़ रहा है और यदि यही स्थिति आगे भी रहती है तो यहां जमीन बंजर हो सकती है।

सिंचाई विभाग के मुताबिक, राज्यभर के बांधों में पिछले साल इसी समय 32 फीसद की तुलना में केवल 19 फीसद पानी हैं। राज्य के जल संसाधन मंत्री गिरीश महाजन ने बताया कि उद्योगों को जलापूर्ति में कटौती की गई है। अधिकारियों को पीने के पानी को प्राथमिकता देने को कहा गया है। क्षेत्र में 2,745 पानी टैंकर का इस्तेमाल किया जा रहा है। पिछले साल इस समय यह संख्या 939 थी।

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राज्य के जलापूर्ति एवं सफाई मंत्री बबनराव लोनीकर ने बताया कि 200 फीट से अधिक गहरे बोरवेल की खुदाई पर रोक लगा दी गई है। इसका उल्लंघन करने वाले को जुर्माना या जेल तक हो सकती है। सूखे को देखते हुए महाराष्ट्र भूजल विकास एवं प्रबंधन कानून को कड़ाई से लागू किया गया है।

पानी बर्बादी के लिए मंत्री निशाने पर

भाजपा के एक कार्यकर्ता ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस से सूखा क्षेत्रों में वीवीआइपी दौरे के चलते हेलीपैड पर पानी की बर्बादी रोकने को कहा है। दयानंद नेने ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि सोमवार को भिवंडी में हेलीपैड तैयार करने के लिए 10,000 लीटर पानी बर्बाद किया गया। यह हेलीपैड केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह और राज्य के कृषि मंत्री एकनाथ खड्से के दौरे के लिए बनाया गया। उन्होंने मुख्यमंत्री से ऐसे जगहों पर वीवीपीआइ हेलीकॉप्टर दौरे को रोकने की मांग की जहां हेलीपैड न हों।