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जजों की नियुक्ति में सरकार की राय पर भी विचार होना चाहिए

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पी सतशिवम ने कहा है कि सर्वोच्च अदालत और विभिन्न हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति के वक्त केंद्र और राज्य सरकारों की राय पर भी विचार होना चाहिए। केंद्र व राज्य सरकारें जजों की नियुक्ति पर अपने विचार और आपत्तियां रखने के लिए स्वतंत्र हैं। मुख्य न्यायाधीश ने मंगलवार को यहां वैकल्पिक विवाद समाधान

By Edited By: Updated: Tue, 20 Aug 2013 07:25 PM (IST)
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चेन्नई। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पी सतशिवम ने कहा है कि सर्वोच्च अदालत और विभिन्न हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति के वक्त केंद्र और राज्य सरकारों की राय पर भी विचार होना चाहिए। केंद्र व राज्य सरकारें जजों की नियुक्ति पर अपने विचार और आपत्तियां रखने के लिए स्वतंत्र हैं।

मुख्य न्यायाधीश ने मंगलवार को यहां वैकल्पिक विवाद समाधान केंद्र (एडीआर) के उद्घाटन के मौके पर कहा, 'आम जनता जजों का चुनाव नहीं करती, लेकिन वकील और जज अंतत: आम लोगों के प्रति ही जवाबदेह हैं।' एडीआर प्रणाली पर उन्होंने कहा कि इसे सिर्फ लंबित मामलों को कम करने के तंत्र के तौर पर नहीं देखना चाहिए। इसके माध्यम से मुकदमे के पक्षकार आपसी गलतफहमी दूर कर सकते हैं।

मुख्य न्यायाधीश ने न्यायपालिका की गिरती साख पर भी चिंता जाहिर करते हुए कहा कि न्यायपालिका भारत की सबसे सम्मानित संस्था है, लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इसकी प्रतिष्ठा में लगातार कमी आ रही है। जस्टिस सतशिवम ने कहा कि न्यायपालिका को महिलाओं, बच्चों, सामाजिक रूप से पिछड़े तबकों और अल्पसंख्यकों से संबंधित मुकदमों को तरजीह देना चाहिए। इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट के जज न्यायाधीश एफएम इब्राहिम कलीफुल्ला और मद्रास हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश कुमार अग्रवाल भी उपस्थित थे।

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