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वार्ता से पहले उलझे भारत-पाक

इस्लामाबाद में भारत और पाकिस्तान के विदेश सचिवों की 25 अगस्त को होने वाली बैठक से पहले आतंकवाद के घावों को लेकर दोनों देश उलझ गए हैं। सीमा पार से जारी छद्म युद्ध पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीखे प्रहार से तिलमिलाए पाकिस्तान की प्रतिक्रिया को भारत ने सिरे से खारिज कर दिया है। पाकिस्तान द्वारा मोदी के बयान को दुर्भाग्यपूर्ण और तथ्यों से परे बताए जाने पर पलटवार करते हुए भारत ने कहा कि उसके लिए आतंकवाद एक जीता-जागता खतरा है। पीएम ने इन्हीं चिंताओं को सामने रखा है। पाकिस्तान ध्यान रखे कि भारत के पास आतंकवाद से मुकाबला करने को सारे औजार मौजूद हैं।

By Edited By: Updated: Thu, 14 Aug 2014 12:10 AM (IST)
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जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। इस्लामाबाद में भारत और पाकिस्तान के विदेश सचिवों की 25 अगस्त को होने वाली बैठक से पहले आतंकवाद के घावों को लेकर दोनों देश उलझ गए हैं। सीमा पार से जारी छद्म युद्ध पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीखे प्रहार से तिलमिलाए पाकिस्तान की प्रतिक्रिया को भारत ने सिरे से खारिज कर दिया है। पाकिस्तान द्वारा मोदी के बयान को दुर्भाग्यपूर्ण और तथ्यों से परे बताए जाने पर पलटवार करते हुए भारत ने कहा कि उसके लिए आतंकवाद एक जीता-जागता खतरा है। पीएम ने इन्हीं चिंताओं को सामने रखा है। पाकिस्तान ध्यान रखे कि भारत के पास आतंकवाद से मुकाबला करने को सारे औजार मौजूद हैं।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान सुविधा से चुने तथ्यों और दलीलों को पेश कर मुद्दे को भटकाने की कोशिश न करे। आतंकवाद भारत के लिए एक जीवंत खतरा है और उसके खिलाफ अभी तक हुए अधिकतर आतंकी हमलों के तार पाकिस्तान या उसके कब्जों वाली जमीन से जुड़े हैं। ऐसे में भारतीय प्रधानमंत्री ने जो भी कहा वह आतंकवाद के खतरे पर भारत की चिंताओं का ही प्रकटीकरण है। विदेश मंत्रालय प्रवक्ता सैय्यद अकबरुद्दीन का कहना था कि पाकिस्तान की ओर से नकारे जाने से भारत-पाक रिश्तों में आतंकवाद से जुड़ी चिंताएं खत्म नहीं हो जाएंगी। भारत आतंकवाद पर अपनी चिंताओं का सभी उपलब्ध साधनों से समाधान करेगा। उसके पास इसके लिए हर औजार मौजूद है। वह इनका इस्तेमाल करने से नहीं हिचकेगा।

इससे पहले पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने प्रधानमंत्री मोदी के आरोपों को दुर्भाग्यपूर्ण और तथ्यों से परे बताते हुए कहा कि मोदी के आरोप शब्दों के अलंकार के सिवा कुछ नहीं है, क्योंकि पाकिस्तान हमेशा से आतंकवाद की निंदा करता रहा है। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता तसनीम असलम ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अपने नागरिकों और सैनिकों की शहादत का हवाला देते हुए मुल्क को इस बीमारी का सबसे बड़ा शिकार बताया।

महत्वपूर्ण है कि बीते दिनों सीमा पर पाक की ओर से शांति विराम उल्लंघन और कश्मीर में आतंकी घुसपैठ में आई तेजी के बीच मंगलवार को जम्मू-कश्मीर गए प्रधानमंत्री मोदी ने छद्म युद्ध को लेकर पड़ोसी को आड़े हाथों लेते हुए कहा था कि हमारा पड़ोसी सीधे युद्ध की ताकत खो चुका है, इसलिए परोक्ष लड़ाई लड़ रहा है जिसमें बेगुनाहों को मारा जाता है। प्रधानमंत्री के दौरे से ठीक पहले पाक की ओर से सीमा पर बीते कई दिनों से भारी गोलाबारी का सिलसिला जारी है।

उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार पाकिस्तान के साथ दोस्ती की पहल के साथ ही अपने चिंता के मुद्दों को भी बेबाकी से सामने रखने की नीति पर चल रहे हैं। इस बीच विदेश मंत्रालय ने ताजा तल्खी के बीच 25 अगस्त को इस्लामाबाद में दोनों देशों के विदेश सचिवों की बातचीत टालने की किसी संभालना को खारिज कर दिया। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण समारोह के बाद 27 मई को पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मुलाकात में दोनों नेताओं ने विदेश सचिवों को बातचीत की प्रक्रिया आगे बढ़ाने के लिए संपर्क में रहने को कहा था।

'भारत के उच्च राजनीतिक स्तर से लगाए गए आरोप आधारहीन और दुर्भाग्यपूर्ण हैं। पाकिस्तानी नेतृत्व भारत के साथ दोस्ताना संबंध विकसित करना चाहता है।'

-तसनीम असलम, प्रवक्ता पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय

'देश में हुए ज्यादातर आतंकी हमलों के तार पाकिस्तान से जुड़े रहे हैं। पाकिस्तान के इन्कार से आतंकवाद को लेकर हमारी चिंता दूर नहीं होने वाली है। यह हमारे लिए असल चुनौती है।'

-सैयद अकबरुद्दीन, प्रवक्ता भारतीय विदेश मंत्रालय

मुझे नहीं लगता कि प्रधानमंत्री ने जो कहा है, उसमें कुछ भी गलत है। आतंकवाद को पाकिस्तान ने हर तरह से समर्थन दिया है। अब वह खुद अपने किए की फल भुगत रहा है।

-शशि थरूर, पूर्व विदेश राज्यमंत्री

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