दिल्ली पर फिर मंडराएगा पराली का दमघोंटू धुआं, केंद्र ने राज्यों को चेताया
अक्तूबर में मचेगी कटाई के साथ ही पराली जलाने की जल्दी। राजधानी समेत समूचे उत्तरी क्षेत्र पर मंडरा रहे संकट के बादल। ---------------
सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली समेत समूचे उत्तर भारत पर फिर पराली का दम घोंटू धुंआ मंडरायेगा। खरीफ सीजन की प्रमुख फसल धान की कटाई अगले महीने शुरू हो जाएगी, जिसके साथ ही पराली जलाकर खेत खाली करने की जल्दी मचेगी। इसे रोकने के सभी सख्त से सख्त उपाय धरे के धरे रह जाएंगे।
राजधानी दिल्ली की आबो हवा को पराली के धुएं से दूषित करने वाले ऐसे सभी राज्यों को केंद्र ने सख्त चेतावनी भेजनी शुरू कर दी है।
पड़ोसी राज्य हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश व राजस्थान में पराली के साथ अन्य फसलों से निकलने वाले कूड़े कचरे को जलाने पर पाबंदी के लिए चाक चौबंद बंदोबस्त किया है। इसकी निगरानी प्रणाली को भी मजबूत किया जा रहा है। चालू खरीफ सीजन की फसलें खेतों में तैयार खड़ी हैं। अक्तूबर में किसी भी समय कटाई शुरु हो सकती है। इसके साथ ही फसलों की पराली जलाने की होड़ सी लग जाती है। अक्तूबर के पहले सप्ताह में ही दिल्ली में अंडर-17 फीफा विश्व कप का आयोजन शुरु होने वाला है। वैश्विक छवि संवारने के लिए सरकार कोई कदम उठाने से नहीं चूकेगी। खेल व पर्यावरण मंत्रालय के साथ कृषि मंत्रालय ने एनसीआर के सभी राज्य सरकारों को आगाह कर दिया है।
पराली के धुंए से आंखों में जलन, दिन पर धुंध, बच्चों की सेहत पर संकट ही संकट पैदा होना आम हो गया है। हालांकि इससे बचने के लिए केंद्र ने सभी राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों को पराली पर राष्ट्रीय नीति का मसौदा भेजकर उसे लागू करने का आग्रह किया है।
इसमें धान की पराली को गंभीर समस्या माना गया है, जिसे किसान जलाकर खेत खाली करने की जल्दी में रहते हैं। हरियाणा, पंजाब और पश्चिम उत्तर प्रदेश में धान की फसल सबसे पहले तैयार हो जाती है। आगामी गेहूं की बुवाई के लिए खेत खाली करने चक्कर में धान की फसलें कंबाइनर हार्वेस्टर से कटाई जाती है। इस मशीन से कटाई में धान की पराली खेतों में ही खड़ी रह जाती है, जिसे खेत में ही जला दिया जाता है।
राज्यों को भेजे पत्रों में स्पष्ट किया गया है कि पराली जलाने के लिए कानूनी प्रावधान के साथ लोगों के बीच जागरुकता लाना जरूरी है। इसके लिए उठाये जाने वाले कदमों की जानकारी भी हर सप्ताह देना जरूरी किया गया है। एनजीटी के निर्देशों से सभी ग्राम पंचायतों को अवगत कराना है। पराली न जलाने वाले किसानों को प्रोत्साहित भी किया जाए। खेत को जल्दी खाली करने के वैकल्पिक उपायों और मशीनरी मुहैया कराने का बंदोबस्त भी राज्य सरकारें करें।
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