Move to Jagran APP

सहयोगी पार्टियों से रिश्ता टूटना राजग के पतन की शुरुआत नहीं: पासवान

महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना का रिश्ता खत्म हो जाने और हरियाणा में अकाली दल द्वारा इनेलो-जदयू गठबंधन को समर्थन देने के बावजूद केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान इसे राजग के पतन की शुरुआत नहीं मानते। लोजपा अध्यक्ष के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि वे शिवसेना की आलोचना नहीं करेंगे। शिवसेना क

By Sudhir JhaEdited By: Updated: Wed, 08 Oct 2014 06:54 PM (IST)
Hero Image

नई दिल्ली। महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना का रिश्ता खत्म हो जाने और हरियाणा में अकाली दल द्वारा इनेलो-जदयू गठबंधन को समर्थन देने के बावजूद केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान इसे राजग के पतन की शुरुआत नहीं मानते। लोजपा अध्यक्ष के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि वे शिवसेना की आलोचना नहीं करेंगे।

शिवसेना कहती है कि वह केंद्र में भाजपा की आलोचना नहीं करेगी और राजग का हिस्सा बनी रहेगी। इन बातों से राजग के घटक दलों के बीच आपसी रिश्तों का पता चलता है। बुधवार को समाचार एजेंसी से विशेष भेंट में पासवान ने कहा कि सत्ताधारी गठबंधन के घटक दलों में कोई खींचतान नहीं है।

उन्होंने लोकसभा व विधानसभा चुनावों को एक-दूसरे से अलग बताते हुए कहा कि दोनों के मुद्दे भी भिन्न होते हैं। विधानसभा चुनाव में पार्टी कैडर का ज्यादा दबाव रहता है। टिकट के लिए कार्यकर्ताओं की दावेदारी बढ़ जाती है। ऐसे में पार्टी नेताओं को ज्यादा-से-ज्यादा समायोजन करना पड़ता है। भाजपा-शिवसेना के बीच गठबंधन टूटने को इसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए।

पासवान ने यह मानने से भी इन्कार कर दिया कि मोदी सरकार के मंत्रियों को बोलने की आजादी नहीं है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का मतलब है काम करना। यह सही नहीं होता है कि कोई मंत्री ऊंचे-ऊंचे दावे तो करे, लेकिन धरातल पर कोई काम ही नजर न आए। इसलिए अब हमें ज्यादा काम करना पड़ता है। प्रधानमंत्री ने मंत्रियों से समय सीमा के अंदर निश्चित लक्ष्य बनाकर काम करने को कहा है।

बिहार लोजपा में कम होगी चिराग की दखलंदाजी

जागरण ब्यूरो। करीब दो महीने की रस्साकशी के बाद लोजपा के पदाधिकारियों की सूची जारी हो गई। साथ में यह भी तय हो गया कि सांसद चिराग पासवान बिहार के मामलों में ज्यादा दखलंदाजी नहीं करेंगे।

खबर है कि चिराग की दखलंदाजी से उनके चाचा प्रदेश अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस असहज महसूस कर रहे थे। इसके चलते वह नई दिल्ली में पिछले महीने हुई लोजपा की बैठक में भी शामिल नहीं हुए थे। यहां तक कि वह प्रदेश अध्यक्ष भी नहीं बनना चाहते थे। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामविलास पासवान ने उन्हें जैसे-तैसे मनाया। भरोसा दिया कि प्रदेश संगठन में किसी की दखलंदाजी नहीं होगी। इसके बाद मंगलवार को पदाधिकारियों की सूची जारी हो सकी। चिराग लोजपा के केंद्रीय संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष हैं। प्रदेश संगठन की सूची में ऐसे लोगों के नाम शामिल नहीं हैं, जो पारस के वफादार रहे हैं लेकिन चिराग उन्हें पसंद नहीं करते हैं। पद बांटने में उन नेताओं को तरजीह मिली है, जो लंबे समय से पार्टी और पारस के प्रति वफादार रहे हैं। वैसे अब तक लोजपा की सांगठनिक जिम्मेदारी पारस पर ही रही है। वही चुनाव की रणनीति भी बनाते हैं।

सूत्रों के मुताबिक बिहार संगठन में चिराग की दिलचस्पी अपने आप नहीं बढ़ी। पार्टी के ही कुछ नेता चिराग को समझा रहे थे कि संगठन पर उनकी पकड़ होनी चाहिए। यह सलाह देने वाले नेताओं में से एक पूर्व विधायक महेश्वर सिंह हैं। पारस ने मौका मिलते ही उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया।

पढ़ें: जेल के विशेषज्ञ हैं लालू: पासवान

पढ़ें: असहाय और बेचारे सैं मांझी: पासवान