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बाथे नरसंहार के सभी 26 आरोपी बरी

पटना हाई कोर्ट ने बिहार के सबसे बड़े नरसंहार - लक्ष्मणपुर बाथे सामूहिक हत्याकांड के सभी 26 आरोपियों को बरी कर दिया है। कोर्ट ने उनके विरुद्ध सजा लायक साक्ष्य नहीं पाया। आरोपियों में दो अब इस दुनिया में नहीं हैं जबकि एक फरार है।

By Edited By: Updated: Thu, 10 Oct 2013 12:59 AM (IST)
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जागरण ब्यूरो, पटना। पटना हाई कोर्ट ने बिहार के सबसे बड़े नरसंहार - लक्ष्मणपुर बाथे सामूहिक हत्याकांड के सभी 26 आरोपियों को बरी कर दिया है। कोर्ट ने उनके विरुद्ध सजा लायक साक्ष्य नहीं पाया। आरोपियों में दो अब इस दुनिया में नहीं हैं जबकि एक फरार है। एक दिसंबर, 1997 की रात अरवल के लक्ष्मणपुर बाथे गांव में 58 लोग मारे गए थे। मारे गए लोगों में दो से लेकर आठ वर्ष के 16 बच्चे, 27 महिलाएं व बूढ़े भी शामिल थे। पटना सिविल कोर्ट के एडीजे विजय प्रकाश मिश्रा ने सात अप्रैल, 2010 को इसी मामले में 16 दोषियों को फांसी व 10 को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। निचली अदालत ने इसे 'रेयर ऑफ द रेयरेस्ट क्राइम' माना था।

बुधवार को पटना हाई कोर्ट के जस्टिस न्यायमूर्ति वीएन सिन्हा और जस्टिस एके लाल की खंडपीठ ने निचली अदालत से सजा पाए सभी 26 लोगों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। जिन लोगों को फांसी की सजा से मुक्त किया गया है, वे हैं-गिरजा सिंह, सुरेंद्र सिंह, अशोक सिंह, गोपाल शरण सिंह, बालेश्वर सिंह, द्वारिका सिंह, बिजेंद्र सिंह, नवल सिंह, बलिराम सिंह, नंदु सिंह, शत्रुधन सिंह, नंद सिंह, प्रमोद सिंह, राम केवल शर्मा, धर्मा सिंह और शिव मोहन शर्मा। इनमें गिरिजा सिंह व शिवमोहन शर्मा अब इस दुनिया में नहीं हैं। धर्मा सिंह फरार है। दर्ज प्राथमिकी के मुताबिक रणवीर सेना के करीब दो सौ लोगों ने लक्ष्मणपुर बाथे गांव में घुसकर 58 लोगों को मार डाला था। गांव में करीब तीन घंटे तक खूनी कारनामा चला। यह बारा (गया) नरसंहार का बदला बताया गया था। बारा में 1992 में 37 लोगों की हत्या हुई थी।

'अदालत में काफी कमजोर साक्ष्य प्रस्तुत किए गए। साक्ष्य के आधार पर किसी को फांसी या उम्रकैद नहीं दी जा सकती। इस मामले में निष्पक्ष और त्वरित गति से साक्ष्य नहीं जुटाए गए।'

- जस्टिस वीएन सिन्हा व जस्टिस एके लाल ने अपने फैसले में

फैसले से गुस्से में हैं लक्ष्मणपुर बाथे के लोग

जहानाबाद। बहुचर्चित लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार के सिलसिले में पटना हाई कोर्ट द्वारा बुधवार को सभी अभियुक्तों को बरी कर दिए जाने को लेकर प्रभावित लोग काफी गुस्से में हैं। उनकी नाराजगी बिहार सरकार से है। ग्रामीण कहते हैं कि गरीबों को न्याय नहीं मिलने वाला है। गरीब मारे जाते हैं और अभियुक्त रिहा हो जाते हैं।

पीड़ित लोग कह रहे हैं कि आरोपियों की रिहाई के पहले हम लोगों को ही फांसी पर लटका दिया जाए। वे हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की भी बात कह रहे हैं। अपनी पत्‍‌नी, बहू तथा बेटी को गंवा देने वाले लक्षमण राजवंशी इस फैसले से काफी आहत दिखे। उन्होंने कहा कि हम सरकार के रवैये से बहुत निराश हैं। इस मामले में मुकदमा दर्ज कराने वाले विनोद पासवान के परिवार के सात लोगों की हत्या हुई थी। विनोद ही मुकदमे की देखरेख कर रहे थे। वे काफी निराश हैं। विनोद ने कहा कि वे मामले की अपील सुप्रीम कोर्ट में करेंगे।

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