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रेल मंत्रालय से बंसल का कटा टिकट, अश्विनी कुमार का भी इस्तीफा

आखिरकार अपनी और साथ ही सरकार की तमाम छीछालेदर के बाद रेल मंत्री पवन कुमार बंसल और कानून मंत्री अश्विनी कुमार केंद्रीय मंत्री परिषद से विदा हो गए। इन दोनों दागी मंत्रियों के इस्तीफे तब हुए जब खुद सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री के आवास जाकर उनसे इसके लिए कहा। माना जाता है कि राहुल गांधी भी इन दोनों मंत्रियों की छुंट्टी होते हुए देखना चाहते थे। रिश्वत लेकर प्रमोशन करने के मामले में फंसे रेल मंत्री पवन बंसल शुक्रवार रात प्रधानमंत्री आवास गए और वहां से निकलते ही अपने इस्तीफे की पुष्टि कर

By Edited By: Updated: Sat, 11 May 2013 08:46 AM (IST)

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। आखिरकार अपनी और साथ ही सरकार की तमाम छीछालेदर के बाद रेल मंत्री पवन कुमार बंसल और कानून मंत्री अश्विनी कुमार केंद्रीय मंत्री परिषद से विदा हो गए। इन दोनों दागी मंत्रियों के इस्तीफे तब हुए जब खुद सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री के आवास जाकर उनसे इसके लिए कहा। माना जाता है कि राहुल गांधी भी इन दोनों मंत्रियों की छुंट्टी होते हुए देखना चाहते थे। रिश्वत लेकर प्रमोशन करने के मामले में फंसे रेल मंत्री पवन बंसल शुक्रवार रात प्रधानमंत्री आवास गए और वहां से निकलते ही अपने इस्तीफे की पुष्टि कर दी, लेकिन कोयला घोटाले की सीबीआइ जांच रपट में छेड़छाड़ करने के गंभीर आरोप से घिरे कानून मंत्री अश्विनी कुमार प्रधानमंत्री के समक्ष अपने बचाव में दलीलें देते रहे। इसके चलते कुछ क्षणों के लिए यह भ्रम फैला कि शायद एक कुमार गए और दूसरे बच गए। अंतत: अश्विनी कुमार के इस्तीफे की भी पुष्टि हुई। यह पहली बार है जब भ्रष्टाचार के अलग-अलग मामलों से घिरे दो केंद्रीय मंत्रियों को एक साथ इस्तीफे देने पड़े हैं।

इस मामले पर भाजपा प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि आखिरकार सरकार को अपनी गलती मानकर भ्रष्ट मंत्रियों पर कार्रवाई करनी पड़ी। हम जानना चाहते हैं कि कानून मंत्री किसे बचाना चाह रहे थे। भाजपा सिर्फ दो मंत्रियों के इस्तीफे पर चुप नहीं रहेगी। पढ़ें: बंसल के ऑफिस से ही होती थीं डील

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सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस आलाकमान की प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद ही पवन कुमार बंसल और अश्विनी कुमार को इस्तीफे का फरमान सुना दिया गया था। लिहाजा रात करीब 8:30 बजे दोनों प्रधानमंत्री से मिलकर अपना इस्तीफा सौंपने गए। बंसल ने तो जल्दी ही वहां से निकलकर अपने इस्तीफे की पुष्टि कर दी, लेकिन अश्विनी को लेकर असमंजस की स्थिति बनी रही। उनके इस्तीफे में इसलिए देर हुई, क्योंकि वह प्रधानमंत्री को यह समझाने की कोशिश में लग गए कि उन्हें कानून मंत्री की कुर्सी क्यों नहीं छोड़नी चाहिए। हालांकि प्रधानमंत्री अश्विनी कुमार के प्रति शुरू से ही नरमदिली दिखा रहे थे, लेकिन सोनिया गांधी के स्पष्ट रुख के चलते उनकी दाल नहीं गली।

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दरअसल, सोनिया गांधी इस नतीजे पर पहुंच गई थी कि इन दागी मंत्रियों के कारण कांग्रेस की साख पर बंट्टा लग रहा है और कर्नाटक जीत की आड़ लेना व्यर्थ है।

बंसल के हटने के साथ ही केंद्रीय श्रम मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे व भूतल परिवहन मंत्री सीपी जोशी में किसी एक को अगला रेल मंत्री बनाने की भी चर्चाएं शुरू हो गई हैं। बताते हैं कि रिश्वत कांड में बंसल के भांजे की गिरफ्तारी के बाद खुलती परतों के साथ ही उन पर कार्रवाई की जमीन तैयार हो गई थी। जबकि कानून मंत्री का मामला भी गंभीर था, फिर भी उनके मामले में प्रधानमंत्री अनिच्छुक थे।

इन स्थितियों के बावजूद बंसल और अश्विनी पर तत्काल कार्रवाई महज इसलिए नहीं हुई, क्योंकि कांग्रेस इसका श्रेय विपक्ष और खासतौर से भाजपा को नहीं देना चाहती थी। चूंकि अब संसद सत्र खत्म हो चुका है और कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बड़ी जीत के साथ उसका मुख्यमंत्री भी तय हो गया है। लिहाजा अब कांग्रेस और सरकार ने बंसल और अश्विनी की 'फाइलों' का निस्तारण कर दिया।

पार्टी ने शुक्रवार को दिन में ही दोनों मंत्रियों पर कार्रवाई के संकेत दे दिए थे। कांग्रेस प्रवक्ता भक्तचरण दास ने बंसल और अश्विनी पर पत्रकारों के सवाल के जवाब में कह दिया था,' कांग्रेस किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार को नहीं बर्दाश्त करने वाली है। जो कोई भी किसी भ्रष्टाचार या किसी गड़बड़ी में शामिल है, उसे नहीं छोड़ा जाएगा'। उन्होंने यह भी जोड़ा कि कांग्रेस ने भ्रष्टाचार के मुद्दे को हमेशा गंभीरता से लिया है और बंसल व अश्विनी के मामले को भी गंभीरता से देख रही है।

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