प्रतिबंध हटने के बाद शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं ने जमकर चढ़ाया तेल
अहमदनगर। शिंगणापुर के प्रसिद्ध शनि मंदिर में पूजा करने के लिए शनिवार को सुबह से ही पुरुषों और महिलाओं की लंबी लाइन लग गई। शुक्रवार को ही शनि मंदिर के चबूतरे पर महिलाओं के जाने पर प्रतिबंध की चार सौ साल पुरानी परंपरा को खत्म किया गया है।
राज्य ब्यूरो, मुंबई। महाराष्ट्र के अहमदनगर स्थित शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति मिलने के बाद पहले शनिवार को महिलाओं ने जमकर शनिदेव की पूजा-अर्चना की और उन्हें सरसों का तेल चढ़ाया।
सुप्रसिद्ध शिरडी साईं बाबा मंदिर से 70 किलोमीटर दूर स्थित शनि शिंगणापुर मंदिर में 400 साल पुरानी परंपरा शुक्रवार सुबह उस समय टूट गई थी जब करीब 11 बजे स्थानीय पुरुषों के एक जत्थे ने जबरन शनि चबूतरे पर चढ़कर मूर्ति का जलाभिषेक कर दिया। इसके बाद शनि मंदिर ट्रस्ट ने आनन-फानन में बैठक बुलाई और पुरुषों के साथ-साथ स्त्रियों को भी शनिदेव की प्रतिमा तक जाने की अनुमति दे दी थी।
यह अनुमति मिलने के बाद शनिवार सुबह पहले दो महिलाओं ने जाकर शनिदेव की प्रतिमा का पूजन किया। उसके बाद महिलाओं को शनि चबूतरे पर चढऩे की अनुमति के लिए संघर्ष करती आ रहीं रणरागिनी भूमाता ब्रिगेड की अध्यक्ष तृप्ति देसाई एवं उनकी साथियों ने शनिदेव की पूजा की एवं आरती में भाग लिया। बाद में पूरे दिन शनिदेव के दर्शन के लिए महाराष्ट्र के कोने-कोने से आए स्त्री-पुरुषों का तांता लगा रहा।
शिंगणापुर गांव के लोगों में यह परंपरा टूटने की मिलीजुली प्रतिक्रिया देखी जा रही है। शिंगगाणपुर गांव के सरपंच बालासाहब बनकर कहते हैं कि हाई कोर्ट के फैसले का सम्मान करने के लिए मंदिर के सभी गेट सभी भक्तों के लिए खोल दिए गए हैं। लेकिन इससे स्थानीय ग्रामीणों की भावनाओं को ठेस पहुंची है। हालांकि मंदिर के आसपास का व्यवसायी वर्ग नए निर्णय से खुश है। उनका मानना है कि पुरुषों के साथ-साथ स्त्रियों के लिए भी मंदिर के द्वारा खोल दिए जाने से मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ेगी। इससे गांव की अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे।
बता दें कि कुछ वर्ष पहले तक शनि चबूतरे पर सिर्फ पुरुष ही जाकर मूर्ति पर तेल चढ़ा सकते थे। पहले पुरुषों को स्नान करके सिर्फ लाल रंग की एक लुंगी लपेटकर शनि चबूतरे पर जाने की अनुमति थी। उस समय शिंगणापुर गांव के ज्यादातर लोग तेल एवं अन्य पूजन सामग्री के व्यवसाय में लगे थे। कुछ वर्ष पहले शनि चबूतरे पर उन्हीं पुरुषों को जाने की अनुमति दी जाने लगी, जो एक मोटी राशि चढ़ावे के रूप में अर्पित कर सकें। उसके बाद से चबूतरे पर जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या सीमित हो गई थी।
शनि शिंगणापुर में टूटी चार सौ साल की परंपरा, महिलाओं ने की पूजा अर्चना