कुलभूषण जाधव की फांसी के खिलाफ पाकिस्तान सुप्रीमकोर्ट में याचिका
जाधव को फांसी का आदेश रद कर पाकिस्तान संविधान के मुताबिक तय नियमों में उचित अदालत में निष्पक्ष ट्रायल चलाने की मांग की गई है।
By Ravindra Pratap SingEdited By: Updated: Mon, 17 Apr 2017 05:40 AM (IST)
माला दीक्षित, नई दिल्ली। पाकिस्तान की जेल में बंद भारत के पूर्व नौसेना अधिकारी कुलभूषण सुधीर जाधव की फांसी के खिलाफ पाकिस्तान सुप्रीमकोर्ट से गुहार लगाई गई है। इंडिया पाक ज्वाइंट डिफेंस कमेटी फार प्रिजनर ने पाकिस्तान सुप्रीमकोर्ट से जाधव की फांसी का विरोध करते हुए याचिका दी है। याचिका में पाकिस्तान सुप्रीमकोर्ट से मांग की गई है कि भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव की फांसी का गैरकानूनी फैसला रद किया जाए और पाकिस्तानी संविधान के मुताबिक उचित अदालत में तय नियम प्रक्रिया में निष्पक्ष ट्रायल चलाया जाए। जिसमें जाधव को पक्ष रखने का मौका दिया जाए और उसे कानूनी मदद मुहैया कराई जाए।
भारत और पाकिस्तान की जेलों में बंद लोगों को मुफ्त कानूनी मदद देने वाली दोनों देशों की संयुक्त समिति इंडिया पाक ज्वाइंट डिफेंस कमेटी फार प्रिजनर ने इस बारे में ड्राफ्ट याचिका शुक्रवार को ही इमेल के जरिए पाकिस्तान सुप्रीमकोर्ट को भेज दी थी। कमेटी के अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता भीम सिंह बताते हैं कि औपचारिक याचिका भी सोमवार को दाखिल कर दी जाएगी। जाधव को कथित जासूसी के आरोप में गत 10 अप्रैल को पाकिस्तान में फील्ड जनरल कोर्ट मार्शल ने मौत की सजा सुनाई है। भारत लगातार सजा का विरोध कर रहा है भारत का कहना है कि जाधव पूर्व नौसेना अधिकारी है और वह ईरान में कारोबार करते थे जहां से उन्हें अगवा किया गया। उन पर जासूसी के आरोप गलत और बेबुनियाद हैं।यह भी पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट ने कहा मैसूर की राजकुमारी के एस्टेट पर कर्नाटक का अधिकार नहीं
पाकिस्तान सुप्रीमकोर्ट में दी गई याचिका में कहा गया है कि पाकिस्तान आर्मी एक्ट के मुताबिक सैन्य अदालत से दोषी ठहराए गए व्यक्ति को भी उस आदेश को अदालत में चुनौती देने का अधिकार है। इसके अलावा पाकिस्तानी संविधान के मुताबिक भी किसी भी व्यक्ति को मौलिक और सिविल अधिकारों के तहत फैसले को चुनौती देने का अधिकार है। कहा गया है कि स्टेट लीगल एड कमेटी को पाकिस्तान में अभी तक सैन्य अदालत के गत 10 अप्रैल के आदेश की प्रति नहीं मिल पाई है। लेकिन 10 अप्रैल का वह आदेश गैरकानूनी है क्योंकि उसमें प्राकृतिक न्याय के मूल सिद्धांत का हनन हुआ है। उसमें सिविल और क्रिमिनल कोर्ट के अंतरराष्ट्रीय तौर पर स्वीकार्य तौर तरीकों का भी उल्लंघन हुआ है। पाकिस्तान सैन्य अदालत का दायित्व है कि वह जाधव के फैसले की प्रति उनके रिश्तेदारों, वकीलों और जनता को मुहैया कराए।यह भी पढ़ें: तीन तलाक के खात्मे पर बेबाक पीएम मोदी, नेताओं और कार्यकर्ताओं को संदेश
जाधव को फांसी का आदेश रद कर पाकिस्तान संविधान के मुताबिक तय नियमों में उचित अदालत में निष्पक्ष ट्रायल चलाने की मांग की गई है। कहा है कि याचिकाकर्ता कमेटी जाधव को मुफ्त कानूनी सहायता देने को तैयार है। मांग है कि कोर्ट आर्मी कोर्ट मार्शल को 10 अप्रैल का फैसला और सभी जरूरी सामग्री लीगल एड कमेटी को मुहैया कराने का आदेश दे ताकि फैसले के खिलाफ औपचारिक रिट दाखिल की जा सके। इसके अलावा कमेटी के अध्यक्ष भीमसिंह को जाधव के केस में बहस करने की इजाजत दी जाए। भीम सिह लंदन से एलएलएम हैं और उनका कहना है कि वे बैरिस्टर आफ ला हैं और नियम के मुताबिक बैरिस्टर आफ ला को किसी भी कामनवेल्थ देश की अदालत में कोर्ट की अनुमति से बहस कर सकता है।याचिकाकर्ता कमेटी भारत और पाकिस्तान की जेलों में बंद विदेशी कैदियों के हक की मुफ्त कानूनी लड़ाई लड़ती रही है। भारत की जेलों में बंद पाकिस्तानी कैदियों की रिहाई की भीम सिंह की याचिका अभी भी भारत के सुप्रीमकोर्ट में लंबित है इस याचिका में दिये आदेश पर ही ही करीब 250 पाकिस्तानी कैदी रिहा हो चुके हैं। इसके अलावा कमेटी पाकिस्तान की विभिन्न जेलों में बंद 54 भारतीय कैदियों का मुकदमा पाकिस्तान में लड़ रही है। कमेटी के अध्यक्ष भारत के वरिष्ठ वकील भीमसिंह है जबकि कमेटी के सचिव लाहौर के वकील जुल्फिकार अली जहांगीर हैं। कमेटी में दोनों देश के वकील शामिल हैं।