म्यांमार दौरे में जफर की मजार पर जाएंगे मनमोहन
ढाई दशक बाद भारतीय प्रधानमंत्री के म्यांमार दौरे मे एक पड़ाव अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर का मकबरा भी होगा। इस महीने 27 से 29 मई के बीच होने वाली अपनी म्यांमार यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जफर को श्रद्धांजलि देने के लिए उनके मकबरे भी जाएंगे।
By Edited By: Updated: Mon, 14 May 2012 08:37 PM (IST)
नई दिल्ली [जासं]। ढाई दशक बाद भारतीय प्रधानमंत्री के म्यांमार दौरे में एक पड़ाव अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर का मकबरा भी होगा। इस महीने 27 से 29 मई के बीच होने वाली अपनी म्यांमार यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जफर को श्रद्धांजलि देने के लिए उनके मकबरे भी जाएंगे।
विदेश मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री 29 मई की सुबह विशेष विमान से यंगून पहुंचेंगे और दागवान स्थित जफर की मजार पर करीब 20 मिनट का वक्त गुजारेंगे। यंगून से ही मनमोहन वतन वापसी करेंगे। वर्ष 1991 में मौजूदा स्मारक परिसर में ही अंतिम मुगल बादशाह की असली कब्र की बात सामने आने के बाद यह पहला मौका है जब भारत का कोई प्रधानमंत्री मुगल बादशाह के स्मृति स्थल पर पहुंचेगा। इससे पहले 1987 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी भी अपने यंगून दौरे में जफर के मकबरे गए थे। अंतिम मुगल सम्राट की मौत को इस वर्ष 150 साल पूरे हो रहे हैं। 1857 में आजादी की पहली लड़ाई में शिकस्त के बाद ब्रिटिश हुकूमत ने बहादुर शाह जफर को निर्वासित कर बर्मा [अब म्यांमार] भेज दिया था। 1862 में वहीं उनकी मौत हो गई थी। म्यांमार दौरे में जाने वाले सभी भारतीय नेता जफर की मजार पर जरूर जाते हैं। 2006 में तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम और पिछले म्यांमार दौरे में विदेश मंत्री एसएम कृष्णा भी जफर के स्मृति स्थल पहुंचे थे। म्यांमार में जफर के मकबरे की देखभाल एक ट्रस्ट के हाथ में है। इसके रखरखाव के लिए भारत भी मदद देता रहा है। यह संयोग ही है कि भारत के आखिरी बादशाह की मौत म्यांमार में हुई वहीं म्यांमार के आखिरी बादशाह थेबाब का इंतकाल भारत के रत्नागिरी में हुआ था।
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