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सहारा जैसा न हो फ्रॉड, पीएम मोदी चाहते हैं बने नया कानून

गरीब निवेशकों को फ्रॉड चिट फंड कंपनियों से बचाने के लिए केंद्र सरकार गंभीर है। बताया जा रहा है कि मॉनसून सत्र में इस संबंध में बिल पेश किया जा सकता है।

By Lalit RaiEdited By: Updated: Mon, 30 May 2016 04:09 PM (IST)
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नई दिल्ली। आम निवेशकों की गाढ़ी कमाई को सुरक्षित बनाने के लिए केंद्र सरकार तैयारी कर रही है। सहारा जैसे फ्रॉड करने वाली कंपनियों पर लगाम लगाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी नया कानून चाहते हैं। वित्त मंत्रालय की स्थायी संसदीय समिति के सदस्य निशिकांत दुबे का कहना है कि सरकार का मकसद है कि सहारा जैसी दूसरी निवेश कंपनियां निवेशकों के साथ धोखाधड़ी न कर सकें।

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संसद के मॉनसून सत्र मेें इस मामले में नया बिल लाया जा सकता है। अभी एक से ज्यादा राज्यों में क्रेडिट को-ऑपरेटिव समितियां कमजोर कानूनों के दायरे में हैं। मौजूदा कानूनों को अमली जामा पहनाने के लिए महज 10 लोगों का स्टाफ काम करता है।

नाम न बताने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि मॉनिटरिंग एजेंसी के पास संसाधनों का अभाव है। इसके अलावा बड़े पैमाने पर फ्रॉड कंपनियों से फायदा पाने वाले राजनीतिज्ञ भी दबाव बनाते है। भारत के पास पोंजी स्कीम और पिरामिड स्कीम पर लगाम लगाने के लिए एकीकृत व्यवस्था नहीं है। जांच में ये पता चला है कि अब तक भारत में 6 करोड़ से ज्यादा निवेशक 67, 339 करोड़ गंवा चुके हैं।

एनडीटीवी.काम के मुताबिक बेईमान किस्म की निवेश कंपनियों ने ट्री प्लांटेशन से लेकर फ्लाइटलेस पक्षी ईमू की खेती के लिए निवेश का झांसा देकर आम निवेशकों से करोड़ों रूपए उगाहे हैं। पीएम चाहते हैं कि गरीब से गरीब लोगों को बैंकिग सिस्टम से जोड़ा जा सके ताकि फ्रॉड कंपनियां उनके साथ धोखाधड़ी न कर सकें।

निवेशकों के साथ धोखाधड़ी के लिए कुख्यात सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय की गिरफ्तारी वर्ष 2014 में हुई थी। सहारा पर गैरकानूनी तरीके से निवेशकों से करोड़ों के निवेश का मामला सामना आया था। सुप्रीम कोर्ट ने निवेशकों की रकम वापसी के लिए सहारा को निर्देश दिए थे। हालांकि सहारा प्रमुख अदालत के निर्देश का पालन करने में आनाकानी करते रहे। अदालत ने गैर कानूनी स्कीम के तहत निवेशकों द्वारा जमा की गयी 36,363 करोड़ रुपए की राशि को लौटाने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा पोंजी स्कीम चलाने वाले ऑपरेटर्स के खिलाफ भी शायद कड़ी कार्रवाई हुई हो।

सेबी के पास 100 करोड़ से ज्यादा मामलों में जांच करने और खातों को फ्रीज करने का अधिकार है। लेकिन कानून बनाने वालों का मानना है कि गरीब निवेशकों को बचाने के लिए और कड़े कानून की जरूरत है।