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पीएम ने कहा माफ करो, विपक्ष बोला नहीं

केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति के विवादित बयान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सफाई से भी सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच चला आ रहा गतिरोध नहीं टूटा। साध्वी के बयान को खारिज करते हुए प्रधानमंत्री ने सांसदों से सदन चलने देने की अपील की। लेकिन, पीएम

By Sudhir JhaEdited By: Updated: Fri, 05 Dec 2014 02:17 AM (IST)

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति के विवादित बयान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सफाई से भी सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच चला आ रहा गतिरोध नहीं टूटा। साध्वी के बयान को खारिज करते हुए प्रधानमंत्री ने सांसदों से सदन चलने देने की अपील की। लेकिन, पीएम के बयान के बाद सदन चलने देने की सहमति दे चुके विपक्ष ने करार तोड़ दिया और राज्यसभा नहीं चलने दी। लोकसभा में भी इस मुद्दे पर खूब हंगामा हुआ। विपक्ष ने साध्वी के खिलाफ अब निंदा प्रस्ताव लाने की शर्त रखी है, लेकिन सरकार झुकने के मूड में नहीं है। इससे शुक्रवार को संसद में और गतिरोध देखने को मिल सकता है।

केंद्रीय मंत्री के विवादास्पद बयान के बहाने राजग सरकार को घेरने में जुटे विपक्ष ने 'नई मंत्री' होने के कारण माफ करने की प्रधानमंत्री की अपील के बावजूद सदन नहीं चलने दिया। मंत्री का बयान खारिज करने और अपने सांसदों को मर्यादाओं का ध्यान रखने की प्रधानमंत्री की हिदायत से बेअसर विपक्षी सदस्यों ने बृहस्पतिवार पूरे दिन राज्यसभा नहीं चलने दी। लोकसभा की कार्यवाही भी बाधित हुई। इस विवाद के कारण लगातार तीसरे दिन संसद में व्यवधान बना रहा।

इससे पहले प्रधानमंत्री ने साध्वी का हवाला देते हुए यह भी कहा कि वह नई मंत्री हैं और हम उनकी पृष्ठभूमि भी जानते हैं। उन्होंने इस मामले में क्षमा मांग ली है। विपक्ष के नेताओं से मुखातिब होते हुए उन्होंने कहा, यहां इतने वरिष्ठ सदस्य बैठे हैं। आपको क्षमा का भाव रखना चाहिए। राज्यसभा को अनुभवी लोगों का सदन बताते हुए पीएम ने कहा कि आगे भी कोई मर्यादा ना तोड़े यह संदेश इस सदन से जाना चाहिए। उन्होंने राष्ट्रहित में सदन का कामकाज आगे बढ़ाने की अपील भी की।

इस बीच सदन में कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा ने कहा कि विपक्ष का किसी मंत्री से दुर्भाव नहीं है। लेकिन, संविधान का सम्मान करने के लिए मंत्री को हटाया जाए। इस मामले पर माकपा नेता सीताराम येचुरी और जदयू प्रमुख शरद यादव ने भी सुर में सुर मिलाते हुए साध्वी के इस्तीफे की मांग दोहराई। मामले को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के सांसदों के बीच तीखी जुबानी झड़प भी हुई। लेकिन, बहुत प्रयास के बाद भी राज्यसभा नहीं चल सकी। लोकसभा में भी पीएम से बयान को लेकर विपक्ष ने खूब हंगामा काटा।

निंदा प्रस्ताव पर तनातनी

कांग्रेस ने पीएम के बयान के बाद संसद चलने का वादा किया था, लेकिन अब अन्य विपक्षी दलों के रुख को देखते हुए उसने अपना इरादा बदल दिया है। वह मुश्किल से मिले इस मुद्दे पर विपक्षी एकता को कायम रखना चाहती है। अब सरकार को और झुकाने के लिए माकपा नेता सीताराम येचुरी ने सुझाव दिया कि राज्यसभा से एक बयान जारी किया जाए। इसमें बिना नाम लिए ऐसे बयानों की निंदा की जाए। इस पर अब सरकार भी सख्त हो गई है। सूत्रों के मुताबिक सरकार ने कह दिया है कि ऐसा कोई प्रस्ताव आएगा तो उसमें 1952 से अब तक हुए ऐसे बयानों की निंदा का जिक्र किया जाए, जिसमें मोदी के बारे में सोनिया गांधी के मौत का सौदागर वाला बयान भी है।

''वह नई मंत्री हैं। उन्होंने इस मामले में क्षमा मांग ली है। आपको भी क्षमा का भाव रखना चाहिए।'' (विपक्ष के नेताओं से नमो की अपील)

''विपक्ष का किसी मंत्री से दुर्भाव नहीं है। लेकिन, संविधान का सम्मान करने के लिए मंत्री को हटाया जाए।'' -आनंद शर्मा (राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता)

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