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अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश से दूर होगा गांवों का अंधेराः पीएम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज दिल्ली स्थित विज्ञान भवन पहुंचे। जहां उन्होंने वैश्विक अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में आयोजित रीइंवेस्ट 2015 कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम में कई देशों के निवेशक भी मौजूद थे। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि पहले हम बिजली उत्पादन के क्षेत्र में मेगावाट की

By anand rajEdited By: Updated: Sun, 15 Feb 2015 01:32 PM (IST)
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज दिल्ली स्थित विज्ञान भवन पहुंचे। जहां उन्होंने वैश्विक अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में आयोजित रीइंवेस्ट 2015 कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम में कई देशों के निवेशक भी मौजूद थे। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि पहले हम बिजली उत्पादन के क्षेत्र में मेगावाट की बात करते थे, लेकिन अब मेगा नहीं गीगावाट की बात होगी, जो हमारे गांवों के अंधेरों को दूर करेगा।

विज्ञान भवन में ऊर्जा मंत्रालय की ओर से अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में आयोजित सम्मेलन व प्रदर्शनी के दौरान भारत से अंधेरे को दूर करने की पहल दिखी। इस सम्मेलन के उद्धाटन के बाद प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरे दिमाग में अंधेर में डूबे गांव हैं जिन्हें रोशनी देने के लिए मैं रास्ते खोज रहा हूं। पीएम मोदी ने कहा कि हमारे देश में गरीब परिवार अपने बच्चों को शिक्षित करना चाहता है लेकिन परीक्षा के दौरान रात में वो अध्ययन करने में सक्षम नहीं हो पाता।इस समस्या के समाधान के लिए प्रधानमंत्री ने अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने और उसमें निवेश करने पर जोर दिया।

पीएम मोदी ने कहा कि पहले ऊर्जा के क्षेत्र में हम मेगा वाट की बात करते थे, लेकिन अब गीगा वाट की बात होगी। इसके लिए अनुसंधान चल रहे हैं। मुझे लगता है कि आने वाले दिनों में हम सौर ऊर्जा को आर्थिक रूप से और व्यवहार्य बनाने के लिए एक अच्छी स्थिति में होंगे।

इस दौरान प्रधानमंत्री ने जलवायु परिवर्तन का मुद्दा भी उठाया। पीएम ने कहा कि विश्व में अलग अलग तरीकों से जलवायु परिवर्तन के मुद्दे का समाधान निकालने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन हम अपने खुद के जीवन शैली के लिए कभी नीचे नहीं देखते। पीएम ने कहा कि हमारी जीवन शैली बदल गई है। हम अपने संसाधनों को आने वाली पीढ़ी के लिए बचा रहे हैं। बिजली की बचत हमारी भावी पीढ़ी की रक्षा करेगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हम प्रकृति से प्रेम करते हैं। हम हीं तो हैं जो नदी को मां मानते हैं। ये हमारे स्वभाव में है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन से मानव जाति की रक्षा करने का तरीका अगर कोई दिखा सकता है तो वो सिर्फ भारत है।

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