नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कांग्रेस शासित राज्यों के 'रस्मी' विरोध के बावजूद राजग सरकार ने योजना आयोग को बदलने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है। नई व्यवस्था में केंद्र सरकार के साथ राज्यों और विशेषज्ञों की भी भूमिका होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से इस पर विचार करने के लिए रविवार को मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाई गई। बैठक को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि नई व्यवस्था में राज्यों की भूमिका बढ़ाई जाएगी, ताकि उनके हितों के अनुसार योजना में बदलाव हो सके। नई व्यवस्था 'टीम इंडिया' की तर्ज पर काम करेगी। यह राज्यों के बीच होने वाले विवाद के समाधान का भी मंच बनेगी। बैठक के बारे में जानकारी देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि कुछ कांग्रेसी राज्यों को छोड़ लगभग सभी ने इस बदलाव का समर्थन किया है। अब केंद्र सरकार को यह फैसला करना है कि नई व्यवस्था कैसी हो और उसे वैधानिक अधिकार दिया जाए या नहीं। उल्लेखनीय है कि योजना आयोग का गठन 23 मार्च 1950 को हुआ था। तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरूइसके पहले अध्यक्ष थे।
ऐसी होगी व्यवस्था वित्त मंत्री अरुण जेटली से मिले संकेत के मुताबिक प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में कुछ कैबिनेट मंत्रियों, कुछ राज्यों के मुख्यमंत्रियों और अलग-अलग विषयों के विशेषज्ञों को शामिल किया जाएगा। मुख्यमंत्रियों को बारी-बारी से इसका सदस्य बनाया जाएगा। पूर्वोत्तर के राज्यों से एक मुख्यमंत्री को हमेशा इसमें मौका मिलेगा। सामने कई सवाल
सरकार को अभी कई सवालों का जवाब खोजना है। सबसे अहम यह है कि क्या पांच वर्षों की योजना बनाने की मौजूदा व्यवस्था को तिलांजलि दे दी जाए। अब योजना किस तरह से बनाई जाएगी? राज्यों को फंड का आïवंटन किस तरह से होगा? विभिन्न मुद्दों पर सुझाव देने वाले थिंक टैंक की क्या भूमिका होगी? मोदी ने अमेरिका के तर्ज पर थिंक टैंक को अहमियत देने की बात कही है।संगठन में तीन स्तर
* नए संगठन की पहली टीम में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री होंगे। * दूसरी टीम में केंद्रीय मंत्री। * तीसरी टीम में केंद्र व राज्य के अफसर। इस तरह दिखेगा बदलाव
वर्तमान स्वरूप:- योजना आयोग फिलहाल ऐसे काम करता है। 1. योजना बनाने में ऊपर से नीचे का दृष्टिकोण 2. विकास दर, लक्ष्य और रणनीति तय करना 3. कैबिनेट की मंजूरी से पंचवर्षीय योजनाएं बनाना, एनडीसी से पास कराना 4. मूलत: केंद्र सरकार की संस्था, राज्यों की हिस्सेदारी नहीं 5. राज्यों से विचार-विमर्श की कोई संस्थागत व्यवस्था नहीं 6. राज्यों की समस्याओं को सुलझाने की सुदृढ़ व्यवस्था नहीं 7. फिलहाल केंद्र प्रायोजित योजनाओं पर जोर
भावी स्वरूप:- नए स्वरूप में आयोग इस तरह काम करेगा। 1. योजना राज्यों से परामर्श के बाद बनेगी, विकेंद्रीकृत नीति नियोजन 2. राज्यों से परामर्श कर राष्ट्रीय विकास रणनीति बनाना 3. केंद्र-राज्य मिलकर पंचवर्षीय योजनाओं की जगह मध्यावधि और दीर्घावधि रणनीति बनाएंगे 4. राज्यों के प्रतिनिधि शामिल होंगे 5. राज्यों से नियमित विचार-विमर्श होगा 6. आयोग का सचिवालय केंद्र-राज्यों के बीच सेतु का काम करेगा 7. राज्य अपनी जरूरत की योजनाएं बनाएंगे
केंद्र-राज्यों की हो समान भागीदारी ''योजना आयोग में केंद्र और राज्यों की समान भागीदारी हो। संघीय ढांचे को मजबूत किया जाए। योजनाओं के क्रियान्वयन में राज्यों को पूर्ण स्वामित्व मिलना चाहिए। केंद्रीय योजनागत बजट में से राज्यों को कम से कम 50 प्रतिशत धनराशि एकमुश्त आवंटित हो।''
-अखिलेश यादव (मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश) ''पुनर्गठित योजना आयोग में हिमालयी एवं पूर्वोत्तर राज्यों की विशिष्ट भौगोलिक विशिष्टताओं और उससे उत्पन्न समस्याओं को ध्यान में रखते हुए अलग से प्रकोष्ठ स्थापित किया जाए ताकि समावेशी विकास सुनिश्चित किया जा सके। संसाधनों के आवंटन के साथ ही निगरानी व मूल्यांकन का दायित्व भी पुनर्गठित आयोग के पास ही रहने दिया जाना चाहिए।''
-हरीश रावत (मुख्यमंत्री, उत्तराखंड) ''केंद्रीय योजनागत सहायता का भावी हस्तांतरण गाडगिल-मुखर्जी फार्मूले से भिन्न फार्मूले के आधार पर किया जाना चाहिए। सूक्ष्म योजना और प्रत्येक योजना के लिए रणनीति बनाने का काम राज्यों पर छोड़ देना चाहिए।''
-मनोहर लाल खïट्टर (मुख्यमंत्री, हरियाणा) ''बारहवीं योजना के मध्यकाल में योजना आयोग का पुनर्गठन किए जाने का सही व उपयुक्त समय नहीं है। किसी प्रकार का परिवर्तन हमारी योजना की रणनीति, हमारे विकास कार्यक्रमों और चल रही परियोजनाओं में रुकावट पैदा करेगा।''
-जीतनराम माझी (मुख्यमंत्री, बिहार) ''राज्यों को अधिक स्वायत्तता के लिए जल्द से जल्द संविधान संशोधन किया जाए। कर्ज में डूबे पंजाब, केरल और पश्चिम बंगाल जैसे सूबों को राहत पैकेज की सख्त जरूरत है।''
-प्रकाश सिंह बादल (मुख्यमंत्री, पंजाब) ''योजना आयोग में समय के अनुरूप बदलाव का प्रधानमंत्री का कदम सराहनीय है। इससे संघवाद मजबूत होगा और राज्यों को विकास के लिए अधिक अधिकार मिलेंगे।''
-वसुंधरा राजे (मुख्यमंत्री, राजस्थान) ''योजना आयोग को नया नाम देने या इसके पुनर्गठन का कोई प्रयास राष्ट्रहित के खिलाफ है। यह एक खतरनाक और अदूरदर्शितापूर्ण पहल है। केंद्र-राज्य संबंधों पर इसका दूरगामी असर होगा। भाजपा सरकार के प्रयास का कांग्रेस विरोध करती है।''
-अजय माकन, कांग्रेस महासचिवपढ़ें - योजना आयोग की जगह लेने वाली संस्था उससे बेहतर हो : चांडीपढ़ें - सभी सीएम से पीएम मोदी का सीधा संवाद